बस यूं ही
सरकारी कामों के बारे में कहा जाता है वो कि अक्सर देर से ही पूर्ण होते हैं। इस तरह के उदाहरण कई हैं। एक मामला तो मेरे गांव केहरपुरा कलां से भी जुड़ा हैं। मामला अतिक्रमण से संबंधित हैं। गांव के राजकीय औषधालय से चानणा जोहड़ तक के रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण के संबंध में स्व. जयपालसिंह शेखावत के सुपुत्र देवेन्द्रसिंह ने पिछले माह राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई थी। देवेन्द्र ने अभी 14 दिसम्बर को पोर्टल से इस मामले की अपडेट जानकारी ली तो मामला अपने आप में दिलचस्प निकला। इसमें बताया गया है कि 'प्रकरण में उपखंड अधिकारी चिड़ावा की रिपोर्ट के अनुसार उक्त प्रकरण में तहसीलदार चिड़ावा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार उक्त रास्ता राजस्व रिकार्ड में कटानी रास्ते के रूप में दर्ज है। ग्राम से निकलने के बाद लगभग सौ फीट तक दोनों तरफ के काश्तकारों ने पक्की दीवार बना रखी है एवं मौके पर रास्ता 10-11 फीट चौड़ा है। पूर्व में सीमा ज्ञान करवाकर रास्ता खोल दिया गया था। वर्तमान में लगभग 16-17 फीट चौड़ा रास्ता चालू अवस्था में है तथा अतिक्रमियों के विरुद्ध धारा 91 की रिपोर्ट की जा चुकी है।'
यह रिपोर्ट या तो निहायत ही बेवकूफ कर्मचारी ने बनाई है। या फिर इसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया गया है। या या फिर किसी डेढ़ स्याणे ने दिमाग लगाकर यह जवाब लिखा है। बहरहाल,चंद सवाल चिड़ावा के उपखंड अधिकारी व तहसीलदार दोनों से है। यही सवाल मैं इन दोनों अधिकारियों से करने की कोशिश करूंगा। मसलन,
1 .क्या उपखंड अधिकारी व तहसीलदार ने कभी मौका देखा है?
2. क्या इन दोनों अधिकारियों को पूर्व की तथा बाद की स्थिति की वास्तविक जानकारी है?
3. कहीं नीचे का कोई कर्मचारी इन दोनों अधिकारियों को अंधेरे में तो नहीं रख रहा?
4. इस मामले में अधिकारियों पर किसी तरह का कोई दवाब तो नहीं है?
5. इस तरह की रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज कौन करता है? तथा किसके निर्देश पर दर्ज करता है?
6. रास्ता पहले 10-11फीट था तो अब 16-17 फीट चौड़ा कैसे हो गया वह भी बिना दिवार तोड़े?
7. रास्ता बंद ही कब हुआ था तो रिपोर्ट में रास्ता चालू होने पर जोर क्यों व किसलिए?
8. रिपोर्ट का जवाब बेहद गोलमाल है। इसमें समस्या का समाधान होगा या नहीं यह नहीं बताया गया?
9. सीमाज्ञान करवाया गया तो कितने फीट पर करवाया गया?
10. इस मामले में पंचायत की भूमिका क्या रही है और क्या होगी?
गांव के युवाओं को भी इस तरह के मामलों में पहल करनी चाहिए क्योंकि यह भी एक तरह की सेवा ही है।
सरकारी कामों के बारे में कहा जाता है वो कि अक्सर देर से ही पूर्ण होते हैं। इस तरह के उदाहरण कई हैं। एक मामला तो मेरे गांव केहरपुरा कलां से भी जुड़ा हैं। मामला अतिक्रमण से संबंधित हैं। गांव के राजकीय औषधालय से चानणा जोहड़ तक के रास्ते पर हो रखे अतिक्रमण के संबंध में स्व. जयपालसिंह शेखावत के सुपुत्र देवेन्द्रसिंह ने पिछले माह राजस्थान संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई थी। देवेन्द्र ने अभी 14 दिसम्बर को पोर्टल से इस मामले की अपडेट जानकारी ली तो मामला अपने आप में दिलचस्प निकला। इसमें बताया गया है कि 'प्रकरण में उपखंड अधिकारी चिड़ावा की रिपोर्ट के अनुसार उक्त प्रकरण में तहसीलदार चिड़ावा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार उक्त रास्ता राजस्व रिकार्ड में कटानी रास्ते के रूप में दर्ज है। ग्राम से निकलने के बाद लगभग सौ फीट तक दोनों तरफ के काश्तकारों ने पक्की दीवार बना रखी है एवं मौके पर रास्ता 10-11 फीट चौड़ा है। पूर्व में सीमा ज्ञान करवाकर रास्ता खोल दिया गया था। वर्तमान में लगभग 16-17 फीट चौड़ा रास्ता चालू अवस्था में है तथा अतिक्रमियों के विरुद्ध धारा 91 की रिपोर्ट की जा चुकी है।'
यह रिपोर्ट या तो निहायत ही बेवकूफ कर्मचारी ने बनाई है। या फिर इसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया गया है। या या फिर किसी डेढ़ स्याणे ने दिमाग लगाकर यह जवाब लिखा है। बहरहाल,चंद सवाल चिड़ावा के उपखंड अधिकारी व तहसीलदार दोनों से है। यही सवाल मैं इन दोनों अधिकारियों से करने की कोशिश करूंगा। मसलन,
1 .क्या उपखंड अधिकारी व तहसीलदार ने कभी मौका देखा है?
2. क्या इन दोनों अधिकारियों को पूर्व की तथा बाद की स्थिति की वास्तविक जानकारी है?
3. कहीं नीचे का कोई कर्मचारी इन दोनों अधिकारियों को अंधेरे में तो नहीं रख रहा?
4. इस मामले में अधिकारियों पर किसी तरह का कोई दवाब तो नहीं है?
5. इस तरह की रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज कौन करता है? तथा किसके निर्देश पर दर्ज करता है?
6. रास्ता पहले 10-11फीट था तो अब 16-17 फीट चौड़ा कैसे हो गया वह भी बिना दिवार तोड़े?
7. रास्ता बंद ही कब हुआ था तो रिपोर्ट में रास्ता चालू होने पर जोर क्यों व किसलिए?
8. रिपोर्ट का जवाब बेहद गोलमाल है। इसमें समस्या का समाधान होगा या नहीं यह नहीं बताया गया?
9. सीमाज्ञान करवाया गया तो कितने फीट पर करवाया गया?
10. इस मामले में पंचायत की भूमिका क्या रही है और क्या होगी?
गांव के युवाओं को भी इस तरह के मामलों में पहल करनी चाहिए क्योंकि यह भी एक तरह की सेवा ही है।
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