Thursday, February 14, 2019

है काम आदमी का, औरों के काम आना

बस यूं ही
चौबीस जनवरी की सर्द सुबह के ठीक आठ बजे मैं झुंझुनूं बस स्टैंड पहुंचा...। पता किया तो बताया श्रीगंगानगर के लिए बस साढे आठ बजे है। मैं बस की तरफ बढा तो एक शख्स ने सवालिया नजरों से देखा और बोले श्रीगंगानगर? मैं उनका आशय यही समझा कि यह बता रहे हैं जबकि वो मेरे से यह पूछना चाह रहे थे कि आप श्रीगंगानगर जा रहे हो क्या?
खैर, अपना बैग सीट पर रखकर मैं नीचे आया तो वह शख्स फिर मिल गए..। कुछ परेशान से थे। मैं थोड़ा पास गया तो पूछ बैठे, आप श्रीगंगानगर जाओगे? मैंने प्रत्युतर में सिर हिलाया तो उनका अगला सवाल था, श्रीगंगानगर में कहां?मैंने कहा शिवचौक। मेरा जवाब सुनकर उनकी परेशानी दूर नहीं.हुई।अब मेरी बारी थी, मैंने सवाल दागा क्या काम है श्रीगंगानगर में? कहने लगे खाता स्थानांतरित करवाया है, उसके कागजात श्रीगंगानगर भिजवाने है। बस वाला इस काम के 150 रुपए मांग रहा है। फिर बोले 29 जनवरी को जाना ही तो काहे के पैसे देने। मैंने कहा, ऐसा करना भी ठीक रहेगा, लेकिन उनके चेहरे से झलकती बेचैनी बयां कर रही थी कि उनका काम जरूरी है। मैंने कहा आप कागज मुझे दे दीजिए और मेरा नंबर लिख लो...अपने बेटे को बता देना..कल आफिस में आकर कागजात ले जाएगा। शख्स की चेहरे पर अब हल्की सी मुस्कान थी और उन्होंने पूछा, जी आपका आफिस कहां.हैं? मैंने जैसे ही राजस्थान पत्रिका कहा तो वो तपाक से बोले, आप शेखावतजी हो? मैं चकित था कि बिना मिले कैसे पहचान.लिया, वजह पूछी तो कहने लगे, मिला तो नहीं पर आपका नाम बहुत सुना है। पत्रिका आफिस भी जाना हुआ है तीन चार बार। फिर बताने लगे कि उनका गांव जेजूसर है। चालीस साल.से श्रीगंगानगर के भरतनगर में रहते हैं। जेजूसर और गंगानगर दोनों जगह आना जाना लगा रहता है। चालीस साल.पहले श्रीगंगानगर में ईंट भट्ठे का काम शुरू किया था, मकान भी वहीं बना.लिया। मैंने अपने मोबाइल नंबर नोट करवाए तो बोले आपका गांव कौनसा है? मैंने गांव.का नाम बताया तो कहने लगे वहां.हमारी दूर की रिश्तेदारी है। कुलदीप/ रामेश्वर लाल जी के यहां पर। मैंने बताया कि कुलदीप मेरा सहपाठी रह चुका है दसवीं तक। खैर, बस चलने को थी , मैंने शख्स से नाम पूछा तो उन्होंने देवकरण बताया। बस में चढते वक्त मैं उनकी तरफ पलटा तो उनके चेहरे पर मुस्कान थी। सच इस तरह की मुस्कान बड़ा सुकून देती है। जीवन का फलसफा भी यही है...जीना तो है उसी का, जिसने यह राज जाना... है काम आदमी का औरों के काम आना....।

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