Thursday, July 26, 2018

इक बंजारा गाए-40

आशीर्वाद की होड़
श्रीगंगानगर में चल रहे किन्नरों के सम्मेलन में मंगलवार को सामूहिक प्रीतिभोज का आयोजन किया गया था। इस बहाने राजनीति में रुचि रखने वाले आशीर्वाद पाने के लिए इस सम्मेलन में पहुंचे। चुनावी माहौल है, लिहाजा भीड़ ज्यादा होना लाजिमी था। बात यहीं तक सीमित नहीं रही, समारोह में सिर्फ एक दल विशेष के लोगों की भागीदारी ही ज्यादा रही। अन्य दल का कोई नामलेवा ही नहीं था। अब ऐसा क्यों हुआ? यह तो इस सम्मेलन की मध्यस्थता या बुलावे की जिम्मेदारी संभालने वाला ही बता सकता है। खैर, देखने की बात यह है कि किन्नरों का आशीर्वाद कालांतर में क्या रंग दिखाता है? 
ऐसे उखड़ा मिजाज
यह मामला भी किन्नरों के सामूहिक भोज व आशीर्वाद से ही जुड़ा है। इस सम्मेलन में छुटभैये नेता तो पहुंचे ही, राजनीति में रुचि रखने वाली सतारूढ़ दल की इक्का दुक्का महिलाएं भी इस बहाने पहुंची कि क्या पता किन्नरों के आशीर्वाद से किस्मत का ताला खुल जाए। खैर, यहां तक सब ठीक रहा है, लेकिन जो सुनने में आ रहा है वह बेहद हास्यास्पद है। बताते हैं कि एक व्यापारी ने आशीर्वाद लेने के लिए सम्मेलन में पहुंची एक महिला के ही पैर पकड़ लिए। जब व्यापारी को हकीकत बताई तो उसने माफी भी मांगी बताई, लेकिन मैडम का मूड ऐसा उखड़ा कि वह बिना प्रीतिभोज किए ही लौट आई। इधर, इस वाकये को सुनने वालों के हंस-हंस कर पेट में बल पड़ रहे हैं। 
पानी की गुहार
जिले के पुलिस कप्तान ने मंगलवार को ही कमान संभाली है। इस उपलक्ष्य में वे शाम को शहर के खबरनवीसों से मुखातिब थे। उनसे कई तरह के सवालात किए गए। मसलन, शहर की कानून व्यवस्था, निर्धारित समय के बाद भी अवैध शराब की बिक्री, सट्टे की दुकानों का खुलेआम संचालन, तस्करी, नशा आदि आदि। इसके अलावा भी अन्य कई मसलों पर चर्चा हुई। खैर, यहां तलक तो सब ठीक था, लेकिन अजीब स्थिति तो तब पैदा हो गई जब पुलिस कप्तान से शहर में पानी निकासी के बारे में ही सवाल कर लिया गया। हद तो तब हो गई जब पुलिस कप्तान से पाकिस्तान में चुनाव पर श्रीगंगानगर पुलिस की तैयारी का ही प्रश्न दाग दिया गया। 
खबरनवीसों का जमावड़ा
पुलिस कप्तान प्रेस से रूबरू हो तो भला कौन मिलना नहीं चाहेगा? वह भी तब जब मामला नया-नया हो। इस बहाने परिचय भी तो हो जाता है। इसी कारण मंगलवार शाम को पुलिस कप्तान की पीसी (प्रेस कान्फ्रेस) में छह दर्जन से ज्यादा खबरनवीसों का जमावड़ा हो गया। इनमें कई तो ऐसे भी पहुंच गए जिनका किसी समाचार पत्र से कोई वास्ता ही नहीं है। इन कथित खबरनवीसों को देखकर बाकी खबरनवीस हैरान थे, लेकिन मौके की नजाकत देखकर मन मसोस कर रह गए। वैसे यह कथित खबरनवीस मौसमी ही हैं, इनका मकसद खबर लिखने की बजाय मेल मिलाप व परिचय बढ़ाना ही ज्यादा होता है। 
स्वागत के बहाने
श्रीगंगानगर के कतिपय संगठन व उनके पदाधिकारी को जिले में आने वाले अधिकारियों का स्वागत करने की आदत लगी हुई है। दरअसल, स्वागत या अभिनंदन तो किसी उपलब्धि पर किया जाना अच्छा लगता है, लेकिन इन लोगों का असली मकसद स्वागत के बहाने मेल मिलाप व परिचय करना ही ज्यादा होता है। बताते हैं नए कप्तान का स्वागत करने भी कुछ कतिपय सगंठनों के लोग पहुंचे। काफी इंतजार के बाद भी जब मुलाकात का अवसर नहीं मिला तो इन लोगों के अरमानों पर पानी फिरना लाजिमी था। लिहाजा स्वागत के लिए लेकर गए बुके, मालाएं आदि किसी काम नहीं आई। देखना है मुलाकात का मौका फिर कभी नसीब हो पाता है या नहीं? 
सफाई की हकीकत
शहर की बदहाल सफाई व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जिले के हाकिम ने पांच अफसरों का एक पैनल बनाया था। इन अफसरों को शहर के अलग-अलग हिस्सों की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद इन अफसरों को रोजाना अपने-अपने इलाकों की प्रगति रिपोर्ट देनी थी। अब अफसर अपने इलाके में कितनी बार गए? तथा प्रतिदिन की रिपोर्ट बनी या नहीं, यह अलग बात है, लेकिन शहर की सफाई व्यवस्था में कोई खास बदलाव नहीं आया। अब यह समझ से परे है कि जब हकीकत में काम नहीं होता है तो फिर इस तरह के पैनल बनाने की जरूरत ही क्या है?
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राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण के 26 जुलाई 18 के अंक में प्रकाशित।

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