टिप्पणी
श्रीगंगानगर जिले में पुलिस व प्रशासन के मुखिया बदलने के बाद व्यवस्थाओं में सुधार का सिलसिला शुरू हुआ है। बीते पांच दिन में शहर की सबसे बड़ी और दिनोदिन गहराती समस्या से पार पाने के जो प्रयास हुए हैं, उनसे कुछ उम्मीद बंधती है, हालांकि व्यवस्था में सुधार के लिए इस तरह की कवायद पहले भी होती रही हैं लेकिन मॉनिटरिंग के अभाव में व्यवस्था फिर पुराने ढर्रे पर लौटती रही। खुशी की बात यह है कि नई कवायद का आंशिक असर दिखाई देने लगा है। उम्मीद की जानी चाहिए कालांतर में व्यवस्था में और ज्यादा सुधार होगा। यह उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि अभी बेपटरी व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए गंभीर व ईमानदार प्रयास करने होंगे। जनहित में कड़े व बड़े निर्णय भी लेने होंगे। शाम सात से बारह के बीच बसों को जस्सासिंह मार्ग से निकालने के फैसले ने कोडा चौक से लेकर चहल चौक तक यातायात दवाब को कम किया है। जस्सासिंह मार्ग पर कुछ दूरी में सड़क संंकरी है और मलबा पड़ा है, जिससे आवागमन सुचारू नहीं रह पाता। स्वाभाविक सी बात है नई व्यवस्था बनाने में जोर आता है और जनहित को ध्यान में भी रखा जाता है। चौकों पर लगाने वाले जाम से अब राहत मिली है, हालांकि इस बदलाव के पक्ष व विपक्ष में दलील देने वाले भी कम नहीं हैं लेकिन यह फैसला समय की मांग को ध्यान में रखकर किया गया है। जस्सासिंह मार्ग पर बसंती चौक के पास जो समस्या है और जिस वजह से उसका भी यकीनन समाधान खोजना चाहिए। मीरा चौक व मटका चौक स्कूल खेल मैदान के पास पार्किंग बनाने का प्रस्ताव भी सिरे चढ़ा तो यह भी काफी राहत देगा। शिव चौक से सुखाडि़या सर्किल तक डिवाइडरों के कट बंद करने से भी जाम कम लगेगा। पंजाब जाने वाली बसों को तीन पुली से होकर गुजारने का फैसला भी अच्छा है, इससे भी यातायात का दबाव कम होगा। इधर मुख्य डाकघर से रेलवे स्टेशन को नोन वैंडिंग जोन घोषित करने से वहां अब रेहडि़यां खड़ी नहीं होगी। इस फैसले भी इस मार्ग पर जगह निकलेगी जो, रेंग-रेंग कर चलने वाले यातायात को गति देगी।
बहरहाल जो फैसले अमल में आ चुके हैं, उनकी कड़ाई से पालना हो और साथ-साथ में समीक्षा भी ताकि कोई नई समस्या पैदा हो रही हो तो समाधान साथ-साथ खोजा जा सकता है। इसके अलावा जो प्रस्ताव बने हैं, उनकी जल्द से जल्द क्रियान्विति हो। यह सब करने के बाद भी काफी कुछ करने की गुंजाइश रह जाती है, मसलन, शहर में ऑटो हर कहीं खड़े हो जाते हैं, इनके लिए भी स्टैंड का निर्धारण हो। कई शहरों मंे ऑटो रिक्शा के लिए बकायदा स्टैंड निर्धारित हैं। एेसा करने से मनमर्जी का ठहराव नहीं होगा और इससे भी यातायात सुगम होगा। गोलबाजार के चौकों पर पसरा अतिक्रमण भी हटाया जाना चाहिए। चूंकि गोलबाजार में पैदल लोग ज्यादा आते हैं लेकिन चौपहिया व दुपहिया वाहनों के कारण उनको चलने में भी असुविधा होती है। यहां चौपहिया वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाता सकता है, या वैकल्पिक तौर पर सुबह-शाम जब यातायात दबाव होता है तब प्रवेश प्रतिबंधित किया जा सकता है। शहर में संचालित विभिन्न स्कूलों के वाहन भी एक साथ निकलते हैं। इससे भी जाम की स्थिति पैदा हो जाती है। स्कूल बसों के वर्तमान रूटों में भी बदलाव की जरूरत है। इन सबके अलावा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को बीच-बीच में बदलाव का जायजा जरूर लेना चाहिए ताकि वह वस्तुस्थिति जान सके और जनता को होने वाली पीड़ा को करीब से महसूस कर सकें।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 13 फरवरी 19 के अंक में प्रकाशित टिप्पणी ।
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