स्मृति शेष
आखिरकार जिसका अंदेशा था, वही हुआ। उम्मीद की किरण बुझ गई। दिल का दौरा पड़ने के बाद दो दिन से जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे आईजी बीएस मरावी के निधन की घोषणा मंगलवार को कर दी गई। वे हर बार मौत को छकाते आए, लेकिन सेहत को दरकिनार कर काम को तरजीह देने का शगल, इस बार भारी पड़ गया। यह काम के प्रति जुनून का ही नतीजा था कि शुगर के मरीज होने के बाद भी उन्होंने शासन के आदेश को सिर-आंखों पर लिया और तत्काल बिलासपुर रेंज के आईजी का चुनौतीपूर्णपद संकट और संक्रमण के दौर में ग्रहण किया। चाहते तो वे बीमारी का हवाला देकर इसे नकार भी सकते थे लेकिन काम के प्रति उनके जोश, जज्बे और जुनून ने ऐसा करने नहीं दिया। एसपी राहुल शर्मा की मौत के बाद बिगड़े हालात सुधरते, आमजन में पुलिस का विश्वास बहाल हो पाता, सदमे से सहमे आमजन व पुलिसकर्मी सामान्य होते, खाकी पर लगे धब्बे धुलते, उससे पहले ही काल ने एक योग्य, मेहनती, जांबाज, कर्मठ और जुझारू अफसर छीन लिया। यह भी एक संयोग है कि अनियमित दिनचर्या तथा काम के प्रति दीवानगी के चलते मरावी को शुगर जैसे रोग ने चपेट में ले लिया और आखिरी समय में भी काम की अधिकता ही उनके दिल के दौरे की वजह बनी।
दरअसल, आरामतलबी न तो उनके व्यवहार में थी और न ही खून में। वे वातानुकूलित कक्षों में बैठकर दिशा-निर्देश जारी करने के बजाय मौके पर पहुंचने में ज्यादा विश्वास करते थे। काम के प्रति समर्पण ऐसा था कि न दिन देखते थे न रात। तभी तो छत्तीसगढ़ जैसे विषम परिस्थितियों वाले राज्य में अपनी दबंग छवि एवं व्यवहार कुशलता के बलबूते उन्होंने आमजन में गहरी पैठ बनाई। पुलिस विभाग में रहते हुए भी लोगों का विश्वास जीता। जमीन से जुड़े होने के कारण वे व्यवहार कुशल थे और जनता के दर्द को बखूबी समझते थे। तभी तो उनका असमय इस तरह चले जाना सबको अखर रहा है। पुलिस लाइन में इस बहादुर असफर को श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों की भीगी पलकें इस बात की गवाही दे रही थी कि वाकई आज छत्तीसगढ़ ने एक दिलेर, दबंग, मदृभाषी एवं मिलनसार अफसर खो दिया है। फर्श से अर्श तक पहुंचने में उनकी मेहनत एवं काबिलियत का ही प्रमुख योगदान रहा। स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर काम करने के उनके तौर-तरीकों से भले ही कोर्इ उचित न ठहराए लेकिन पुलिस जैसे अनुशासन एवं चुनौतीपूर्ण काम वाले विभाग में मरावी एकदम फिट बैठते थे। ऐसा लगता था वे पुलिस के लिए ही बन थे। पुलिस की परिभाषा में एकदम खरे उतरने के मरावी जैसे उदाहरण कम ही हैं। उनके निधन से आमजन अवाक जरूर है, लेकिन जाते-जाते वे एक ऐसी सीख जरूर दे गए जो कालान्तर में किसी प्रेरणा से कम नहीं होगी। एक ऐसी प्रेरणा, जिसकी मौजूदा पुलिस महकमे को महत्ती आवश्यकता है। पुलिस के इस अनुशासित एवं जांबाज अफसर को नमन।
साभार : पत्रिका बिलासपुर के 04 अप्रैल 12 के अंक में प्रकाशित
वाह क्या बात है ...मेरा भी साईट देखना प्ल्ज़ .मैं भी कुछ लिखता हूँ www.shabbirkumar.co.cc
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