सबसे बड़ी बात यह है कि यह पच्चीस किलोमीटर की दूरी टॉलीवुड (तेलुगू सिनेमा) के लिए प्रकृति प्रदत फ्री गिफ्ट है। इस मार्ग पर कई आकर्षक लोकेशंस हैं, जहां साल भर फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है। नारियल व काजू के पेड़ यहां बहुतायत में है। सड़क से बंगाल की खाड़ी की तरफ छोटी-छोटी पहाडि़यां है, जो पानी के थपेड़े खाकर चिकनी व छोटी हो गई हैं लेकिन दूसरी तरफ ऊंचे पहाड़ हैं। हालांकि पहाड़ पूरे २५ किमी तक नहीं हैं। विशाखापट्टनम से भिमली बीच तक पहाड़ हैं। सड़क पहाडों व बंगाल की खाड़ी के बीच विभाजक का काम करती है। पहाड़ों पर भी ऊंची-ऊंची इमारतें बनी हुई हैं। रास्ते में एक पहाड़ की तरफ इशारा करके कार चालक वेंकट ने बताया है यह रामोजी का फिल्म स्टुडियो है। मैंने उस तरफ देखा पहाड़ की चोटी तक सड़क बनी है। सड़क पर शूटिंग वाले वाहनों की कतार लगी थी। ऊपर महलनुमा इमारत दिखाई दी। मैंने चलते-चलते ही यह सब देखा। स्टुडियो के मालिक डा. रामनायडु दागुबाती फिल्म निर्माता हैं तथा पूर्व सांसद रहे हैं। रामोजी का इतना ही परिचय शायद आपके लिए काफी न हो, इसलिए थोड़ा डिटेल में बताता हूं। फूलों सा चेहरा तेरा, कलियों सी मुस्कान है.. गीत वाली फिल्म तो आपको याद होगी ही। जी हां १९९३ में आई फिल्म अनाड़ी के रामोजी प्रोड्यूसर थे। इतना ही नहीं अनाड़ी फिल्म की नायिका करिश्मा कपूर के बाद नायक वेंकटेश रामोजी के पुत्र हैं। यह अलग बात है कि वेंकटेश तेलुगू फिल्म में तो खूब चले लेकिन हिन्दी फिल्मों में ज्यादा सफल नहीं हुए। कार चालक वेंकट ने बताया कि यहां फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है और काफी दर्शक देखने के लिए आते रहते हैं।
चलते-चतते सड़क पर अचानक एक मोड़ आया और वेंकट बोला, सर इधर, एक दूजे के लिए फिल्म में कमल हासन के मरने के सीन फिल्माया गया था। एक दूजे के लिए फिल्म तेलुगू फिल्म मारो चरित्र की रीमेक थी। मैं वेंकट से यह नहीं पूछ पाया कि यहां कौनसी फिल्म का सीन फिल्माया था। बाद में अपनी इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए मैंने नेट पर बहुत तलाश किया लेकिन कहीं पर इस लोकेशंस का जिक्र नहीं मिला। कुछ जगह गोवा के अलावा विशाखापट्टनम के दूसरे समुद्री किनारों का जिक्र जरूर पढ़ा। वैसे बता दूं कि एक दूजे के लिए फिल्म का अंत दर्दनाक था। इसके आखिर में नायक-नायिका दोनों सामूहिक आत्महत्या कर लेते हैं। इस फिल्म के बाद कई प्रेमी युगलों ने मौत को गले लगाया था। एेसे में फिल्म का अंत बदलने पर भी चर्चा हुई थी लेकिन बदला नहीं गया। मारो चरित्र व एक दूजे के लिए दोनों ही फिल्मों का अंत एक जैसा है। वेंकट ने मुझे वह इमारत भी दिखाई, जहां रति अग्निहोत्री के साथ रेप सीन फिल्माया गया था। थोड़ा सा विषयांतर होते हुए बता दूं कि मारो चरित्र १९७८ में आई थी जबकि एक दूजे के लिए १९८१ में प्रदर्शित हुई थी। एक श्वेत श्याम थी तो एक रंगीन। दोनों ही फिल्मों के निर्माता के बालाचंद्र थे। के बालाचंद्र को २०१० में दादा साहब फाल्के अवार्ड भी दिया गया था। २०१४ में इनकी मौत हो गई थी। करीब चार दशक पहले रिलीज हुई फिल्म एक दूजे के लिए तब ब्लॉकबस्टर थी। उस साल का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के