टिप्पणी
सुरक्षा व सुविधाओं पर सवाल तब भी उठे थे, और आज भी यथावत हैं। व्यवस्थाओं में खामियों के जुमले तब भी बने जो अब चरम पर पहुंच गए हैं। अनिष्ट की आशंकाओं के बादल तो पहले दिन ही मंडरा गए थे, जब एक सांड अचानक हवाई पट्टी पर आ गया था। हवाई सेवा शुरू करने में बरती गई जल्दबाजी पर तंज तब भी कसे गए थे, जो अब मजाक में तब्दील हो चुके हैं। यह सब इतना आनन-फानन व जल्दबाजी में हुआ कि एक माह के भीतर इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। श्रीगंगानगर से जयपुर के बीच शुरू हुई हवाई सेवा ने लोगों को खुशी तो दी लेकिन लालगढ़ हवाई पट्टी के हालात देखकर ऐसा कोई नहीं था, जिसने प्रसन्नता जताई। पहले दिन जयपुर से उडकऱ विमान जब लालगढ़ की हवाई पट्टी पर उतरा तो उसे देखने जनसैलाब उमड़ा लेकिन सुविधाओं व सुरक्षा के नाम जो थोड़ा बहुत पहले दिन दिखाई दिया वह दूसरे दिन सिरे से गायब था। खैर, हवाई सेवा चालू तो हुई लेकिन हवाई पट्टी जाने व आने वाले यात्रियों के लिए या बिजली या पानी तक की व्यवस्था नहीं है। हवाई पट्टी के चारों तरफ चारदीवारी भी नहीं है। हवाई सेवा की बुकिंग वैसे तो ऑनलाइन होती है फिर भी सीट खाली रहने की स्थिति में एक युवक टिकट काटता है। यह सब ठीक उसी तर्ज पर होता है जैसे किसी देहाती इलाके में खुले में खड़े होकर बस परिचालक यात्रियों को टिकट थमाता है। गंभीर विषय तो यह है कि हवाई पट्टी के नजदीक सैनिक छावनी होने के बावजूद यात्रियों की जांच-पड़ताल तक की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थायी एंबुलेंस व चिकित्सकों की टीम जैसा भी यहां कुछ नहीं है। बड़े विमान उतरने के लिए यह हवाई पट्टी वैसे भी अनुकूल नहीं है। इसके विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण का मामला भी राज्य सरकार के पास विचाराधीन है।
बहरहाल, संतोष करने की बात यह है कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन इसकी वजह से कितनों की सांसें एकबारगी के लिए थमी, उसका कोई अंदाजा नहीं है। माना हवाई सेवा मौजूदा समय की जरूरत है लेकिन सुविधाओं और सुरक्षा को दरकिनार कर मानव जीवन को खतरे में डालने वाली सेवा किस काम की। हवाई पट्टी के हालात देखते हुए यह कहना उचित होगा कि हवाई सेवा आधी अधूरी तैयारियों के साथ जल्दबाजी में शुरू की गई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस मामले में गंभीरता से विचार करेगी तथा जो खामियां व कमियां हैं, उनका तुरंत निराकरण करवाएगी ताकि हवाई यात्रा करने वालों के जेहन में किसी तरह की आशंका पैदा ही न हो।
राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 09 अगस्त 18 के अंक में प्रकाशित ।
सुरक्षा व सुविधाओं पर सवाल तब भी उठे थे, और आज भी यथावत हैं। व्यवस्थाओं में खामियों के जुमले तब भी बने जो अब चरम पर पहुंच गए हैं। अनिष्ट की आशंकाओं के बादल तो पहले दिन ही मंडरा गए थे, जब एक सांड अचानक हवाई पट्टी पर आ गया था। हवाई सेवा शुरू करने में बरती गई जल्दबाजी पर तंज तब भी कसे गए थे, जो अब मजाक में तब्दील हो चुके हैं। यह सब इतना आनन-फानन व जल्दबाजी में हुआ कि एक माह के भीतर इसके दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। श्रीगंगानगर से जयपुर के बीच शुरू हुई हवाई सेवा ने लोगों को खुशी तो दी लेकिन लालगढ़ हवाई पट्टी के हालात देखकर ऐसा कोई नहीं था, जिसने प्रसन्नता जताई। पहले दिन जयपुर से उडकऱ विमान जब लालगढ़ की हवाई पट्टी पर उतरा तो उसे देखने जनसैलाब उमड़ा लेकिन सुविधाओं व सुरक्षा के नाम जो थोड़ा बहुत पहले दिन दिखाई दिया वह दूसरे दिन सिरे से गायब था। खैर, हवाई सेवा चालू तो हुई लेकिन हवाई पट्टी जाने व आने वाले यात्रियों के लिए या बिजली या पानी तक की व्यवस्था नहीं है। हवाई पट्टी के चारों तरफ चारदीवारी भी नहीं है। हवाई सेवा की बुकिंग वैसे तो ऑनलाइन होती है फिर भी सीट खाली रहने की स्थिति में एक युवक टिकट काटता है। यह सब ठीक उसी तर्ज पर होता है जैसे किसी देहाती इलाके में खुले में खड़े होकर बस परिचालक यात्रियों को टिकट थमाता है। गंभीर विषय तो यह है कि हवाई पट्टी के नजदीक सैनिक छावनी होने के बावजूद यात्रियों की जांच-पड़ताल तक की कोई व्यवस्था नहीं है। स्थायी एंबुलेंस व चिकित्सकों की टीम जैसा भी यहां कुछ नहीं है। बड़े विमान उतरने के लिए यह हवाई पट्टी वैसे भी अनुकूल नहीं है। इसके विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण का मामला भी राज्य सरकार के पास विचाराधीन है।
बहरहाल, संतोष करने की बात यह है कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन इसकी वजह से कितनों की सांसें एकबारगी के लिए थमी, उसका कोई अंदाजा नहीं है। माना हवाई सेवा मौजूदा समय की जरूरत है लेकिन सुविधाओं और सुरक्षा को दरकिनार कर मानव जीवन को खतरे में डालने वाली सेवा किस काम की। हवाई पट्टी के हालात देखते हुए यह कहना उचित होगा कि हवाई सेवा आधी अधूरी तैयारियों के साथ जल्दबाजी में शुरू की गई है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार इस मामले में गंभीरता से विचार करेगी तथा जो खामियां व कमियां हैं, उनका तुरंत निराकरण करवाएगी ताकि हवाई यात्रा करने वालों के जेहन में किसी तरह की आशंका पैदा ही न हो।
राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 09 अगस्त 18 के अंक में प्रकाशित ।
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