Tuesday, June 11, 2019

शाबाश श्रीगंगानगर!

टिप्पणी 
‘सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ठीक नहीं होता।’ ‘सरकार स्कूलों में तो सिर्फ औसत अंक वाले बच्चे पढ़ते हैं।’ ‘सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के पद रिक्त रहते हैं।’ लंबे समय से सुने जा रहे इन परम्परागत जुमलों का अर्थ व मायने अब बदलने लगे हैं। बारहवीं विज्ञान, वाणिज्य तथा बुधवार को आए कला वर्ग के परीक्षा परिणामों ने साबित कर दिया है कि प्रतिभा किसी की बपौती नहीं होती। इन परिणामों में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों ने भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। विशेषकर श्रीगंगानगर जिले के संदर्भ में तीनों संकायों के परिणामों को देखें तो वाकई यह खुशी की बड़ी वजह बन रहे हैं। सरकारी स्कूल की बालिका गीता ने तो कला वर्ग में समूचे प्रदेश में अव्वल आकर उस मिथक को भी तोड़ दिया है कि सिर्फ निजी स्कूलों के बच्चे ही अच्छे अंक प्राप्त करते हैं। दरअसल, श्रीगंगानगर जैसे कृषि आधारित जिले के लिए गौरव की बात इसलिए भी है कि इस बार वाणिज्य वर्ग में वह पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा है। इसके अलावा यह परिणाम खास इसीलिए भी हैं कि क्योंकि इस बार सरकारी स्कूलों के परिणाम में उत्साहजनक सुधार हुआ है। आंकड़ों की बात करें तो वार्णिज्य वर्ग में 16 में 13 सरकारी विद्यालयों का परिणाम शत-प्रतिशत रहा है। इसी तरह विज्ञान वर्ग में 49 में से 31 सरकारी विद्यालयों का परिणाम सौ फीसदी रहा है। थोड़ा विस्तार में बात करें तो वाणिज्य वर्ग में 681 विद्यार्थियों में से 661 विद्यार्थी सफल रहे हैं। इनमें 461 प्रथम श्रेणी से उत्तीण हुए हैं। इसी तरह, विज्ञान वर्ग में कुल 4651 विद्यार्थियों में 4194 उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें 3349 प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं। कला वर्ग का परिणाम भी उत्साहजनक रहा है। कुल 17724 विद्यार्थियों में से 8522 प्रथम श्रेणी तथा 6606 द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं। यह परिणाम इसीलिए भी अलग हैं कि क्योंकि सभी संकायों में बेटियों ने बेटों से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं।
देखा जाए तो सरकारी स्कूलों के परिणााम सुधरने के पीछे कई कारण रहे हैं। विद्यार्थियों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए कई तरह की योजनाएं तथा इनाम व छात्रवृत्तियों की बड़ी भूमिका है। इसके लिए सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों के भरने से भी काफी असर पड़ा है। इन सबके अलावा अभिभावकों का सरकारी स्कूलों में विश्वास जताना भी बड़ा कारण माना जा रहा है। सरकारी स्कूलों में बढ़ता नामांकन यह बताता है कि अभिभावक फिर से सरकारी स्कूलों की ओर रुख करने लगे हैं।
प्रदेश स्तर पर श्रीगंगानगर की पहचान खेती व खेलों के लिए है, लेकिन इस बार शिक्षा के क्षेत्र में भी उसने दमदार उपस्थिति दर्ज करवाई है। यह उपलब्धि बड़ी है। इस बड़ी सफलता के लिए विद्यार्थी, उनके अध्यापक व अभिभावक सभी बधाई के पात्र हैं। अभिभावकों की सोच व अध्यापकों की मेहनत के चलते नि:संदेह प्रदर्शन में साल दर सुधार आएगा तथा सरकारी स्कूलों के बारे में बनी धारणा भी टूटेगी, ऐसी उम्मीद करनी चाहिए।

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 राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 23 मई 19 के अंक में प्रकाशित। 

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