Thursday, July 26, 2018

चंडीगढ़ यात्रा-4

संस्मरण
जैसे ही बस ने लुधियाना को पार किया मैं फिर लेट गया लेकिन नींद नहीं आ रही थी। बस अपनी रफ्तार से दौड़े जा रही थी। मैं बीच-बीच में उठकर बाहर देख रहा था। पांच बजे के करीब भानजे का फोन आ गया लेकिन मैं उसको बताने की स्थिति में नहीं था कि कहां पहुंचा। बस का पर्दा हटाकर देखा तो बाहर बारिश हो रही थी। बादलों से आच्छादित आसमान और मनोहरी हरियाली देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाया और मोबाइल निकालकर एफबी लाइव कर दिया। लंबे पेड़, हरियाली तो कभी ऊंची-ऊंची इमारतें। चावलों की खेत में भरा पानी। यह सब नजारे एफबी पर कैद होते गए। ऊंची इमारतों से आभास तो गया था कि बस चंडीगढ़ के आसपास उसकी सीमा में प्रवेश कर चुकी है। आखिरकार साढ़े पांच बजे के करीब बस मोहाली के एक पेट्रोल पंप पर रुकी और परिचालक ने संभवत: पहली बार आवाज लगाई। उसने कहां आखिरी स्टॉपेज आ चुका है सभी सवारियां उतर जाएं। दरअसल यह पेट्रोल पंप मोहाली के 43 नंबर बस स्टैंड के ठीक बगल में है। बस से उतरते ही ऑटो वालों ने घेर लिया। सब मुझे उम्मीद भरी नजरों से देख रहे थे लेकिन मैं सबको चीरता हुआ सड़क किनारे आकर खड़ा हो गया। भानजे का फोन आ गया लेकिन वह बस स्टैंड के आसपास ही घूम रहा था। आखिर एक स्थानीय आदमी से बात करवाकर सही लोकेशन बताई तब वह वहां पहुंचा। आखिरकर बस स्टैंड से हम घर के लिए रवाना हुए। सुबह के छह बजने को थे, लिहाजा सड़कों पर यातायात बेहद कम था। एकदम चौड़ी और खाली सड़कें तथा उनके किनारों पर लगे कतारबद्ध पेड़ वाकई यह साबित कर रहे थे चंडीगढ़ को नियोजित शहर क्यों कहा जाता है। सड़कें भी एकदम चकाचक। बिलकुल साफ। कहीं कोई गंदगी नहीं। चौराहों पर कोई होर्डिंग्स या बैनर आदि का नामोनिशान तक नहीं। प्रत्येक चौराहे पर बड़े-बड़े सूचना पट्ट जरूर लगे हैं, जिन पर सेक्टर के नंबर और उनकी लोकेशन बताई गई है। चंडीगढ़ एक तरह से सेक्टरों का ही शहर है। यहां संकेतांकों पर किसी मोहल्ले या बस्ती का नाम दिखाई नहीं देता। दूसरी बात यह कि सड़कों के आसपास कोई मकान, बस्ती या दुकान आदि दिखाई नहीं देती। एेसा लगता है किसी सघन जंगल से गुजर रहे हों। हरियाली मुझे सदा ही लुभाती रही है, लिहाजा यह सब देखकर मैं बेहद उत्साहित था। साथ-साथ यह सब नजारे मैं एफबी लाइव के माध्यम से कैद भी कर रहा था। करीब पन्द्रह मिनट के सफर के बाद मैं भानजे के क्वार्टर पर था। नित्य कर्म से निवृत हुआ तब तक भतीजा सिद्धार्थ भी आ चुका था। हम तीनों ने नाश्ता किया और फिर निकल पड़े नियोजित शहर चंडीगढ़ को साक्षात देखने।
क्रमश:

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