Tuesday, June 11, 2019

निशब्द

33वीं लोक कथा
'एक तो तू बिना पूछे बैठे ही क्यों? ऊपर से पैसे भी नहीं दे रही है।' एक अधेड़ महिला को यह घुड़की पिलाते हुए परिचालक ने सिटी बजा दी और बस चल पड़ी। वह बस रुकवाने का आग्रह करते रही, उसका स्टैंड भी निकल गया लेकिन बस नहीं रुकी। करीब चार किलोमीटर चलने के बाद एक बुजुर्ग ने परिचालक से थोड़े तल्ख लहजे में कहा कि इस तरह आपको क्या हासिल होगा। इसका स्टैंड चला गया है, इसको उतार दो। परिचालक बोला, इसको आधा किलोमीटर ही जाना था तो यह बस में बैठी ही क्यों? अब चार किलोमीर पैदल चलेगी तब एहसास होगा और यह दुबारा एेसा कतई नहीं करेगी। चूंकि महिला गलती में थी, इसलिए उससे कुछ बोलते नहीं बना। वह निशब्द थी, लेकिन उसके रुंआसे चेहरे और आंखों में तैरते गुस्से को साफ पढ़ा जा सकता था। बस रुकी और वह चुपचाप उतर गई लेकिन सवारियों में महिला के पक्ष व विपक्ष में चर्चा चल पड़ी।

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