Tuesday, June 11, 2019

बाहर के तनाव घर आने लगे हैं

बाहर के तनाव घर आने लगे हैं
रात-बेरात रोज डराने लगे हैं
शिकायत सुकून की छांव सी हो गई
तन हरे दरख्वत भी तो जलाने लगे हैं
किसी की बातों पर आता नहीं यकीं
हकीकत के तराने भी फसाने लगे हैं
वादा करते थे जो हर राज छुपाने का
गाहे बगाहे वो सबको बताने लगे हैं
मेरी आह पर बहाते थे जो आंसू
बात बात पर मुझको सताने लगे हैं
वो आजकल रूठते हैं बेवजह ही यारो
मनाने में 'माही' जिनको जमाने लगे 

No comments:

Post a Comment