आज सुबह से ही घर व कॉलोनी में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का आना जाना लगा है। इसकी प्रमुख वजह मेरे अलावा कॉलोनी में एक अन्य व्यक्ति के डेंगू होना।जहां जहां डेंगू रोगी चिन्हित होते हैं वहां.वहां स्वास्थ्य विभाग वह सब करता है जो उसको समय समय पर करते रहना चाहिए। लेकिन तब ऐसा नहीं होता। पहले बीमारी फैलने का भरपूर इंतजार किया जाता है। और जब फैल जाए तब इस तरह से प्रदर्शित किया जाता गोया इनसे ज्यादा संवेदनशील तो कोई है ही नहीं। खैर, कल रोग की पहचान होते के साथ ही फोन आ गया था और मुझसे पूरा पता पूछा गया। आज दोपहर करीब एक बजे दो युवक आए। कहने लगे दवा का छिड़काव करना है। दरअसल यह लिक्विड था जिसकी बूंदें पानी की टंकी, गमले व फ्रीज की पीछे लगी ट्रे आदि में डाली गई। मेरा नाम पता नोट किया , हस्ताक्षर करवाए। इसके बाद यही क्रम पूरी कॉलोनी में दोहराया गया। साफ पानी एकत्रित न होने देने की नसीहत देकर यह चले गए।
शाम होने से ठीक पहले दिन जने और कहने लगे स्प्रे करना है। एक जने ने मशीन निकाली और हर कमरे, स्टोर। बाथरूम आदि के कोने कोने में स्प्रे किया। इसके बाद कॉलोनी के कई घरों में यह क्रम दोहराया गया। तीसरे चरण के तहत सबसे आखिर में फोगिंग मशीन चलाकर पूरे मोहल्ले में घुमाई गई। मशीन घर के आगे से गुजरी ही थी कि बड़ी संख्या में मच्छरों का झुण्ड मेरे सिर पर मंडराने लगा। मैंने आवाज लगाकर फोगिंग वाले को बुलाया और मच्छर दिखाए तो कहने लगा यह लाइट वाले हैं। मैंने कहा लाइट के हैं तो लाइट के पास जाए. इधर क्यों आए हैं? और क्या यह काटते नहीं? सामने वाला थोडा सा सकुचाया कहने लगा फोगिंग से मच्छर मरते नहीं है भागते हैं। उसका जवाब सुनकर मेरे पास हंसने के अलावा कोई चारा न था। खैर , दिन भर की कवायद देखकर मैं सोच में डूबा था। सोचने लगा ऐसी नौबत आती ही क्यों है?
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