टिप्पणी
सरकारी विभाग दिशा निर्देश जारी करने में जितनी तत्परता दिखाते हैं, उतनी उनके पालन करवाने में नहीं। बिलासपुर के एक स्कूल पर आकाशीय बिजली गिरने के बाद विभाग ने सभी शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों में तडि़त चालक लगाने के निर्देश जारी किए थे। उदासीनता की इससे ज्यादा इंतहा और क्या होगी कि इन निर्देशों को जारी किए दस साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन स्कूलों में तड़ित चालक नहीं लग पाए हैं। इससे विभाग की कार्यकुशलता का भी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। लगातार दस साल तक बारिश के मौसम में नौनिहाल मौत के साये में भयभीत होकर अध्ययन करते रहे लेकिन विभाग की कुंभकर्णी नींद नहीं टूटी। वैसे भी छत्तीसगढ़ राज्य में दूसरे राज्यों के मुकाबले आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। बारिश के मौसम में तो अमूनन रोजाना ही कहीं न कहीं से बिजली गिरने तथा उससे जनहानि होने की खबरें आती रहती हैं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यहां पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बादल गरजने तथा बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि बिलासपुर जिले में 22 सौ प्राथमिक शिक्षा केन्द्र, छह सौ मिडिल स्कूल, सौ से ऊपर हायर सैकण्डरी स्कूल तथा दो सौ के करीब हाई स्कूल हैं। इस प्रकार जिले में तीन हजार से ऊपर स्कूल हैं। इनमें अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या तो हजारों में है। सन 2001 में बर्जेश स्कूल भवन पर आकाशीय बिजली गिरने तथा उसमें एक छात्रा के हताहत होने के बाद जिला शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में तड़िल चालक लगाने के निर्देश जारी किए थे। साथ में निर्देशों के पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात भी कही गई थी। निर्देशों के बाद कई अशासकीय स्कूल संचालकों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने यहां तड़ित चालक लगवा लिए लेकिन शासकीय स्कूलों का मामला अटक गया। दस साल से अधिक समय गुजरने के बाद तड़ित चालक तो दूर एक भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, हालांकि विभाग के आला अधिकारी इस बात को स्वीकर करते हैं कि इस मामले में लापरवाही बरती गई है।
बहरहाल, शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में नए सिरे से जानकारी जुटा कर कडे़ निर्देश जारी करने तथा व्यवस्था में जल्द सुधार करने की बात कह रहे हैं। विभाग अगर इस मामले में वाकई गंभीर है तो उसे निर्देश का पालन तत्काल करवाना चाहिए। निर्देश के पालन में आई रुकावटों को दूर करने की दिशा में भी काम होना चाहिए। साथ ही इतना लम्बा समय गुजरने के बाद भी निर्देश लागू क्यों नहीं हो पाए, इसके कारणों की पड़ताल करना भी जरूरी है। उम्मीद की जानी चाहिए शिक्षा विभाग नोटिस देने जैसी औपचारिकता से आगे बढ़कर मामले की गंभीरता को देखते एवं समझते हुए कार्रवाई करेगा।
साभार : बिलासपुर पत्रिका के 31 अगस्त 11 के अंक में प्रकाशित।
सरकारी विभाग दिशा निर्देश जारी करने में जितनी तत्परता दिखाते हैं, उतनी उनके पालन करवाने में नहीं। बिलासपुर के एक स्कूल पर आकाशीय बिजली गिरने के बाद विभाग ने सभी शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों में तडि़त चालक लगाने के निर्देश जारी किए थे। उदासीनता की इससे ज्यादा इंतहा और क्या होगी कि इन निर्देशों को जारी किए दस साल से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन स्कूलों में तड़ित चालक नहीं लग पाए हैं। इससे विभाग की कार्यकुशलता का भी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। लगातार दस साल तक बारिश के मौसम में नौनिहाल मौत के साये में भयभीत होकर अध्ययन करते रहे लेकिन विभाग की कुंभकर्णी नींद नहीं टूटी। वैसे भी छत्तीसगढ़ राज्य में दूसरे राज्यों के मुकाबले आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। बारिश के मौसम में तो अमूनन रोजाना ही कहीं न कहीं से बिजली गिरने तथा उससे जनहानि होने की खबरें आती रहती हैं। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो यहां पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण बादल गरजने तथा बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं।
मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि बिलासपुर जिले में 22 सौ प्राथमिक शिक्षा केन्द्र, छह सौ मिडिल स्कूल, सौ से ऊपर हायर सैकण्डरी स्कूल तथा दो सौ के करीब हाई स्कूल हैं। इस प्रकार जिले में तीन हजार से ऊपर स्कूल हैं। इनमें अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की संख्या तो हजारों में है। सन 2001 में बर्जेश स्कूल भवन पर आकाशीय बिजली गिरने तथा उसमें एक छात्रा के हताहत होने के बाद जिला शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों में तड़िल चालक लगाने के निर्देश जारी किए थे। साथ में निर्देशों के पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात भी कही गई थी। निर्देशों के बाद कई अशासकीय स्कूल संचालकों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने यहां तड़ित चालक लगवा लिए लेकिन शासकीय स्कूलों का मामला अटक गया। दस साल से अधिक समय गुजरने के बाद तड़ित चालक तो दूर एक भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, हालांकि विभाग के आला अधिकारी इस बात को स्वीकर करते हैं कि इस मामले में लापरवाही बरती गई है।
बहरहाल, शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में नए सिरे से जानकारी जुटा कर कडे़ निर्देश जारी करने तथा व्यवस्था में जल्द सुधार करने की बात कह रहे हैं। विभाग अगर इस मामले में वाकई गंभीर है तो उसे निर्देश का पालन तत्काल करवाना चाहिए। निर्देश के पालन में आई रुकावटों को दूर करने की दिशा में भी काम होना चाहिए। साथ ही इतना लम्बा समय गुजरने के बाद भी निर्देश लागू क्यों नहीं हो पाए, इसके कारणों की पड़ताल करना भी जरूरी है। उम्मीद की जानी चाहिए शिक्षा विभाग नोटिस देने जैसी औपचारिकता से आगे बढ़कर मामले की गंभीरता को देखते एवं समझते हुए कार्रवाई करेगा।
साभार : बिलासपुर पत्रिका के 31 अगस्त 11 के अंक में प्रकाशित।
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