टिप्पणी
गंगानगर लोकसभा से भाजपा उम्मीदवार निहालचंद मेघवाल ने चार लाख से ज्यादा मत प्राप्त कर न केवल अपना पिछला रिकॉर्ड दुरुस्त किया बल्कि संभाग के तीनों लोकसभा क्षेत्रों में उन्होंने सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। यह निहालचंद का अब तक का सातवां चुनाव था, जिनमें उनको पांच में उन्हें सफलता मिली है। इस तरह उन्होंने गंगानगर से पांच बार सांसद बनने के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। इससे पहले इस सीट से कांग्रेस के पन्नालाल बारूपाल 1952 से लेकर 1971 तक लगातार पांच बार सांसद रहे थे। खास बात यह है निहालचंद ने पिछले दो चुनाव लगातार जीते हैं। संभाग के तीनों सांसदों में निहालचंद के साथ यह उपलब्धि भी जुड़ी है कि वो सबसे ज्यादा बार सांसद बने हैं। वैसे तो गंगानगर लोकसभा क्षेत्र श्रीगंगानगर जिले के पांच विधानसभा तथा हनुमानगढ़ जिले के तीन विधानसभाओं से मिलकर बना है लेकिन संभाग के दो अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी इन दोनों जिलों की सहभागिता है। इस तरह से हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले के 11 विधानसभाओं के मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा रही है। यह बात दीगर है कि नवम्बर में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में गंगानगर लोकसभा की आठ सीटों पर कांग्रेस व भाजपा में मुकाबला बराबरी का था, लेकिन लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने भाजपा को बढ़त दी। इसी प्रकार चूरू लोकसभा में शामिल हनुमानगढ़ की दो विधानसभाओं में एक पर माकपा व एक पर कांग्रेस काबिज हुई थी लेकिन लोकसभा चुनावों में इन दोनों विधानसभाओं में भी भाजपा जीतने में सफल रही है। बीकानेर लोकसभा में शामिल अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भी दोनों ही चुनाव में भाजपा जीती है। गंगानगर लोकसभा से निहालचंद की जीत से साफ जाहिर है कि आठों विधानसभाओं में न तो कांग्रेस का जादू चला और न ही उनके विधायकों का। और तो और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लडऩे वाले को फिर से पार्टी में शामिल करने का निर्णय भी कोई करिश्मा नहीं दिखा सका। बड़ी जीत के साथ ही निहालचंद मेघवाल के समर्थकों में उनको मंत्री बनाने की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है, हालांकि बातचीत में निहालचंद कहा कि वो पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता बनकर ही काम करना पसंद करेंगे। लेकिन केन्द्र से मंत्री बनने का प्रस्ताव आने के सवाल पर वो हामी भी भरते हैं। जीत के बाद अपनी प्राथमिकताओं में निहालचंद ने श्रीगंगानगर में मेडिकल कॉलेज व हनुमानगढ़ में रेलवे की वाशिंग लगाया बताया। मतदाता यह तो मानते हैं कि निहालचंद के कार्यकाल में रेल सुविधाओं में विस्तार हुआ लेकिन मंत्री पद रहते जो होना चाहिए था, वैसा हुआ नहीं। खैर, इस बार जीत बड़ी है। मतदाताओं ने इस विश्वास के साथ निहालचंद में विश्वास जताया है उससे उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उम्मीद की जानी वो लोकसभा के सभी क्षेत्रों को बिना किसी राजनीतिक चश्मे के समान रूप से देखेंगे क्योंकि इस बार सभी विधानसभाओं के मतदाताओं ने उनकी झोली भरने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 24 मई 19 के अंक में प्रकाशित ।