पुरी से लौटकर-5
वैसे लहरों के बीच नहाना किसी खतरे से खाली नहीं है। समुद्र से लहर जैसे ही किनारे से टकराकर वापस लौटती है तो पैरों के नीचे से मिट्टी निकल जाती है और संतुलन बिगड़ जाता है। लहर आते वक्त भी एक धक्का सा लगता है लेकिन वापसी ज्यादा खतरनाक होती है। पैरों के नीचे से मिट्टी खिसकने से मुझे गांव के पास बहने वाली काटली नदी की याद आ गई। काटली अब तो इतिहास बन गई है। मुद्दत हो गई उसे आए हुए और शायद अब आएगी भी नहीं। काटली नदी में भी पानी के बहाव के कारण पैरों के नीचे से मिट्टी खिसक जाती थी और संतुलन बिगड़ जाता था। इसके बाद आदमी ठीक से खड़ा नहीं रह पाता और गिर जाता। यकायक गिरने से खुद से नियंत्रण हट जाता और आदमी नदी में बहने लगता। बंगाल की खाड़ी का नजारा भी कुछ इसी तरह का था। बड़ा मुश्किल होता है तेज लहरों के बीच संतुलन साधना। बताया गया कि बंगाल की खाड़ी की लहरें ज्यादा तेज होती हैं और काफी ऊंचाई तक उठती हैं। बच्चों को गोद में लेकर करीब बीस फीट अंदर तक गया। इसके बाद धर्मपत्नी को भी लेकर गया। बच्चे तो बीच के किनारे पर नाम लिखने और मस्ती करने में ज्यादा रुचि दिखा रहे थे। वैसे इस नहाने के दौरान अगर आपने जेब वाली टी-शर्ट या निकर पहन रखा है तो उसका वजन दुगुना या तिगुना होना तय है। ऐसा भीगने से नहीं बल्कि समुद्र की मिट्टी उसमें भरने से होता है। इस मिट्टी की खासियत यह है कि यह गीली रहने तक ही चिपकी रहती है। सूखने के बाद झड़ जाती है। मिट्टी में शंख एवं सीप आदि भी बहकर खूब आते हैं। बच्चे और बड़े बीच के किनारे पर मिट्टी के घरोन्दे बनाने में जुटे थे। बड़ी संख्या में लोग यहां पर घरोन्दे बनाते हैं। इसके अलावा गड्ढ़ा भी खोदते हैं। थोड़ा सा गड्ढा खोदते ही अंदर पानी आ जाता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि पुरी का मौसम इन दिनों सम सा है। ज्यादा सर्दी नहीं है। सुबह-सुबह जरूर हल्की सी सर्दी महसूस होती है। कमरे के अंदर तो चद्दर तक ओढऩे की जरूरत नहीं पड़ती। सर्दी ना होने के कारण समुद्र में नहाने का आनंद दुगुना हो जाता है। सूर्यास्त होने को था लेकिन बच्चे नहाने और खेलने में इतने मगन थे कि बाहर निकलने का नाम तक नहीं ले रहे थे। कई बार आवाज लगाई लेकिन वे बाहर नहीं निकले। वैसे भी समुन्द्र की लहरों की आवाज भी बड़ी तेज होती है। लहरों के साथ ऊपर उठा पानी जब नीचे गिरता तो बड़ी तेज आवाज आती है। मानो कोई सांप गुस्से में फुंकार रहा हो। आखिरकार, बच्चों को हाथ पकड़ कर बाहर लाया। इसके बाद धर्मपत्नी उनको पास ही के एक हैडपम्प पर लेकर गई और उनको नहलाकर कपड़े बदले। बताया गया कि समुन्द्र के पानी में नहाने से त्वचा के फटने और खुजली होने की आशंका रहती है। कपड़ों के बारे में यही कहा जाता है कि समुन्द्र के पानी में भीगने के बाद उनको सामान्य पानी से जल्दी से निकाल लेना चाहिए, अन्यथा उनके कटने का अंदेशा रहता है।...............जारी है।
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