बताया जाता है कि श्रीगंगानगर पेरिस शहर के नक्शे पर बसा है। लोकतंत्र के रहनुमाओं की अदूरदर्शिता व अकर्मण्यता के चलते यह खूबसूरत बसावट वाला शहर गंदानगर हो चला है। योजनाएं बनती हैं, लेकिन उनमें जनहित गौण रहता है..। शिव चौक से जिला अस्पताल तक डेढ किमी सड़क का होने वाला कथित कायाकल्प भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है। इसी विषय पर केन्द्रित है मेरी यह जो लगी है।
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टिप्पणी
शिव चौक से जिला अस्पताल तक 160 लाख रुपए की लागत से सर्विस रोड बनेगी। इस दिशा में बुधवार को काम शुरू हो गया। बताया जा रहा है रविवार को इस काम का विधिवत उदघाटन भी होगा। इस सर्विस रोड को लेकर बहुत कुछ बताया जा रहा है, मसलन, चंडीगढ-जयपुर की तर्ज पर बनेंगे डिवाइडर। फुटपाथ व हरियाली की व्यवस्था होगी, अत्याधुनिक स्ट्रीट लाइट लगेंगी। पैदल चलने वालों के लिए डिवाइडर ट्रेक, पशुओं को रोकने के लिए जाली, छोटे-बड़े वाहनों के लिए अलग-अलग लेने होंगी। डिवाइडर पर रैलिंग लगेगी। खाली जगह पर खास की तरह की घास लगाई जाएगी। फूलों के पौधे लगाए जाएंगे। साथ में ट्री गार्ड पर हरियाली व स्वच्छता से संबंधित स्लोगन लिखे जाएंगे। इनमें अधिकतर काम तीन माह में पूरा हो जाएगा। कल्पना कीजिए, तीन माह बाद शिव चौक से जिला अस्पताल तक सड़क जयपुर या चंडीगढ़ जैसा नजारा देगी। एक-डेढ़ किलोमीटर के इस टुकड़े से गुजरते वक्त एक अलग तरह का अहसास होगा।
सच में ऐसा हो जाएगा और इसका नियमित रूप से रखरखाव होगा, इसमें संशय है। यूआईटी प्रशासन की मौजूदा कार्यशैली से तो कतई लगता नहीं है कि यह कल्पना इस रूप में साकार भी होगी। वर्तमान में शिव चौक से जिला अस्पताल सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण हैं। खुलेआम सड़कों पर व्यापार हो रहा है। रेते, ग्रिट के ढेर, बजरी से भरे ट्रक व टै्रक्टर से यहां दिन भर जाम की स्थिति रहती है। रोड लाइट नियमित रूप से नहीं जलती हैं। आवारा पशुओं को यहां वहां स्वच्छंद विचरण करते देखा जा सकता है। बरसाती पानी निकासी के नाले की सफाई भी तभी होती है, जब यह जाम हो जाता है। यह नाला भी एक तरफ ही है। इसी रोड पर स्थित दो होटलों के सामने तो सड़क इतनी नीची है कि बरसात के दिनों में डेढ़-डेढ़ फीट पानी भर जाता है। इस मार्ग पर सर्वाधिक धूल उड़ती है।
क्या सर्विस रोड़ बनने से इतनी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा? इस बात का यकीन कैसे किया जाए कि जिस यूआईटी प्रशासन ने आज अतिक्रमण करने वालों को अभयदान दे रखा है, वह कल उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा? इतना ही नहीं, सिर्फ क्या जिला अस्पताल से शिव चौक तक मार्ग का कायाकल्प करने से शहर की छवि सुधर जाएगी? बाइपास से लेकर जिला अस्पताल तक की तस्वीर तो कुछ और ही कहानी बयां करेगी। महज एक -डेढ़ किमी सड़क का कथित कायाकल्प मौजूदा समस्याओं का समाधान किए बिना एक तरह से पैसे की बर्बादी ही है। इस मार्ग पर सबसे पहली जरूरत अतिक्रमण हटाने तथा बीच सड़क पर खुलेआम होने वाले व्यापार पर अंकुश लगाने की है। जो लोग आज जहां जमे हैं वे सड़क बनने के बाद फिर वहीं काबिज होंगे। यूआईटी प्रशासन की भूमिका से लगता नहीं है कि वह इन अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। यकीन किया भी कैसे जाए , जो यूआईटी प्रशासन शहर को बदरंग करने वालों पर कार्रवाई नहीं करता, जो यूआईटी प्रशासन एक अदना सा होर्डिंग्स नहीं हटा सकता, वह अतिक्रमण करने वालों को खदेड़ देगा, इस पर बात पर फिलहाल तो यकीन नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 23 फरवरी 18 के अंक में प्रकाशित
