Thursday, April 25, 2019

पार्टियों का झंडा उठाने में महिलाएं, पुरुषों से आगे

आंध्र की रैलियों में महिलाओं की भागीदारी अधिक
राजनीति के मामले में महिलाएं हाशिये पर हैं, लेकिन राजनीतिक दलों का प्रचार करने के मामले में आंध्रप्रदेश की महिलाओं का कोई सानी नहीं। दल चाहे स्थानीय हों या राष्ट्रीय, लेकिन पार्टियों का झंडा उठाने में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ही आगे हैं। कोई इसे सीधा मजदूरी से जोड़ता है, तो कोई इस कारण को पार्टी हित की बात कह खारिज कर देता है।
प्रदेश में महिलाओं से जुड़ी एक उजली तस्वीर यह है कि महिला साक्षरता दर कम होने के बावजूद यहां लिंगानुपात राष्ट्रीय अनुपात से ज्यादा है। प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर महिला सांसद दो ही हैं। 16वीं लोकसभा में मात्र 65 महिला सांसद चुनी गईं। यह आंकड़ा कुल क्षमता का महज 12.45त्न है।
दो रैलियां, दोनों में महिलाएं: विशाखापट्टनम से विजयनगरम जाते समय रास्ते में दो जगह चुनावी रैलियां नजदीक से देखीं। दोनों ही चुनावी रैलियों में महिलाएं प्रमुखता से नजर आईं। भीपाली बीच के पास तेलुगुदेशम पार्टी कार्यालय में एकत्रित महिलाएं साइकिल निशान का पीला झंडा व पीली टोपी लगाए बैठी थीं। निर्देश पाते ही सब कतारबद्ध हो नारेबाजी करते हुए कस्बे में प्रवेश कर गईं। इसी तरह तगरपोवलसा कस्बे में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में निकाली जा रही रैली में भी पार्टी के झंडे और टोपी लगाए महिलाएं ही पर्चे बांट रही थीं।
प्रदेश में महिला श्रमिकों की अधिकता है। होटल हो या पेट्रोल पंप, महिलाओं का नजर आना सामान्य है। यही कारण है कि चुनावी रैलियों में महिलाओं प्रमुखता से नजर आती हैं। अनकापल्ली के गणेश कहते हैं कि महिलाओं को कम पारिश्रमिक देना पड़ता है, इसलिए पार्टियां उन्हें प्राथमिकता देती हैं। विजयवाड़ा के बीए छात्र कृष्णकांत कहते हैं कि महिलाएं भी तो पार्टी से जुड़ी होती हैं, उनके पास भी तो पद होता है।
देहाती इलाकों में दिखाई देती है चुनावी रंगत: आंध्रप्रदेश की चुनावी रंगत और पार्टी कार्यालयों के माहौल व गतिविधियों को जानने-समझने के लिए विशाखापट्टनम व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया। देहात यानी ग्रामीण क्षेत्रों पर चुनावी रंग ज्यादा चढ़ा हुआ पाया। पहले दिन एनटीआर भवन (तेलुगुदेशम पार्टी के कार्यालय भवन) पहुंचा, जहां सन्नाटा था। वजह पूछी तो बताया गया कि चुनाव के चलते सब फील्ड में हैं। इसी तरह जब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डॉ. टी. सुब्बारामी रेड्डी के आवास पर पहुंचा, तो वहां भी सन्नाटा था। एक युवक ने बताया कि नेताजी शहर से बाहर हैं।

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आज 4 अप्रैल 19 को राजस्थान पत्रिका के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित।

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