बस यू हीं
बीते शुक्रवार को रात सवा दस बजे के करीब जोधपुर से बीकानेर के लिए ऑनलाइन तीन टिकट बुक करवाए। दरअसल, यह टिकट रविवार रात 11.15 बजे की बस के थे। सीट, रवानगी समय, पहुंच समय, किराया आदि सब अच्छी तरह से देख लिया गया लेकिन बुकिंग कौनसी तारीख में हो रही है यह ध्यान नहीं दिया। तमाम औपचारिकता पूरी कर ली गई। खाते से पैसे भी कट गए। आखिरकार मोबाइल पर मैसेज आया तो पहली ही लाइन देखकर चौंक गया। उस पर तिथि 24 नवम्बर लिखी थी। इसका मतलब था कि बस छूटने में मात्र एक घंटे से भी कम समय बचा था। तत्काल बस ऑपरेटर को फोन लगाया गया। बड़ी मुश्किल से उसका फोन लगा तो उसने तत्काल ऑनलाइन बुकिंग करने वाली कंपनी से बात करने का कहकर फोन काट दिया। प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स की बसें बुक करवाने के लिए आजकल रेडबस नामक एजेंसी काम कर रही है। इंटरनेट पर कंपनी के नंबर सर्च करने के बाद कस्टूमर केयर पर फोन लगाया गया तो वहां फोन उठाने वाले ने सारी शिकायत सुनने के बाद मेल अपने उच्च अधिकारियों को फारवर्ड तो कर दिया, उसका सीसी मेरे पास भी आ गया लेकिन उसने किसी भी तरह की मदद करने से साफ इनकार कर दिया। तमाम तरह के निवेदन, आग्रह व बार-बार प्लीज-प्लीज का उस पर कोई असर नहीं हुआ। करीब दस मिनट तक उससे वार्तालाप हुआ लेकिन वह न तो टिकट को आगे की तिथि को करने को तैयार हो रहा था ना ही उसको रद्द कर रहा था। मतलब साफ था कि इन तीन व्यक्तियों का किराया नाहक में लग रहा था। आखिरकार जोधपुर स्थित अपने सहयोगियों की मदद ली गई और आखिरकार समस्या का समाधान हो गया। टिकट 24 नवम्बर की बजाय 26 नवम्बर को कर दिए गए थे। इस तरह जरा सी लापरवाही का खामियाजा करीब घंटे भर की मशक्कत करके भुगतना पड़ा।
वैसे ऑनलाइन बुकिंग के फायदा तो हैं, इससे समय बचता है लेकिन इस तरह के अनुभव से ऑनलाइन बुकिेंग के प्रति गुस्सा भी आता है। कुछ इस तरह का अनुभव इसी साल मार्च में दिल्ली में हो चुका है। टैक्सी प्रदाता कंपनी उबर से एक कार प्रेस भवन से नजफगढ़ के लिए बुक करवाई। गूगल मैप में मेरे को कार की मौजूदा स्थिति बताई जा रही थी। मैं जहां खड़ा था, वहां से कुछ दूर पर ही वह कार आगे पीछे घूम रही थी। करीब पांच मिनट तक यह सब चलता रहा। इसके बाद चालक की कॉल आई, कहने लगा भाईसाहब आपका एड्रेस ट्रेस नहीं हो रहा है, इसलिए आपकी ट्रिप कैंसिल की जा रही है। इसके बाद मैंने उसी कंपनी की दूसरी टैक्सी बुक की, जो निर्धारित स्थान पर आ गई। किराया चूंकि इसमें पहले ही बता दिया जाता है, इसलिए मैं अवगत व आश्वस्त था। गंतव्य स्थान जो मैंने गूगल पर सर्च करके भरा वह नजफगढ़ का निहायत ही देहाती व अनदेखा इलाका निकला। कार वाले ने कहा भाईसाहब आपका स्थान आ गया है। मेरे पास उसका मुंह ताकने के अलावा कोई चारा न था। दुखी मन से मैंने उससे कहा भाई कम से कम कोई मार्केट या चहल-पहल वाली जगह तो छोड़ ताकि किसी तरह गंतव्य तक पहुंचा जाए। वह मुश्किल एक किलोमीटर ही और चला होगा कि निर्धारित राशि से ज्यादा का मैसेज मेरे मोबाइल पर आ चुका था। हैरानी तब हुई जब कैंसिल की गई कार का बतौर जुर्माना शुल्क भी इस बिल में जुड़ कर आया जबकि कार रद्द का फैसला उनका था।
बहरहाल, ऑनलाइन के ये दो अनुभव बताते हैं कि इस बुकिंग में जितनी सुविधा है उतने खतरे भी हैं। जरा सी भूल हुई नहीं कि यह ऑनलाइन वाले अंगुली के बहाने आपका पोहंचा पकडऩे को तैयार बैठे हैं। इसीलिए जब भी ऑनलाइन बुकिंग करें तो थोड़ी सावधानी जरूर बरतें अन्यथा बैठे बिठाए आर्थिक नुकसान का फटका भुगतना पड़ सकता है। मानसिक परेशानी व समय की बर्बादी होगी सो अलग।
