Saturday, June 30, 2018

दोहे -2

1.
रिश्तो जगत में प्रेम को
ओ ही रिश्तों खास
उम्मीदा री आंधी मं
अब थारी ही आस
2.
अब थारी ही आस मंनै,
और थारों ही है विश्वास
सगळा साथी छोड़ गया
जो सब था म्हारा खास
3.
मैं पुज़ारी राम रो
राम ही म्हारो खास
राज रुठग्यो सांवरा
अब थारी ही आस
4.
सांच कहूं सांच लिखूं
सदा सांच रो देऊं साथ
झूठ परीक्षा लेवे सांवरा
अब थारी ही आस
5.
कदमां सूं धरती नापूं
निजरां सूं आकाश
सुपनों सांचो ना हुवै
अब थारी ही आस
6.
धरा तपै, धूळ उडे़
सूनो सूनो आकाश
बादल बरसा सांवरा
अब थारी ही आस
7.
काग उडावै गोरडी
पिव बिन हुई उदास
पीड़ा मेरी हर सांवरा
अब थारी ही आस
8.
साजन म्हारो सायबो
साजन ही उजास
औळू आवै पीवजी
कद आवण की आस
9.

  लूवां चालै जुलम करै है ,
तावड़ियो तड़पावै है ।
बेगो बरस सांवरा अब तो ,
जीव घणों दुख पावै है ।। 

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