अजीम प्रेम जी : भारत के सबसे बड़ा दानी
लोकसभा चुनाव की चर्चा शोर के बीच एक एेसा नेक व प्रेरणादायी काम भी हुआ, जिसकी धमक समूचे विश्व में सुनाई दी। यह काम इसीलिए भी विशेष है, क्योंकि एेसा कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। परोपकार से जुड़ा यह पुनीत काम किया है आईटी दिग्गज व विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेेम जी ने। उन्होंने बीते सप्ताह विप्रो लिमिटेड के 34 फीसदी शेयर परोपकार कार्य के लिए दान कर दिए। इन शेयर का बाजार मूल्य 52,750 करोड़ रुपए हैं। बताते चलें कि प्रेमजी देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन हैं। वह अपने फाउंडेशन के माध्यम से लोगों की मदद करने का काम करते हैं। इसमें वह अब तक 145,000 करोड़ रुपए दे चुके हैं। दरअसल, अजीम प्रेमजी ने 'अजीज प्रेमजी फाउंडेशन' समाजसेवा के लिए बनाया है। यह फाउंडेशन मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है तथा इस क्षेत्र में काम करने वालों को आर्थिक मदद भी देता है। फाउंडेशन प्रमुख रूप से कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों में सक्रिय है। वंचित तबकों के लिए काम कर रहे करीब 150 एनजीओ को पिछले पांच साल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से फंड भी मिला है। फाउंडेशन की ओर से बेंगलुरू में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का संचालन भी किया जाता है। बताया गया है कि जल्द ही यूनिवर्सिटी को पांच हजार छात्रों और 400 शिक्षकों की क्षमता वाला बनाया जाएगा। इसके बाद फाउंडेशन की उत्तर भारत में भी एक यूनिवर्सिटी खोलने की योजना है। प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 में हुआ था और महज 21 साल की उम्र में उन्होंने विप्रो लिमिटेड की स्थापना की। उनकी पत्नी का नाम यास्मीन हैं। प्रेमजी के दो पुत्र हैं। अपनी काबिलियत के चलते प्रेमजी ने साबुन-तेल बेचने वाली कंपनी को भारत की विशाल आईटी कंपनी बना दिया। संपत्ति के शिखर पर पहुंचने के बावजूद प्रेमजी ने त्याग और परोपकार के गुणों को अपनाए रखा। प्रेमजी की दानशीलता पर बॉयोटेक की संस्थापक किरन मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया कि, 'अजीम प्रेमजी बेहद खास हैं। बेशकीमती हैं और सच्चे 'भारत रत्न' हैं।
ठुकरा दिया था पाक जाने का प्रस्ताव
अजीम प्रेमजी का परिवार मूलत: पाकिस्तान से ही भारत आया था। बताते हैं कि विभाजन के समय पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान चलने का आग्रह किया। इतना ही नहीं प्रेमजी के पिता ने पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत में ही रहना ही पसंद किया। उस वक्त हाशिम प्रेमजी चावल और कुकिंग ऑयल के ख्यात कारोबारी थे और राइस किंग ऑफ बर्मा कहे जाते थे।
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राजस्थान.पत्रिका के तमाम संस्करणों में 23 मार्च 19 के अंक में संपादकीय पेज पर प्रकाशित
लोकसभा चुनाव की चर्चा शोर के बीच एक एेसा नेक व प्रेरणादायी काम भी हुआ, जिसकी धमक समूचे विश्व में सुनाई दी। यह काम इसीलिए भी विशेष है, क्योंकि एेसा कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। परोपकार से जुड़ा यह पुनीत काम किया है आईटी दिग्गज व विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेेम जी ने। उन्होंने बीते सप्ताह विप्रो लिमिटेड के 34 फीसदी शेयर परोपकार कार्य के लिए दान कर दिए। इन शेयर का बाजार मूल्य 52,750 करोड़ रुपए हैं। बताते चलें कि प्रेमजी देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन हैं। वह अपने फाउंडेशन के माध्यम से लोगों की मदद करने का काम करते हैं। इसमें वह अब तक 145,000 करोड़ रुपए दे चुके हैं। दरअसल, अजीम प्रेमजी ने 'अजीज प्रेमजी फाउंडेशन' समाजसेवा के लिए बनाया है। यह फाउंडेशन मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है तथा इस क्षेत्र में काम करने वालों को आर्थिक मदद भी देता है। फाउंडेशन प्रमुख रूप से कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों में सक्रिय है। वंचित तबकों के लिए काम कर रहे करीब 150 एनजीओ को पिछले पांच साल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से फंड भी मिला है। फाउंडेशन की ओर से बेंगलुरू में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का संचालन भी किया जाता है। बताया गया है कि जल्द ही यूनिवर्सिटी को पांच हजार छात्रों और 400 शिक्षकों की क्षमता वाला बनाया जाएगा। इसके बाद फाउंडेशन की उत्तर भारत में भी एक यूनिवर्सिटी खोलने की योजना है। प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 में हुआ था और महज 21 साल की उम्र में उन्होंने विप्रो लिमिटेड की स्थापना की। उनकी पत्नी का नाम यास्मीन हैं। प्रेमजी के दो पुत्र हैं। अपनी काबिलियत के चलते प्रेमजी ने साबुन-तेल बेचने वाली कंपनी को भारत की विशाल आईटी कंपनी बना दिया। संपत्ति के शिखर पर पहुंचने के बावजूद प्रेमजी ने त्याग और परोपकार के गुणों को अपनाए रखा। प्रेमजी की दानशीलता पर बॉयोटेक की संस्थापक किरन मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया कि, 'अजीम प्रेमजी बेहद खास हैं। बेशकीमती हैं और सच्चे 'भारत रत्न' हैं।
ठुकरा दिया था पाक जाने का प्रस्ताव
अजीम प्रेमजी का परिवार मूलत: पाकिस्तान से ही भारत आया था। बताते हैं कि विभाजन के समय पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान चलने का आग्रह किया। इतना ही नहीं प्रेमजी के पिता ने पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत में ही रहना ही पसंद किया। उस वक्त हाशिम प्रेमजी चावल और कुकिंग ऑयल के ख्यात कारोबारी थे और राइस किंग ऑफ बर्मा कहे जाते थे।
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राजस्थान.पत्रिका के तमाम संस्करणों में 23 मार्च 19 के अंक में संपादकीय पेज पर प्रकाशित
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