Saturday, January 28, 2017

यहां न ढोल बजता है और न ही कोई टॉर्च दिखाने वाला

श्रीगंगानगर. 

अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है। खुले में शौच जाने वालों को रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर कई तरह के अभियान चले थे। मसलन, किसी ने ढोल बजाया तो किसी ने टॉर्च की रोशनी दिखाई। कहीं सिटी बजाई गई तो कहीं मानव शंृखला बनाई गई। दरअसल, यह सारी कवायद खुले में शौच जाने वालों को शर्मसार कर उनको ऐसा करने से रोकने के लिए थी। इन अनूठे प्रयोगों के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले लेकिन हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी में गोगाजी महाराज के वार्षिक मेले के चलते बसे अस्थायी गांव में खुले में शौच जाने पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है। यहां न तो कोई ढोल बजाता है और न ही कोई टॉर्च दिखाने वाला है। 

प्रशासनिक एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से संचालित शौचालय भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में है लेकिन शौचालयों की संख्या अंगुलियों पर गिनने जितनी है। ऐसे में यहां संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। स्वच्छ भारत अभियान की धज्ज्यिां उड़ रही हैं, सौ अलग।
हो सकता  है समाधान 
मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शौचालय की व्यवस्था हो सकती है। हाल ही स्वच्छता के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने वाले बीकानेर जिले के स्वच्छता समन्वयक महेन्द्र सिंह शेखावत बताते हंै कि मेले के दौरान खुले में शौच जाने वालों को रोकना चुनौतीपूर्ण जरूर है लेकिन इसका समाधान भी है। हाल ही मध्यप्रदेश के उज्जैन में कुंभ के मेले में बड़ी संख्या में अस्थायी शौचालय बनाए गए थे जबकि वहां तो गोगामेड़ी से ज्यादा श्रद्धालु आए थे। ऐसी व्यवस्था यहां भी हो सकती है।
हरी झंडी मिले तो तैयार है संस्था 
गोगामेड़ी में स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में काम करने के लिए हरियाणा के सजग भारत फाउंडेशन ने पहल की है। फिलहाल इस संस्था के पचास कार्यकर्ता गोगामेड़ी के रेलवे स्टेशन पर सेवा दे रहे हैं। संस्था की ओर से रेलवे स्टेशन पर 24 स्नानघर एवं 48 शौचालय जल्द संचालित किए जाएंगे। यह अस्थायी होंगे। संस्थान से जुड़े आनंद आर्य कहते हैं कि उनकी संस्था नि:शुल्क रूप से यह काम करती है। अगर प्रशासन की तरफ से उनको बिजली एवं पानी की मदद मिल जाए तो वे मेले में श्रद्धालुओं के लिए शौचालय की वैकल्पिक व्यवस्था कर सकते हैं। आर्य कहते हैं कि इस काम के लिए उन्होंने प्रशासन से संपर्क भी किया लेकिन वहां से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई जबकि रेलवे ने उनको फटाफट स्वीकृति दे दी।  रेलवे के अधिकारियों का सहयोग भी उनको मिल रहा है।
खुले में शौच जाने के दुष्परिणाम
व्यक्ति के एक ग्राम मल से एक करोड़ वायरस फैलते हैं। 
 एक व्यक्ति से मल से तीन किलोमीटर का क्षेत्र संक्रमित 
होता है। 
मल से रोटा वायरस फैलता है, जिससे गंभीर बीमारियां पैदा होती हैं। -अगर बारिश आ जाए तो संक्रमण फैलने की गति चौगुनी हो जाती है।
इस वायरस के पीडि़तों में डायरिया, उल्टी-दस्त, हैजे की आशंका बढ़ जाती है। 
 डायरिया से भारत में हर साल चार लाख बच्चों की मौत हो जाती है।
गोगामेड़ी में कहां कितने शौचालय 
गोगाणा-450
धर्मशालाओं में -400
नोहर रिलीफ सोसायटी में-350
अस्थाई-250
सुलभ शौचालय-200
बस स्टैंड-40
रेलवे स्टेशन -12
ग्राम पंचायत-50

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