बस यूं ही
फेसबुक पर जरूरी नहीं कि मित्रता आग्रह किसी परिचित या जानकार का ही आए। अजनबी लोग भी आपकी प्रोफाइल देखकर ऐसा कर सकते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मेरे पास किसी बालू जी का मित्रता आग्रह आया। चूंकि मैं उनको जानता नहीं था इसलिए उनकी प्रोफाइल को देखना लाजिमी था। मैंने उनकी प्रोफाइल देखी तो उन्होंने खुद को आल इंडिया रेडिया का अलाउंसर बता रखा था। रहने वाले जयपुर के। कल रात 12 बजे के करीब मेरे पास अचानक उनका मैसेज आया...। मैंने जवाब दिया तो फिर बातों का सिलसिला चल पड़ा है। बातचीत भी एकदम रोचक अंदाज में हुई है। सोचा क्यों ना आप सभी से साझा कर ली जाए।
बालू जी- वाई डोन्ट यू एड मी.... एनी रीजन?
मैं-आप मेरे को जानते हो क्या?
बालू जी-नहीं, नहीं जानता, बट जानना चाहता हूं? क्या नहीं जान सकता? पहली बार किसी ने मेरी रिक्वेस्ट को ठुकराया है, दिल में चोट सी लगी है।
मैं- बोलो क्या जानना चाहते हो? सब बताऊंगा आपको। दिल पर चोट मत लगाओ।
बालू जी- आपने दी है। चोट देने के लिए दिल ही मिला?
मैं- मैं तो ऐसा नहीं करता। भला बिना जाने कैसे कर लेता।
बालू जी-जाने हुए को अपनाया तो क्या अपनाया..... अनजाने को अपना बनाना ही तो बात है।
मैं-हा, हा, हा, दार्शनिक लगते हो?
बालू जी-नहीं
मैं-तो
बालू जी-सिम्पल सा छोटा सा आदमी हूं। इनसान नहीं बन पाया।
मैं-मैं भी ऐसा ही हूं।
बालू जी-शायद थोड़ा सा बना था। एहसास हुआ जब आपने ठुकराया।
मैं-मैंने ठुकराया कब है। बस कन्फर्म ही नहीं किया है।
बालू जी-हम आपके हुए... नहीं आपने हमे अपना लिया.. आगे जो चाहो करो... सच... आपकी मर्जी चलेगी।
मैं- आपका सही नाम क्या है? और आप कहां के हो।
बालू जी- जयपुर का, नाम बालू ही है। शर्मा हूं।
मैं- जमा नहीं।
बालू जी- आप राजपूत हो ना... बामन राजपूत की जोड़ी सदियों से चली आ रही है।
मैं- आपने मेरे में ऐसा क्या देख लिया जो...
बालू जी-जमा नहीं तो आप कोई नाम दे दो, अच्छा सा। कुछ तो है।
मैं-फिर भी
बालू जी-ये दिल है... यही जाने क्यों कैसे किस पे आ जाता है। आपको एतराज तो नहीं कि मेरा दिल आप पे आया।
मैं- मतलब? दिल है या...
बालू जी- या?
मैं-आवारा, जयपुर में कहां रहते हो।
बालू जी- जी नहीं.. ये आवारा तो नहीं मगर ए हसीन जब देखा है तुझको इसे आवारगी आ गई
मैं- बट मैं वो नहीं जिस पर दिल आ जाए।
बालू जी- मतलब?
मैं-और मैं हसीन भी नहीं
बालू जी- इसकी कोई डेफिनेशन नहीं.. क्यों मेरी परीक्षा लिए जा रहे हो थोड़ा तो पिघलो ना।
मैं-मैं तो पूरा बर्फ हूं।
बालू जी- मेरे प्यार व लगाव की तपिश पिघला देगी इसे अगर अपनाओगे।
मैं-आल इंडिया रेडिया में हो क्या आप? क्या करते हो?
बालू जी-लिखा तो है। आदमी ही देखा शरीर की आँखों से देख रहे हो अभी।
मैं- मन की आंखों से भी देख लूंगा बट सच बोलो।
बालू जी-सच, छुपाने का क्या है, लिखा तो है प्रोफाइल में नाम काम सब।
मैं- बात जम नहीं रही। यह मूल नाम नहीं निक नेम सा लगता है।
बालू जी- बस मुझे बालू ही कहते हैं। कोई जासूस छोड़कर पूछ लो।
मैं- स्कूल नाम बताओ?
बालू जी-बालू ही हूं...इतनी परीक्षा ना लो.. ब्लॉक कर दो.. नफरत कर लो.. गाली दे दो.. मत करो प्यार.. कर दो वार
मैं- मैं ऐसा काम नहीं करता। आपने कौन सा गुनाह किया है जो ऐसा कर दूं। शायरी भी करते हो।
बालू जी-क्यों तड़पा रहे हो। इतनी इनक्वायरी कर रहे हो।
मैं-औरतों जैसी बात जो कर रहो
बालू जी-मैंने तो आपके बारे में कुछ नहीं पूछा.. कि कौन हो.. क्या करते हो.. कहां के हो, कहां रहते हो? औरत?????????
मैं- पूछ लो।
बालू जी-बता दो।
मैं- झुंझुनू का हूं।
बालू जी- क्या करते हो?
मैं- टाइम पास। लिखा है आप भी पढ़ लो।
बालू ली- नहीं बताना है तो मत बताओ। नहीं आप ही बताओ अपने मुंह से।
मैं- तो फिर क्या सोच कर रिक्वेस्ट भेजी?
बालू जी-शक्ल देख कर। प्रोफाइल में कुछ पता नहीं चला कि क्या करते हो।
मैं-तो फिर जाने दो, क्यों टाइम खराब कर रहो।
बालू जी-घमंड? ओके बाय। थैक्स फोर गिविंग मी सम टाइम। आई विल नोट बोदर यू एंड मोर डियर सर।
मैं- आस पास ही नहीं। मैंने कब कहा झेलने के लिए। ओके बाय।
इसके बाद बालू जी ऑफ लाइन हो गए। उनके प्रोफाइल में जो फोटो भी दिख रही थी, वह भी गायब हो गई। नीचे मैसेज में लिखा था कि शायद उन्होंने सेंटिंग बदल ली है। करीब आधा घंटे के इस वार्तालाप के बाद घड़ी रात के 12.38 बजा रही थी। और मैं कम्प्यूटर शट डाउन कर सोने चला गया।