अलावा यह फिल्म फेयर अवाड्र्स की 13 अलग-अलग कैटेगरी में नॉमिनेट हुई थी और बेस्ट एडिटिंग, लिरिक्स और स्क्रीनप्ले के लिए अवॉर्ड जीता भी। यह कमल हासन, रति अग्निहोत्री के साथ गायक एसपी बाला सुब्रमण्यम की भी पहली फिल्म थी। चूंकि एक दूजे के लिए फिल्म मेरी भी पसंदीदा रही है। घर पर न जाने कितनी ही बार इसको देखा है, लिहाजा उस अंतिम सीन वाले स्थानों को मैं मोबाइल में कैद करने की इच्छा हुई। मैंने वेंकट से कार रुकवाई और उस जीर्ण-शीर्ण इमारत को सड़क से क्लिक कर लिया। यहां से आगे चले तो सागर में खूब नाव नजर आई। वेंकट ने बताया कि कुछ शूटिंग यहां भी हुई है तो मैंने वहां भी कार रुकवा कर एक दो क्लिक कर लिए। अब हम विजयनगरम के पास पहुंच गए थे। वेंकट ने बताया कि विजयनगरम काफी प्राचीन शहर है।
क्रमश:
चलते-चतते सड़क पर अचानक एक मोड़ आया और वेंकट बोला, सर इधर, एक दूजे के लिए फिल्म में कमल हासन के मरने के सीन फिल्माया गया था। एक दूजे के लिए फिल्म तेलुगू फिल्म मारो चरित्र की रीमेक थी। मैं वेंकट से यह नहीं पूछ पाया कि यहां कौनसी फिल्म का सीन फिल्माया था। बाद में अपनी इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए मैंने नेट पर बहुत तलाश किया लेकिन कहीं पर इस लोकेशंस का जिक्र नहीं मिला। कुछ जगह गोवा के अलावा विशाखापट्टनम के दूसरे समुद्री किनारों का जिक्र जरूर पढ़ा। वैसे बता दूं कि एक दूजे के लिए फिल्म का अंत दर्दनाक था। इसके आखिर में नायक-नायिका दोनों सामूहिक आत्महत्या कर लेते हैं। इस फिल्म के बाद कई प्रेमी युगलों ने मौत को गले लगाया था। एेसे में फिल्म का अंत बदलने पर भी चर्चा हुई थी लेकिन बदला नहीं गया। मारो चरित्र व एक दूजे के लिए दोनों ही फिल्मों का अंत एक जैसा है। वेंकट ने मुझे वह इमारत भी दिखाई, जहां रति अग्निहोत्री के साथ रेप सीन फिल्माया गया था। थोड़ा सा विषयांतर होते हुए बता दूं कि मारो चरित्र १९७८ में आई थी जबकि एक दूजे के लिए १९८१ में प्रदर्शित हुई थी। एक श्वेत श्याम थी तो एक रंगीन। दोनों ही फिल्मों के निर्माता के बालाचंद्र थे। के बालाचंद्र को २०१० में दादा साहब फाल्के अवार्ड भी दिया गया था। २०१४ में इनकी मौत हो गई थी। करीब चार दशक पहले रिलीज हुई फिल्म एक दूजे के लिए तब ब्लॉकबस्टर थी। उस साल का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के अलावा यह फिल्म फेयर अवाड्र्स की 13 अलग-अलग कैटेगरी में नॉमिनेट हुई थी और बेस्ट एडिटिंग, लिरिक्स और स्क्रीनप्ले के लिए अवॉर्ड जीता भी। यह कमल हासन, रति अग्निहोत्री के साथ गायक एसपी बाला सुब्रमण्यम की भी पहली फिल्म थी। चूंकि एक दूजे के लिए फिल्म मेरी भी पसंदीदा रही है। घर पर न जाने कितनी ही बार इसको देखा है, लिहाजा उस अंतिम सीन वाले स्थानों को मैं मोबाइल में कैद करने की इच्छा हुई। मैंने वेंकट से कार रुकवाई और उस जीर्ण-शीर्ण इमारत को सड़क से क्लिक कर लिया। यहां से आगे चले तो सागर में खूब नाव नजर आई। वेंकट ने बताया कि कुछ शूटिंग यहां भी हुई है तो मैंने वहां भी कार रुकवा कर एक दो क्लिक कर लिए। अब हम विजयनगरम के पास पहुंच गए थे। वेंकट ने बताया कि विजयनगरम काफी प्राचीन शहर है।
क्रमश:
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