Saturday, August 4, 2018

चंडीगढ़ यात्रा-15


संस्मरण
हम पार्क का भ्रमण पूरा कर चुके थे। बस पार्क से निकलने ही वाले थे। खैर, एक बात जो छूट गई है, उसका जिक्र नहीं करूंगा तो यह संस्मरण बेमानी होगा। हो सकता मेरी बात सुनकर आप आश्चचर्य से उछल पड़ें या दांतों तले अंगुली दबा लें। बात यह है कि रोज गार्डन में एक दिल का पेड़ भी है। इतना ही नहीं उसकी टहनियों पर असंख्य दिल लटके हुए हैं और जब हवा चलती है तो यह पेड़ बड़ी ही कर्णप्रिय आवाज निकालता है। जितनी तेज हवा, उतनी ही तेज आवाज। लाल रंग के कई दिल देखकर मैं चौंक गया और झट से इस पेड़ के नीचे चला गया। सरसरी नजर से देखने पर तो मैं तय नहीं कर पाया कि यह किसका पेड़ है। नजदीक जाकर गौर से देखा तो यह कृत्रिम पेड़ था। पुष्टि के लिए भतीजे और भानजे से हां भी भरवाई। फिर इस पेड़ के दो चार फोटो भी लिए। सरियों को मोड़कर पेड़ की शाखाएं बना दी गई और उनमें असंख्य विंड चाइम लटके हुए थे। इनके साथ ही लोहे की चपटे आकार में दिलनुमा पत्तियां बनाकर उन पर लाल रंग किया हुआ था। यह सब इतनी कलाकारी के साथ किया हुआ है देखने वाला एकबारगी तो धोखा खा ही जाता है। बड़ी बात यह भी कि इस कृत्रिम पेड़.पर परिंदों ने घोसला भी बना लिया था। वैसे बताता चलूं कि कि विंड चाइम का फेंगसुई व वास्तु में खासा महत्व है। माना जाता है कि विंड चाइम में बहुत सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो घर में उन्नति और समृद्धि लाती है, हालांकि पार्क में विंड चाइम लगाने के पीछे क्या मकसद रहा यह तो मुझे पता नहीं चला। हो सकता है यहां भी सकारात्मक ऊर्जा वाले फंडे को अपनाकर ही इसको लगाया गया हो। विंड चाइम का इन दिनों प्रचलन वैसे भी कुछ ज्यादा ही है। लोग घरों के अलावा दुकानों में भी इसको लगाने लगे हैं। विंड चाइम की भी एक अलग दुनिया है, मलसन, गुडलक के लिए अलग, समृद्धि व स्वास्थ्य के लिए अलग। विंड चाइम में कितनी राड लगाएं, कौन सी धातु की लगाएं तथा इसकी दिशा क्या हो, यह भी पूरा ध्यान रखा जाता है। खैर, यह अलग विषय है। हम पार्क से बाहर निकले, फिर नीबू पानी पीया लेकिन उसने नमक कुछ ज्यादा ही डाल दिया, लिहाजा स्वाद बेमजा हो गया। इसके बाद हम कार की तरफ बढे।
क्रमश:

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