श्रीगंगानगर. इस फोटो को आप गौर से देखेंगे तो हो सकता है आप ज्यादा से ज्यादा यह सोच पाए कि यह कोई स्कूल का वाहन है तथा गाड़ी में कोई गडबड़ी है, इस कारण बच्चों को नीचे उतार कर गाड़ी को ठीक किया जा रहा है। लेकिन आपका यह सोचना गलत है। यह फोटो जिला अस्पताल के सामने स्थित श्रीराम अन्न क्षेत्र मंदिर की बगल वाली गली का है। यहां अभी हाल में ही पेयजल लाइन व सीवरेज डाली गई है। लेकिन, पाइप डालने के बाद खाई को ठीक से नहीं पाटा गया। इस कारण कोई भी वाहन गुजरता है तो टायर धंस जाते हैं। बुधवार दोपहर ढाई बजे स्कूल का यह वाहन गुजरा तो चालक की तरफ की दोनों टायर नीचे थोथ में बैठ गए। गाड़ी एक तरफ टेढ़ी हुई तो बच्चों में हडंकप मच गया और वो चिल्लाने लगे। आखिरकार चालक ने सभी बच्चों को नीचे उतारा और काफी मशक्कत के बाद गाड़ी को निकाला। गनीमत रही कि बड़ा हादसा नहीं हुआ।
मनमर्जी का काम
लगातार शिकायतों के बावजूद सीवरेज व पाइप लाइन बिछाने वाले कंपनी के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। आमजन को होने वाली तकलीफों को दरकिनार कर कंपनी मनमर्जी से काम कर रही है। यूआईटी की बगल वाली सड़क पर दिनभर वाहनों की रेलमपेल रहती है। इसके बावजूद यह मार्ग तकरीबन छह बार बंद हो चुका है। सड़क को तोड़ा जा चुका है। खाई पाटने के बाद सड़क को समतल तक नहीं किया गया। सूखी धूल दिनभर उड़ती है लेकिन पानी का छिड़काव नियमित नहीं है। जहां प्रभावशाली लोग है, वहां कंपनी का काम करने का तरीका दूसरा है। यह भेदभावपूर्ण व्यवहार भी आमजन की तकलीफ बढ़ा रहा है।
ऐसा इसलिए हुआ
दरअसल, जहां स्कूल वाहन फंसा वह कोई अति व्यस्त रास्ता नहीं है। लेकिन उधर से गुजरना गाड़ी चालक की मजबूरी थी। क्योंकि मोतीराम के ढाबे के पास जेसीबी से खुदाई के दौरान पेयजल लाइन टूट गई। इसे ठीक तो कर दिया लेकिन खाई को पाटा नहीं गया। इस कारण पूरे दिन यह रास्ता बाधित रहा। रास्ता बाधित होने के कारण चालक ने बगल की गली से गाड़ी निकालने का प्रयास किया लेकिन थोथ के कारण टायर धंस गए।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 23 नवंबर 17 के अंक में प्रकाशित
मनमर्जी का काम
लगातार शिकायतों के बावजूद सीवरेज व पाइप लाइन बिछाने वाले कंपनी के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। आमजन को होने वाली तकलीफों को दरकिनार कर कंपनी मनमर्जी से काम कर रही है। यूआईटी की बगल वाली सड़क पर दिनभर वाहनों की रेलमपेल रहती है। इसके बावजूद यह मार्ग तकरीबन छह बार बंद हो चुका है। सड़क को तोड़ा जा चुका है। खाई पाटने के बाद सड़क को समतल तक नहीं किया गया। सूखी धूल दिनभर उड़ती है लेकिन पानी का छिड़काव नियमित नहीं है। जहां प्रभावशाली लोग है, वहां कंपनी का काम करने का तरीका दूसरा है। यह भेदभावपूर्ण व्यवहार भी आमजन की तकलीफ बढ़ा रहा है।
ऐसा इसलिए हुआ
दरअसल, जहां स्कूल वाहन फंसा वह कोई अति व्यस्त रास्ता नहीं है। लेकिन उधर से गुजरना गाड़ी चालक की मजबूरी थी। क्योंकि मोतीराम के ढाबे के पास जेसीबी से खुदाई के दौरान पेयजल लाइन टूट गई। इसे ठीक तो कर दिया लेकिन खाई को पाटा नहीं गया। इस कारण पूरे दिन यह रास्ता बाधित रहा। रास्ता बाधित होने के कारण चालक ने बगल की गली से गाड़ी निकालने का प्रयास किया लेकिन थोथ के कारण टायर धंस गए।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 23 नवंबर 17 के अंक में प्रकाशित
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