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टिप्पणी
शिव चौक से जिला अस्पताल तक 160 लाख रुपए की लागत से सर्विस रोड बनेगी। इस दिशा में बुधवार को काम शुरू हो गया। बताया जा रहा है रविवार को इस काम का विधिवत उदघाटन भी होगा। इस सर्विस रोड को लेकर बहुत कुछ बताया जा रहा है, मसलन, चंडीगढ-जयपुर की तर्ज पर बनेंगे डिवाइडर। फुटपाथ व हरियाली की व्यवस्था होगी, अत्याधुनिक स्ट्रीट लाइट लगेंगी। पैदल चलने वालों के लिए डिवाइडर ट्रेक, पशुओं को रोकने के लिए जाली, छोटे-बड़े वाहनों के लिए अलग-अलग लेने होंगी। डिवाइडर पर रैलिंग लगेगी। खाली जगह पर खास की तरह की घास लगाई जाएगी। फूलों के पौधे लगाए जाएंगे। साथ में ट्री गार्ड पर हरियाली व स्वच्छता से संबंधित स्लोगन लिखे जाएंगे। इनमें अधिकतर काम तीन माह में पूरा हो जाएगा। कल्पना कीजिए, तीन माह बाद शिव चौक से जिला अस्पताल तक सड़क जयपुर या चंडीगढ़ जैसा नजारा देगी। एक-डेढ़ किलोमीटर के इस टुकड़े से गुजरते वक्त एक अलग तरह का अहसास होगा।
सच में ऐसा हो जाएगा और इसका नियमित रूप से रखरखाव होगा, इसमें संशय है। यूआईटी प्रशासन की मौजूदा कार्यशैली से तो कतई लगता नहीं है कि यह कल्पना इस रूप में साकार भी होगी। वर्तमान में शिव चौक से जिला अस्पताल सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण हैं। खुलेआम सड़कों पर व्यापार हो रहा है। रेते, ग्रिट के ढेर, बजरी से भरे ट्रक व टै्रक्टर से यहां दिन भर जाम की स्थिति रहती है। रोड लाइट नियमित रूप से नहीं जलती हैं। आवारा पशुओं को यहां वहां स्वच्छंद विचरण करते देखा जा सकता है। बरसाती पानी निकासी के नाले की सफाई भी तभी होती है, जब यह जाम हो जाता है। यह नाला भी एक तरफ ही है। इसी रोड पर स्थित दो होटलों के सामने तो सड़क इतनी नीची है कि बरसात के दिनों में डेढ़-डेढ़ फीट पानी भर जाता है। इस मार्ग पर सर्वाधिक धूल उड़ती है।
क्या सर्विस रोड़ बनने से इतनी सारी समस्याओं का समाधान हो जाएगा? इस बात का यकीन कैसे किया जाए कि जिस यूआईटी प्रशासन ने आज अतिक्रमण करने वालों को अभयदान दे रखा है, वह कल उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा? इतना ही नहीं, सिर्फ क्या जिला अस्पताल से शिव चौक तक मार्ग का कायाकल्प करने से शहर की छवि सुधर जाएगी? बाइपास से लेकर जिला अस्पताल तक की तस्वीर तो कुछ और ही कहानी बयां करेगी। महज एक -डेढ़ किमी सड़क का कथित कायाकल्प मौजूदा समस्याओं का समाधान किए बिना एक तरह से पैसे की बर्बादी ही है। इस मार्ग पर सबसे पहली जरूरत अतिक्रमण हटाने तथा बीच सड़क पर खुलेआम होने वाले व्यापार पर अंकुश लगाने की है। जो लोग आज जहां जमे हैं वे सड़क बनने के बाद फिर वहीं काबिज होंगे। यूआईटी प्रशासन की भूमिका से लगता नहीं है कि वह इन अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। यकीन किया भी कैसे जाए , जो यूआईटी प्रशासन शहर को बदरंग करने वालों पर कार्रवाई नहीं करता, जो यूआईटी प्रशासन एक अदना सा होर्डिंग्स नहीं हटा सकता, वह अतिक्रमण करने वालों को खदेड़ देगा, इस पर बात पर फिलहाल तो यकीन नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 23 फरवरी 18 के अंक में प्रकाशित
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