वैशालीनगर
विधानसभा
वैशालीनगर विधानसभा सीट से भाजपा-कांग्रेस ने भले ही प्रत्याशी फाइनल करने में वक्त लगाया हो, लेकिन यहां इस बार मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। आलम यह है कि वैशालीनगर की नस-नस से वाकिफ दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर होने के पूरे-पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं। क्षेत्र में फिलहाल न कोई मुद्दा है और न ही किसी तरह की लहर। ऐसे में चुनावी परिणाम चौंकाने वाला ही होगा। दोनों दलों के प्रत्याशियों के नाम फाइनल होने के बाद मतदाताओं में फिलहाल चर्चा पर जरूर विराम लगा है, लेकिन जेहन में यह सवाल जरूर उठ रहा है कि आखिरकार लम्बे इंतजार एवं इतनी देरी के बाद प्रत्याशी घोषित करने के पीछे वजह क्या है? यह बात दीगर है कि दोनों ही प्रत्याशी देरी से टिकट मिलने के पीछे कोई बड़ा कारण नहीं मानते।
अजब संयोग से वास्ता
संयोग ही है कि प्रत्याशी घोषणा करने के मामले में दोनों ही दलों ने अपने पत्ते देर से खोले, लेकिन नाम की घोषणा एक ही दिन मंगलवार को हुई। दोनों ही दलों के प्रत्याशी पंजाबी समुदाय से संबंधित हैं और दोनों वैशालीनगर के स्थानीय वाशिंदे हैं। इतना ही नहीं है दोनों न तो वैशालीनगर के लिए अनजान हैं और न ही वैशालीनगर के लिए दोनों अजनबी। दोनों जाने-पहचाने एवं परखे हुए चेहरे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी जहां साडा अध्यक्ष रहने के साथ वर्तमान में विधायक हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी भिलाई निगम के महापौर रह चुके हैं। दोनों ही प्रत्याशियों के बंगले आलीशान हैं। वैशालीनगर के साथ यह भी संयोग है कि परिसीमन के बाद दो चुनाव में एक में भाजपा व एक में कांग्रेस के हाथ जीत लगी है।
अब कार्यकर्ताओं पर दारोमदार
बुधवार सुबह 11 बजे के करीब का समय। पूर्व महापौर विद्यारतन भसीन के आवास के बाहर अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा चहल-पहल नजर आ रही है। वाहनों की आवाजाही भी निरंतर बनी हुई है। भसीन के बंगले में बना गैरेज अब मिनी कार्यालय में तब्दील हो चुका है। अंदर कुर्सियों लगा दी गई हैं। बैठने वालों को गर्मी न लगे, इसलिए पंखे भी लगाए जा रहे हैं। समर्थकों से घिरे भसीन के मोबाइल की घंटी थमने का नहीं ले रही है। वे मोबाइल पर न केवल समर्थकों की बधाई स्वीकार कर रहे हैं, लगे हाथ उनसे सहयोग और चुनाव में जुट जाने की अपील भी कर रहे हैं। कार्यालय में एक मेज पर फूलों की माला रखी है, तो ऊपर एक थाली में मिठाई रखी है। समर्थकों के आने का क्रम जारी है। कोई चरण-स्पर्श करता है तो कोई हाथ मिलाता है। खुशी से सराबोर कार्यकर्ता कहते हैं रतन भैया, पार्टी ने भले ही देर से घोषणा की, लेकिन फैसला अच्छा किया है। पलटकर भसीन जवाब देते हैं अब सारा दारोमदार आप पर ही है। पार्टी ने तो फैसला कर दिया अब उसको परिणाम में बदलने का दायित्व आप सभी का है।
होई वही जो राम रुचि राखा
बुधवार सुबह 11.45 बजे। भजनसिंह निरंकारी अपने आवास में बनाए गए अपने कार्यालय में अपने पांच समर्थकों के साथ बैठे हैं। सभी खामोश हैं। अचानक खामोशी टूटती है। एक समर्थक सवाल पूछता है 'टिकट मिलने में इतनी देरी कैसे हो गई? सवाल सुनकर निरंकारी मुस्कुराते हैं, थोड़ा रुकने के बाद कहते हैं 'देरी, कहां? सब कुछ समयानुसार ही होता है। फिर कहते हैं 'होई वही जो राम रुचि राखा..। ऊपर वाले के घर न देर है न अंधेर है। सब कुछ निश्चित है, वैसे भी टिकट तो तय ही था। इतना कहकर वे समर्थकों की तरफ देखते हैं, और सभी लोग 'हां, यह बात तो है कहकर निरंकारी का समर्थन करते हैं। फिर खामोशी छा जाती है। फिर सवाल एक उठता है 'भाजपा ने तो भसीन जी को टिकट दी है। निरंकारी थोड़े दार्शनिक होते हुए कहते हैं 'मैं किसी से मुकाबला नहीं करता है। मैं सिर्फ अपनी लाइन पर भरोसा करता हूं। इसी बीच दो समर्थक और आते हैं। निरंकारी को बधाई देते हैं। इतने में चाय आती है, साथ में मिठाई थी। निरंकारी समर्थकों को कहते हैं, 'फार्म भरने से संबंधित तैयारी पूरी कर के रखो।