बीते शुक्रवार को रात सवा दस बजे के करीब जोधपुर से बीकानेर के लिए ऑनलाइन तीन टिकट बुक करवाए। दरअसल, यह टिकट रविवार रात 11.15 बजे की बस के थे। सीट, रवानगी समय, पहुंच समय, किराया आदि सब अच्छी तरह से देख लिया गया लेकिन बुकिंग कौनसी तारीख में हो रही है यह ध्यान नहीं दिया। तमाम औपचारिकता पूरी कर ली गई। खाते से पैसे भी कट गए। आखिरकार मोबाइल पर मैसेज आया तो पहली ही लाइन देखकर चौंक गया। उस पर तिथि 24 नवम्बर लिखी थी। इसका मतलब था कि बस छूटने में मात्र एक घंटे से भी कम समय बचा था। तत्काल बस ऑपरेटर को फोन लगाया गया। बड़ी मुश्किल से उसका फोन लगा तो उसने तत्काल ऑनलाइन बुकिंग करने वाली कंपनी से बात करने का कहकर फोन काट दिया। प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स की बसें बुक करवाने के लिए आजकल रेडबस नामक एजेंसी काम कर रही है। इंटरनेट पर कंपनी के नंबर सर्च करने के बाद कस्टूमर केयर पर फोन लगाया गया तो वहां फोन उठाने वाले ने सारी शिकायत सुनने के बाद मेल अपने उच्च अधिकारियों को फारवर्ड तो कर दिया, उसका सीसी मेरे पास भी आ गया लेकिन उसने किसी भी तरह की मदद करने से साफ इनकार कर दिया। तमाम तरह के निवेदन, आग्रह व बार-बार प्लीज-प्लीज का उस पर कोई असर नहीं हुआ। करीब दस मिनट तक उससे वार्तालाप हुआ लेकिन वह न तो टिकट को आगे की तिथि को करने को तैयार हो रहा था ना ही उसको रद्द कर रहा था। मतलब साफ था कि इन तीन व्यक्तियों का किराया नाहक में लग रहा था। आखिरकार जोधपुर स्थित अपने सहयोगियों की मदद ली गई और आखिरकार समस्या का समाधान हो गया। टिकट 24 नवम्बर की बजाय 26 नवम्बर को कर दिए गए थे। इस तरह जरा सी लापरवाही का खामियाजा करीब घंटे भर की मशक्कत करके भुगतना पड़ा।
वैसे ऑनलाइन बुकिंग के फायदा तो हैं, इससे समय बचता है लेकिन इस तरह के अनुभव से ऑनलाइन बुकिेंग के प्रति गुस्सा भी आता है। कुछ इस तरह का अनुभव इसी साल मार्च में दिल्ली में हो चुका है। टैक्सी प्रदाता कंपनी उबर से एक कार प्रेस भवन से नजफगढ़ के लिए बुक करवाई। गूगल मैप में मेरे को कार की मौजूदा स्थिति बताई जा रही थी। मैं जहां खड़ा था, वहां से कुछ दूर पर ही वह कार आगे पीछे घूम रही थी। करीब पांच मिनट तक यह सब चलता रहा। इसके बाद चालक की कॉल आई, कहने लगा भाईसाहब आपका एड्रेस ट्रेस नहीं हो रहा है, इसलिए आपकी ट्रिप कैंसिल की जा रही है। इसके बाद मैंने उसी कंपनी की दूसरी टैक्सी बुक की, जो निर्धारित स्थान पर आ गई। किराया चूंकि इसमें पहले ही बता दिया जाता है, इसलिए मैं अवगत व आश्वस्त था। गंतव्य स्थान जो मैंने गूगल पर सर्च करके भरा वह नजफगढ़ का निहायत ही देहाती व अनदेखा इलाका निकला। कार वाले ने कहा भाईसाहब आपका स्थान आ गया है। मेरे पास उसका मुंह ताकने के अलावा कोई चारा न था। दुखी मन से मैंने उससे कहा भाई कम से कम कोई मार्केट या चहल-पहल वाली जगह तो छोड़ ताकि किसी तरह गंतव्य तक पहुंचा जाए। वह मुश्किल एक किलोमीटर ही और चला होगा कि निर्धारित राशि से ज्यादा का मैसेज मेरे मोबाइल पर आ चुका था। हैरानी तब हुई जब कैंसिल की गई कार का बतौर जुर्माना शुल्क भी इस बिल में जुड़ कर आया जबकि कार रद्द का फैसला उनका था।
बहरहाल, ऑनलाइन के ये दो अनुभव बताते हैं कि इस बुकिंग में जितनी सुविधा है उतने खतरे भी हैं। जरा सी भूल हुई नहीं कि यह ऑनलाइन वाले अंगुली के बहाने आपका पोहंचा पकडऩे को तैयार बैठे हैं। इसीलिए जब भी ऑनलाइन बुकिंग करें तो थोड़ी सावधानी जरूर बरतें अन्यथा बैठे बिठाए आर्थिक नुकसान का फटका भुगतना पड़ सकता है। मानसिक परेशानी व समय की बर्बादी होगी सो अलग।
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