Thursday, November 28, 2013

क्रिकेट... सचिन... और मैं...(1)


बस यूं ही

 
सुबह घर से कार्यालय के लिए निकला था उस वक्त वेस्टइंडीज के दूसरी पारी के पांच विकेट गिर चुके थे। आखिरकार वैसा हुआ जैसी संभावना थी। लंच का समय आते-आते वेस्टइंडीज की पूरी टीम सिमट गई और भारत मैच जीत गया था। मैंने कार्यालय की मीटिंग से फारिग होकर कम्प्यूटर पर नजर डाली तो न्यूज वेबसाइट पर पट्टी चल रही थी। भारत टेस्ट जीता, मैदान से लौटते वक्त सचिन की आंखों में आंसू। मैं कम्प्यटूर शट डाउन करके केबिन से निकला ही था कि श्रीमती की कॉल आ गई। बोली सचिन की फेयरवेल चल रही है, टीवी पर लाइव आ रहा है जल्दी से घर आ जाओ। मैं तत्काल घर पहुंचा। ससुर जी एवं श्रीमती दोनों टीवी के सामने जमे थे। उस वक्त रवि शास्त्री ने माइक संभाल रखा था। उन्होंने सचिन को बुलाया। शरद पवार ने उनको श्रीलंका की तरफ से प्रतीक चिन्ह भेंट किया। इसके बाद वेस्टइंडीज के कप्तान आए। इसके बाद जब सचिन को फिर कुछ कहने के लिए बुलाया गया तो समूचे स्टेडियम में सन्नाटा पसरा था। सचिन इतने भावुक हो गए थे कि कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे। भावनाओं पर काबू पाते हुए उन्होंने बोलना शुरू तो किया लेकिन बार-बार सूखे होठों पर जीभ फेरते सचिन की मनोदशा समझी जा सकती थी। उन्होंने अपनी बात पूरी करने तक तीन-चार बार पानी भी पीया। सचिन की एक-एक बात सुनकर लोग भावुक थे। वानखेड़े स्टेडियम में मौजूद सभी लोग गमगीन थे। सबकी आंखों में नमी थी। क्या युवा, क्या बड़े, यहां तक विदेशी भी यह नजारा देखकर उदास थे। सबके चेहरे लटके हुए थे। सचिन-सचिन की गूंज के बीच संवदेनाओं का सैलाब सा आ गया था। सचिन की पत्नी, पुत्र एवं पुत्री भी रोने लगे थे। सचमुच स्टेडियम पर ऐसा नजारा मैंने आज तक नहीं देखा। इधर, हमारी दशा भी ऐसी ही थी। आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बहने लगी, बगल में बैठी धर्मपत्नी का भी यही हाल था। आगे कुर्सी पर बैठे ससुर जी भी बार-बार चश्मे को ऊपर कर गीली आंखों को पौंछ रहे थे। सचमुच भावनाओं की बारिश हो रही थी। वानखेड़े स्टेडियम में भी और बाहर भी। सचिन क्रिकेट से विदा हो गए लेकिन दिल में हमेशा रहेंगे, जिंदगीभर। आज बस इतना ही.. भावनाओं पर काबू नहीं है। कल क्रिकेट, सचिन व खुद के बारे में कुछ लिखा तो फेसबुक के साथी भाई तौफिक ने कहा सर, आप इमोशनल हो गए। सचमुच तौफिक भाई मैं हूं ही भावुक एवं संवदेनशील... आज फिर इमोशनल हो गया हूं। क्रिकेट एवं सचिन को लेकर शायद पहली बार इतना.. भावुक। और इसी भावुकता के साथ कई पुरानी यादें भी ताजा हो गई हैं। यादों के बारे में फिर कभी आज तो बस इतना ही... सलाम सचिन..। क्रमश:

No comments:

Post a Comment