Thursday, July 26, 2018

चंडीगढ़ यात्रा-3

संस्मरण
बस स्टैंड से रवाना हो गई लेकिन मुझे चैन नहीं था। अपनी पीड़ा किसके समक्ष जाहिर करूं, बस बार-बार यही सोचता रहा। ट्रेवल्स एजेंसी के मालिक का पता किया। नाम तो बता दिया गया लेकिन मोबाइल नंबर नहीं मिले। बहुत प्रयास किया तो यह जानकारी में आया कि मालिक ट्रेवल्स एजेंसी खुद नहीं देखते। कोई तीसरी या चौथी पार्टी है जो यह काम देखती है। जानकारी यह भी सुनने में आई कि ट्रेवल्स एजेंसी के मालिक की जमीन पर आरटीओ कार्यालय बना हुआ है। खैर, मुझे जब और कोई रास्ता नहीं सूझा तो पुलिस के एक अधिकारी को फोन लगाया। चूंकि मैं गुस्से में था और आवेश में एजेंसी व आरटीओ के बारे में बोलता गया। मैंने कहा कि मैं कोई फ्री यात्रा नहीं करता, लेकिन सरकारी विभागों को यह एजेंसी वाले हर तरह से ऑब्लाइज्ड करते हैं। न केवल यात्रा फ्री करवाते हैं, बिलकुल सीट भी वीआईपी और रास्ते में बाराती जैसी आवभगत और करते हैं। मैं कहे जा रहा था और पुलिस अधिकारी सुने जा रहे थे। मैंने यहां तक कहा कि शाम को कमोबेश हर ट्रेवल्स एजेंसी की बसें बीच सड़क पर खड़ी रहती हैं। यातायात जाम रहता है। सड़कें संकरी हो जाती हैं, लेकिन न पुलिस बोलती है न कोई और। क्योंकि सबके मुंह बंद हैं। सब एहसानों से दबे हैं। कोई पैसे से तो कोई सेवा से। खैर, अपनी भड़ास मैं निकाल चुका था, पुलिस अधिकारी सिर्फ चैक करवाते हैं, दिखवाते हैं, समझा देंगे के अलावा और कुछ नहीं कह पा रहे थे। इस बातचीत में बस श्रीगंगानगर की सरहद से पार निकलकर लालगढ़ जाटान तक पहुंच चुकी थी।
खैर, इसके बाद दोस्तों से भी इसी घटनाक्रम को शेयर किया तो सभी ने मूड सही रखने और आराम से यात्रा करने की सलाह दी। रास्ते में बस एक जगह रोकी गई, वह कोई पेट्रोल पंप था। वैसे पता नहीं बस किस रुट से होकर जा रही थी लेकिन रास्ता खराब था। मैं अंदर स्लीपर में लेटा लेटा अपने आप ही इधर-इधर हो रहा था। बस में रात का सफर अक्सर किया है लेकिन इस तरह के असुविधा पहली बार हुई। संभवत: रास्ता सही नहीं होने के कारण एेसा हो रहा था। बाहर अंधेरा होने के कारण पता नहीं चल पा रहा था कि आखिर कौनसी जगह है। आखिरकार कई देर ताकने के बाद रोशनी दिखाई दी तो लगा कि कोई शहर आया है। संकेतांक व दुकानों के बाहर के बोर्ड पंजाबी में लिखे होने के कारण मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह शहर कौनसा है। आखिरकार एक जगह अंग्रेजी में लुधियाना लिखा देखा। लुधियाना से चंडीगढ़ करीब एक सौ पांच किलोमीटर पड़ता है।
क्रमश :

No comments:

Post a Comment