फैक्ट फाइल
2008 में मतदाता- 2,05,504
2013 में मतदाता- 2,31,457
मतदाता बढ़े- 25,953
2008 के विधानसभा चुनाव में
कांग्रेस के बृजमोहन सिंह को मिले थे - 41,811
भाजपा की सरोज पाण्डे को मिले थे - 63,078
जीत का अंतर - 21,267
2009 के विधानसभा उपचुनाव में
कांग्रेस के भजन सिंह निरंकारी को मिले थे- 47,225
भाजपा के जागेश्वर साहू को मिले थे- 42,997
जीत का अंतर- 1228
निष्कर्ष
वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र परिसीमन के बाद 2008 में पहली बार अस्तित्व में आया, लिहाजा यह किसी दल की परम्परागत सीट नहीं रही है। दोनों की प्रत्याशियों के मुकाबला इसलिए आसान नहीं, क्योंकि भितरघात एवं गुटबाजी का फैक्टर दोनों जगह है, जो इस से पार पाने में सफल रहेगा उसकी राह उतनी ही आसान होगी। स्वाभिमान मंच के भिलाई निगम में पार्षद जांनिसार अख्तर ने भी यहां से अपनी दावेदारी पेश की है। अख्तर अल्पसंख्यक समुदाय के मतों से आस लगाए हुए हैं। अगर ऐसा हुआ तो नुकसान कांग्रेस को ही ज्यादा होने के आसार हैं, क्योंकि अल्पसंख्यक कांग्रेस के परम्परागत मतदाता रहे हैं। लब्बोलुआब यह है कि वैशालीनगर का मुकाबला बेहद करीब एवं रोचक रहने की उम्मीद की जा रही है।
साभार : पत्रिका छत्तीसगढ़ में 1 नवम्बर 13 के अंक में प्रकाशित।
वैशालीनगर विधानसभा सीट से भाजपा-कांग्रेस ने भले ही प्रत्याशी फाइनल करने में वक्त लगाया हो, लेकिन यहां इस बार मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है। आलम यह है कि वैशालीनगर की नस-नस से वाकिफ दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर होने के पूरे-पूरे आसार दिखाई दे रहे हैं। क्षेत्र में फिलहाल न कोई मुद्दा है और न ही किसी तरह की लहर। ऐसे में चुनावी परिणाम चौंकाने वाला ही होगा। दोनों दलों के प्रत्याशियों के नाम फाइनल होने के बाद मतदाताओं में फिलहाल चर्चा पर जरूर विराम लगा है, लेकिन जेहन में यह सवाल जरूर उठ रहा है कि आखिरकार लम्बे इंतजार एवं इतनी देरी के बाद प्रत्याशी घोषित करने के पीछे वजह क्या है? यह बात दीगर है कि दोनों ही प्रत्याशी देरी से टिकट मिलने के पीछे कोई बड़ा कारण नहीं मानते।
अजब संयोग से वास्ता
संयोग ही है कि प्रत्याशी घोषणा करने के मामले में दोनों ही दलों ने अपने पत्ते देर से खोले, लेकिन नाम की घोषणा एक ही दिन मंगलवार को हुई। दोनों ही दलों के प्रत्याशी पंजाबी समुदाय से संबंधित हैं और दोनों वैशालीनगर के स्थानीय वाशिंदे हैं। इतना ही नहीं है दोनों न तो वैशालीनगर के लिए अनजान हैं और न ही वैशालीनगर के लिए दोनों अजनबी। दोनों जाने-पहचाने एवं परखे हुए चेहरे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी जहां साडा अध्यक्ष रहने के साथ वर्तमान में विधायक हैं, वहीं भाजपा प्रत्याशी भिलाई निगम के महापौर रह चुके हैं। दोनों ही प्रत्याशियों के बंगले आलीशान हैं। वैशालीनगर के साथ यह भी संयोग है कि परिसीमन के बाद दो चुनाव में एक में भाजपा व एक में कांग्रेस के हाथ जीत लगी है।
अब कार्यकर्ताओं पर दारोमदार
