Friday, October 19, 2018

नदी होकर भी नाली कहलाती है राजस्थान की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय नदी



हिमाचल व पंजाब में अच्छी बरसात के कारण नदी में पानी की जोरदार आवक
श्रीगंगानगर. यह मौसमी नदी है और इसका बहना बारिश पर निर्भर करता है। ज्यादा बारिश होती है तो यह सरहद लांघ जाती हैं, अन्यथा देश की सीमा तक ही सीमित रहती है। खास बात यह है कि जब यह देश की सीमा में रहती है तो घग्घर कहलाती है लेकिन सरहद पार कर पाकिस्तान प्रवेश करती है तब इसका नाम हकरा हो जाता है। रोचक तथ्य यह भी जुड़ा है कि श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी को नदी के बजाय नाली कहा जाता है। 
हिमाचल व पंजाब में अच्छी बरसात होने के कारण इन दिनों घग्घर में पानी की जोरदार की आवक हो रही है। लंबे समय बाद घग्घर में पानी की आवक से किसान खुशी हैं। घग्घर का पानी हनुमानगढ़ जिले की सीमा से निकलकर श्रीगंगानगर जिले में जैतसर से आगे तक पहुंचा चुका है। धीरे-धीरे यह अनूपगढ़ की ओर बढ़ रहा है। वैसे घग्घर नदी राजस्थान की आंतरिक प्रवाह की सबसे लंबी नदी है। यह हिमाचल प्रदेश में कालका के पास शिवालिक पहाडिय़ों से निकलती है। पंजाब व हरियाणा में बहते हुए यह नदी हरियाणा सीमा से सटे हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी से राज्य में प्रवेश करती है। 
हनुमानगढ़ के ही भटनेर दुगज़् के पास आकर यह नदी अक्सर खत्म हो जाती है। बारिश ज्यादा होने के कारण नदी का पानी हनुमानगढ़ से श्रीगंगानगर जिले में प्रवेश कर जाता है। श्रीगंगानगर से सूरतगढ़, जैतसर, अनूपगढ़ होते हुए यह नदी पाकिस्तान के बहावलपुर जिले में प्रवेश कर जाती है। कुछ लोगों का मत है कि इसी नदी के किनारे ही कालीबंगा सभ्यता विकसित हुई थी। 
तब पानी में होती 
है गश्त
घग्घर का पानी श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ क्षेत्र से पाकिस्तान में प्रवेश करता है। यह बिंजौर गांव के पास है। घग्घर के बहाव क्षेत्र में लैला-मजून की मजार तथा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ ) की पोस्ट भी है। यहां पर पानी झील का रूप से ले लेता है। ऐसे में सीमा सुरक्षा बल के जवानों को तारबंदी के इस पार पानी में ही गश्त करनी पड़ती है। यह तब होता है जबकि पानी की आवक ज्यादा हो जाती है। 
23 साल पहले आया सवाज़्धिक पानी
घग्घर नदी में 23 साल पहले 1995 में बीते तीन दशक में सवाज़्धिक आवक हुई। हनुमानगढ़ के पास बंधा टूटने से शहर का अधिकांश हिस्स जलमग्न हो गया था। इससे बाढ़ के से हालात बन गए थे। इसके बाद पानी की आवक हर साल घटती ही रही। बीते तीन-चार साल में तो आवक और भी कम हो गई। वतज़्मान में पानी की आवक बढऩे की बात कही जा रही है।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ संस्करण में 02 अक्टूबर 18 को प्रकाशित 

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