मेरी 12वीं कहानी
हाथ जोड़ हुए और चेहरे पर मासूमियत के भाव लिए उसने मेरे कक्ष में प्रवेश किया। मैं उसकी मनोदशा देखकर सोच में डूब गया कि हमेशा हंसमुख रहने वाला मल्टीनेशनल कंपनी का जनरल मैनेजर आज इस तरह के हावभाव में कैसे? वह हाथ जोड़े-जोड़े ही कुर्सी पर बैठ गया। वह कुछ बोलता उससे पहले मैंने ही सवाल दागा, क्या हुआ आनंद जी? आप इतने उदास क्यों हैं? क्या बात हो गई? उसने कहा, सर मेरी धर्मपत्नी शहर में एक क्लिनिक चलाती है। शादी के बाद मैंने उसको बहुत कम समय दिया है। उसका अब 31 दिसम्बर को जन्मदिन आ रहा है और मैं उसको सरप्राइज गिफ्ट देना चाहता हूं। जवाब सुनकर मैं चौंका और मन ही मन बुदबुदाया, सरप्राइज गिफ्ट का भला अखबार से क्या वास्ता। मैंने पूछा, सरप्राइज गिफ्ट आपको देना है तो फिर मेरे को क्यों बता रहे हो और मेरे पास क्यों आए हो। यह तो आप दोनों के आपस का मामला है। वह कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो गया और बोला सर प्लीज, मेरी मदद कीजिए। मैं समझ नहीं पा रहा था कि वह मेरे से किस तरह की मदद की उम्मीद लेकर आया। मैंने हिम्मत बंधाते हुए कहा आनंद जी, घबराइए मत, निसंकोच बताइए। इतना सुनकर वह कहने लगा कि सर, कल विवि में दीक्षांत समारोह है। मेरी धर्मपत्नी को भी उसमें डिग्री मिलेगी। अगर आप उसकी फोटो अखबार में छाप दें तो यह उसके लिए सरप्राइज गिफ्ट होगा। जवाब सुनकर मैं मन ही मन मुस्कुराया। किसी तरह अपनी हंसी को काबू करते हुए मैं उसको देखता रहा, लेकिन वह तो जैसे ठोस आश्वासन पाने की जिद पर ही अड़ा था। आखिरकार मैंने कहा समारोह तो परसों है ना, कोई नहीं देख लेते हैं। मेरा जवाब सुनकर उसके चेहरे पर खुशी आई और जोश से हाथ मिलाते हुए थैंक्यू सर कह कर वो चला गया पर सरप्राइज गिफ्ट की बात से मैं सरप्राइज था। सोच रहा था क्या-क्या करने लगे हैं लोग।
हाथ जोड़ हुए और चेहरे पर मासूमियत के भाव लिए उसने मेरे कक्ष में प्रवेश किया। मैं उसकी मनोदशा देखकर सोच में डूब गया कि हमेशा हंसमुख रहने वाला मल्टीनेशनल कंपनी का जनरल मैनेजर आज इस तरह के हावभाव में कैसे? वह हाथ जोड़े-जोड़े ही कुर्सी पर बैठ गया। वह कुछ बोलता उससे पहले मैंने ही सवाल दागा, क्या हुआ आनंद जी? आप इतने उदास क्यों हैं? क्या बात हो गई? उसने कहा, सर मेरी धर्मपत्नी शहर में एक क्लिनिक चलाती है। शादी के बाद मैंने उसको बहुत कम समय दिया है। उसका अब 31 दिसम्बर को जन्मदिन आ रहा है और मैं उसको सरप्राइज गिफ्ट देना चाहता हूं। जवाब सुनकर मैं चौंका और मन ही मन बुदबुदाया, सरप्राइज गिफ्ट का भला अखबार से क्या वास्ता। मैंने पूछा, सरप्राइज गिफ्ट आपको देना है तो फिर मेरे को क्यों बता रहे हो और मेरे पास क्यों आए हो। यह तो आप दोनों के आपस का मामला है। वह कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो गया और बोला सर प्लीज, मेरी मदद कीजिए। मैं समझ नहीं पा रहा था कि वह मेरे से किस तरह की मदद की उम्मीद लेकर आया। मैंने हिम्मत बंधाते हुए कहा आनंद जी, घबराइए मत, निसंकोच बताइए। इतना सुनकर वह कहने लगा कि सर, कल विवि में दीक्षांत समारोह है। मेरी धर्मपत्नी को भी उसमें डिग्री मिलेगी। अगर आप उसकी फोटो अखबार में छाप दें तो यह उसके लिए सरप्राइज गिफ्ट होगा। जवाब सुनकर मैं मन ही मन मुस्कुराया। किसी तरह अपनी हंसी को काबू करते हुए मैं उसको देखता रहा, लेकिन वह तो जैसे ठोस आश्वासन पाने की जिद पर ही अड़ा था। आखिरकार मैंने कहा समारोह तो परसों है ना, कोई नहीं देख लेते हैं। मेरा जवाब सुनकर उसके चेहरे पर खुशी आई और जोश से हाथ मिलाते हुए थैंक्यू सर कह कर वो चला गया पर सरप्राइज गिफ्ट की बात से मैं सरप्राइज था। सोच रहा था क्या-क्या करने लगे हैं लोग।
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