बुधवार सुबह 11 बजे के करीब का समय। पूर्व महापौर विद्यारतन भसीन के आवास के बाहर अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा चहल-पहल नजर आ रही है। वाहनों की आवाजाही भी निरंतर बनी हुई है। भसीन के बंगले में बना गैरेज अब मिनी कार्यालय में तब्दील हो चुका है। अंदर कुर्सियों लगा दी गई हैं। बैठने वालों को गर्मी न लगे, इसलिए पंखे भी लगाए जा रहे हैं। समर्थकों से घिरे भसीन के मोबाइल की घंटी थमने का नहीं ले रही है। वे मोबाइल पर न केवल समर्थकों की बधाई स्वीकार कर रहे हैं, लगे हाथ उनसे सहयोग और चुनाव में जुट जाने की अपील भी कर रहे हैं। कार्यालय में एक मेज पर फूलों की माला रखी है, तो ऊपर एक थाली में मिठाई रखी है। समर्थकों के आने का क्रम जारी है। कोई चरण-स्पर्श करता है तो कोई हाथ मिलाता है। खुशी से सराबोर कार्यकर्ता कहते हैं रतन भैया, पार्टी ने भले ही देर से घोषणा की, लेकिन फैसला अच्छा किया है। पलटकर भसीन जवाब देते हैं अब सारा दारोमदार आप पर ही है। पार्टी ने तो फैसला कर दिया अब उसको परिणाम में बदलने का दायित्व आप सभी का है।
होई वही जो राम रुचि राखा
बुधवार सुबह 11.45 बजे। भजनसिंह निरंकारी अपने आवास में बनाए गए अपने कार्यालय में अपने पांच समर्थकों के साथ बैठे हैं। सभी खामोश हैं। अचानक खामोशी टूटती है। एक समर्थक सवाल पूछता है 'टिकट मिलने में इतनी देरी कैसे हो गई? सवाल सुनकर निरंकारी मुस्कुराते हैं, थोड़ा रुकने के बाद कहते हैं 'देरी, कहां? सब कुछ समयानुसार ही होता है। फिर कहते हैं 'होई वही जो राम रुचि राखा..। ऊपर वाले के घर न देर है न अंधेर है। सब कुछ निश्चित है, वैसे भी टिकट तो तय ही था। इतना कहकर वे समर्थकों की तरफ देखते हैं, और सभी लोग 'हां, यह बात तो है कहकर निरंकारी का समर्थन करते हैं। फिर खामोशी छा जाती है। फिर सवाल एक उठता है 'भाजपा ने तो भसीन जी को टिकट दी है। निरंकारी थोड़े दार्शनिक होते हुए कहते हैं 'मैं किसी से मुकाबला नहीं करता है। मैं सिर्फ अपनी लाइन पर भरोसा करता हूं। इसी बीच दो समर्थक और आते हैं। निरंकारी को बधाई देते हैं। इतने में चाय आती है, साथ में मिठाई थी। निरंकारी समर्थकों को कहते हैं, 'फार्म भरने से संबंधित तैयारी पूरी कर के रखो।
फैक्ट फाइल
2008 में मतदाता- 2,05,504
2013 में मतदाता- 2,31,457
मतदाता बढ़े- 25,953
2008 के विधानसभा चुनाव में
कांग्रेस के बृजमोहन सिंह को मिले थे - 41,811
भाजपा की सरोज पाण्डे को मिले थे - 63,078
जीत का अंतर - 21,267
2009 के विधानसभा उपचुनाव में
कांग्रेस के भजन सिंह निरंकारी को मिले थे- 47,225
भाजपा के जागेश्वर साहू को मिले थे- 42,997
जीत का अंतर- 1228
निष्कर्ष
वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र परिसीमन के बाद 2008 में पहली बार अस्तित्व में आया, लिहाजा यह किसी दल की परम्परागत सीट नहीं रही है। दोनों की प्रत्याशियों के मुकाबला इसलिए आसान नहीं, क्योंकि भितरघात एवं गुटबाजी का फैक्टर दोनों जगह है, जो इस से पार पाने में सफल रहेगा उसकी राह उतनी ही आसान होगी। स्वाभिमान मंच के भिलाई निगम में पार्षद जांनिसार अख्तर ने भी यहां से अपनी दावेदारी पेश की है। अख्तर अल्पसंख्यक समुदाय के मतों से आस लगाए हुए हैं। अगर ऐसा हुआ तो नुकसान कांग्रेस को ही ज्यादा होने के आसार हैं, क्योंकि अल्पसंख्यक कांग्रेस के परम्परागत मतदाता रहे हैं। लब्बोलुआब यह है कि वैशालीनगर का मुकाबला बेहद करीब एवं रोचक रहने की उम्मीद की जा रही है।
साभार : पत्रिका छत्तीसगढ़ में 1 नवम्बर 13 के अंक में प्रकाशित।
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