Monday, April 1, 2013

कुछ तो ऐसा कीजिए, जो याद रखें

टिप्पणी 

श्रीमान, आयुक्त, नगर निगम, भिलाई
निगम आयुक्त का पदभार संभालने के बाद आपने शहर की बदहाल सड़कों को ठीक करने की दिशा में तत्परता दिखाते हुए ठेकेदारों के खिलाफ जो कार्रवाई की थी, उसको लोग अभी भूले नहीं हैं। यह बात दीगर है कि सड़कों की दशा में ज्यादा सुधार नहीं हो पाया। इसका प्रमुख कारण यह है कि आप जितनी मेहनत कर रहे हैं, उसका उतना न तो प्रतिफल मिल रहा है और ना ही कहीं प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है। यह भी विडम्बना है कि भिलाई निगम क्षेत्र में आपके नेतृत्व में कई तरह के अभियान तो चलाए गए, लेकिन मंजिल तक कोई नहीं पहुंचा। अभियानों का आगाज जरूर प्रभावी अंदाज में हुआ, लेकिन उद्देश्य की पूर्ति किसी से भी नहीं हुई। सभी अभियानों का हश्र कमोबेश एक जैसा ही रहा और सभी पूर्ण होने से पहले ही दम तोड़ गए।
आपके खाते में ऐसे अधूरे अभियानों की फेहरिस्त बेहद लम्बी है। शहर में सरकारी आवासों से अवैध कब्जों को हटाने की मुहिम बड़े जोर-शोर से शुरू हुई थी, लेकिन कब्जे कितने हटे आप भी जानते हैं। यही हाल नाले पर अतिक्रमण हटाने का रहा। महज दो दिन फूं फां करके आपका अमला अचानक चुपचाप बैठ गया। नेहरूनगर के आवासों में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने वालों को नोटिस देकर कार्रवाई के नाम पर रहस्यमयी चुप्पी साध ली गई। यही नहीं शहर में अवैध तथा बिना टोंटी के नलों को बंद करने की कार्रवाई भी पता नहीं क्यों बंद हो गई। गर्मी के मौसम में आज भी शहर के कई हिस्से पानी के लिए तरस रहे हैं। इधर, सुपेला में रविवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार को दूसरी जगह स्थानांतरित करने को भले ही आप और आपके मातहत बड़ी उपलब्धि मानें, लेकिन आज भी सुपेला की सड़क अतिक्रमण से मुक्त नहीं है। सड़क पर न केवल अस्थायी दुकानें बेखौफ लग रही हैं, बल्कि स्थायी दुकान वालों ने भी सामान सड़क तक खिसका कर कब्जा जमा लिया है। यकीन नहीं हो तो आप स्वयं मौका देख सकते हैं।
शहर में सर्वाधिक चर्चा तो सर्विस लेन से कब्जे हटाने की कार्रवाई को लेकर हो रही है। दो-चार दिन कार्रवाई चली, उसके बाद आप अवकाश पर चले गए और आपके मातहतों को अभियान बंद करने की जोरदार वजह मिल गई। पहले तो वे कहते रहे कि आयुक्त आएंगे तब कार्रवाई होगी, लेकिन आपके लौटने के बाद भी कोई हलचल नहीं हुई। उलटे जहां से कब्जे हटाए गए थे, वहां अतिक्रमी फिर से काबिज हो गए। अभियानों का इस तरह गला घोंटने से आपकी एवं मातहतों की कार्यप्रणाली पर कई तरह के सवालिया निशान और अवैध वसूली के चक्कर में अभियान से समझाौता करने तक के आरोप लग रहे हैं। इन सवालों और आरोपों का पटाक्षेप तभी होगा, जब तमाम तरह के हस्तक्षेप एवं दवाबों को नजरअंदाज कर अधूरे  अभियानों को कारगर कार्रवाई कर पूर्ण किया जाए। बेहतर होगा जनहित से जुड़े अभियानों का आप स्वयं औचक निरीक्षण करें। और अगर अभियानों में इसी तरह  औपचारिकता ही निभानी है तो बेहतर है उनको शुरू ही नहीं किया जाए।
बहरहाल, आम जन से जुड़े अभियानों का इस तरह गला मत घोंटने दीजिए। उनको जिंदा रखिए। अभियान जिंदा रहेंगे तभी आमजन को राहत मिलेगी। एक बात और, आरामतलबी एवं कामचोरी आपके जिन मातहतों की आदत में आ चुकी है, इनके लिए दिशा-निर्देश या फटकार किसी भी सूरत में कारगर नहीं हो सकते। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ाई जरूरी है। अगर आप वाकई में कुछ करने का माद्दा रखते हैं तो आपको जनहित में कड़े फैसले व सख्त कार्रवाई से हिचकिचाना नहीं चाहिए। बात चाहे आपके मातहतों की हो या फिर अभियानों की, कुछ तो ऐसा कीजिए, ताकि भिलाई के लोग आपको कुशल व दक्ष अधिकारी के रूप में लम्बे समय तक याद रखें। 

 
साभार- पत्रिका भिलाई के 31 मार्च 13 के अंक में प्रकाशित। 

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