Saturday, January 28, 2017

कमाल की आस्था, यहां चढ़ते हैं झाडू और नमक

श्रीगंगानगर. 

आस्था के कई रूप हैं तो आराध्य को प्रसन्न करने के विविध तरीके। हर जगह की अपनी विशेषता एवं इतिहास होता है। कहीं अनूठा तो कहीं परम्परागत। कहीं पूजा की विधि चौंकाने वाली होती है तो आराध्य को चढऩे वाला प्रसाद। जिले की सूरतगढ़ तहसील के अधीन आने वाले गांव ढाबां झलार का पड़पाटा धाम भी कई तरह की अनूठी विशेषताएं समेटे हुए हैं। धाम के तालाब के बनने की कहानी तो रोचक है ही। इस तालाब के पानी से चर्मरोग दूर होने की मान्यता भी किसी अचूबे से कम नहीं। इन सबके अलावा यहां एक और खास बात है जो चौंकाती है, वह है यहां चढऩे वाला प्रसाद। 

तालाब में हाथ-पैर धोने से पहले श्रद्धालु यहां प्रसाद के रूप में नमक, झाडू और अनाज चढ़ाते हैं। वैसे तो हर माह प्रत्येक अमावस्या को श्रद्धालु उमड़ते हैं लेकिन भाद्रपद अमावस्या को यहां हजारों लोग जुटते हैं। ऐसे में तालाब के पास झाडू, नमक एवं अनाज का ढेर लग जाता है।  पड़पाटा धाम के तालाब के बारे में मान्यता है कि इसके पानी से हाथ-पैर धोने से चर्म रोग दूर होते हैं। श्रद्धालु इस तालाब के पानी को बोतलों में भरकर अपने घर भी ले जाते हैं। झाडू एवं नमक के चढ़ावे के पीछे वजह ग्रामीण नहीं बता पाते। उनका कहना है  यह परम्परा लंबे समय से चली आ रही है। 

ढाई से तीन हजार झाडू 
पड़पाटा धाम की तमाम व्यवस्थाओं की देखरेख करने वाली पड़पाटा धाम सेवा समिति के अध्यक्ष सेवाराम धतरवाल बताते हैं कि भाद्रपद अमावस्या को तालाब के किनारे झाडुओं का ढेर लग जाता है। करीब दो क्विंटल झाडू एक ही दिन में एकत्रित हो जाती है। इनकी संख्या ढाई से तीन हजार के बीच होती है। नमक व अनाज भी बड़ी मात्रा में एकत्रित हो जाते हैं। इसके अलावा हर माह अमावस्या को भी यहां डेढ सौ के करीब झाडू चढावे के रूप में आते हैं।

स्कूलों व मंदिरों में दे देते हैं झाडू
पड़पाटा धाम पर आने वाली झाडुओं को स्कूलों एव मंदिरों में वितरित कर दिया जाता है। इसके अलावा नमक को गोशालाओं में भिजवा दिया जाता है। चढ़ावे के रूप में आने वाले चढावे का समिति बेचान कर उस राशि को धाम के रखरखाव के नाम पर होने वाले कार्यों में खर्च करती है।

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