Monday, June 18, 2012

सीवरेज पर सियासत कब तक


टिप्पणी

शहर में बारिश से निपटने की तैयारी कैसी है, इस बात का अहसास उन लोगों को बखूबी हो गया होगा, जो रविवार को मामूली बूंदाबांदी से ही हलकान हो उठे। यकीनन इस बार की बारिश बिलासपुर पर बहुत भारी पड़ने वाली है। यह भविष्यवाणी नहीं बल्कि हकीकत है और इसकी झलक दिखाई देने भी लगी है। जरा सी बूंदाबांदी ने शहरवासियों को भावी खतरे से आगाह  कर दिया है। चिंतनीय विषय यह है कि मामूली बारिश ने ही लोगों का घरों से निकलना मुश्किल कर दिया है। भारी बरसात के दौरान क्या होगा, सोच कर आमजन भयभीत है। सीवरेज की खुदाई से उखड़ी सड़कों पर बिछाई गई मुरुम व मिट्‌टी बारिश की बूंदों से फिसल पट्‌टी में तब्दील हो गई हैं। जिधर देखो उधर कीचड़ ही कीचड़ है या सड़कों पर बने गड्‌ढ़ों में पानी भरा है। हालात इस कदर खराब हैं कि लोगों को निकलने के लिए ठीक से रास्ता तक नहीं मिल  पा रहा है। निगम भले ही दावों की दुहाई दे, इंतजामों की बात करें लेकिन दावे और इंतजाम कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। समूचा शहर बदइंतजामी का शिकार है। हर जगह सीवरेज के गड्‌ढ़े व उखड़ी सड़कें शहर की बदहाली को बयां कर रहे हैं। लोग कीचड़ से होकर गुजर रहे हैं। फिसल रहे हैं और व्यवस्था को कोस रहे हैं। खैर, हल्की बारिश ने खतरे की घंटी बजा दी है और यह भी बता दिया है कि निगम के दावों में दम कतई नहीं है। अगर आप निगम के दावों पर भरोसा कर भी रहे हैं तो यह आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
 देखा जाए तो बुनियादी सुविधाओं तक को तरसने वाले बिलासपुर में विकास कम सियायत ही ज्यादा हो रही है। शहर के नेताओं ने पता नहीं क्यों आंखों पर पट्‌टी बांध रखी है जो उनको शहर की दुर्दशा दिखाई नहीं देती है। कानों में भी पता नहीं क्या डाल रखा है जो लोगों की पीड़ा सुनाई नहीं देती है। शहर की समस्याओं के लिए आंदोलन की घोषणा करने वाले भी लगता है  अज्ञातवास पर चले गए हैं। शहरवासी संकट में हैं लेकिन अब उनका कोई बयान तक नहीं आ रहा है। कल परसों चक्काजाम की चेतावनी देने वाले, कलक्टर को ज्ञापन देने वाले यकायक खामोश हो गए तो वार्डों-वार्डों में धरना देने वाले भी पता नहीं अचानक कहां भूमिगत हो गए हैं। इन घटनाक्रमों से इतना तो तय है कि शहर के नेता सिर्फ श्रेय लेने या सस्ती लोकप्रियता हासिल करने तक ही सीमित हैं, शहर की जनता से उनको कोई मतलब नहीं है। वैसे भी नेताओं के भरोसे रहकर आश्वासनों की रेवड़िया एवं वादों के लॉलीपाप के सिवाय कुछ हासिल नहीं होने वाला, क्योंकि शहर में विकास के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकने का काम ही ज्यादा हो रहा है। आमजन की चुप्पी का फायदा नेता लोग बखूबी उठा रहे हैं। यह लोग महज दिखावे के नाम पर एक दूसरे से खिलाफ लड़ रहे हैं, बयान जारी कर रहे  हैं लेकिन पर्दे के पीछे तालमेल भी उतना ही है। जनता को विकास के नाम पर बेवकूफ बनाना किसी नौटंकी से कम नहीं है।
बहरहाल, शहरवासियों ने सब्र भी खूब रखा और जनप्रतिनिधियों पर विश्वास भी उतना ही किया लेकिन अब सब्र जवाब देने लगा है और विश्वास उठ रहा है। एकजुटता के साथ जब तक आवाज नहीं उठेगी तब तक परेशानी का भंवर कम नहीं होगा। ज्यादा नहीं तो इस बात का संकल्प जरूर कर लिया जाए कि सीवरेज पर सियासत करने वालों को उचित समय आने पर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। आखिरकार आश्वासन देने वालों और विकास के नाम पर सियायत करने वालों को आइना दिखाना भी तो जरूरी है।


साभार - पत्रिका बिलासपुर के 18  जून 12  के अंक में प्रकाशित।