बस यूं ही
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 8 मार्च को झुंझुनूं आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। बताया जा रहा है प्रधानमंत्री महिला दिवस के उपलक्ष्य में बेटी बचाओ, बेटी अभियान का संदेश देंगे। प्रधानमंत्री के झुंझुनूं आगमन की खबर के साथ इन दिनों एक बात की खासी चर्चा है। यह चर्चा सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में भी आ चुकी है। चर्चा इस बात की है कि प्रधानमंत्री रहते जो भी नेता झुंझुनूं या जिले में आया वह फिर दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बना। इसके समर्थन में कई उदाहरण भी बताए जा रहे हैं। इस सूची में कांग्रेस, भाजपा व जनता दल के प्रधानमंत्रियों के नाम भी गिनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री रहते इंदिरा गांधी, राजीव गांधी अटलबिहारी वाजपेयी, एचडी देवगौड़ा के नाम बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है यह लोग प्रधानमंत्री रहते झुंझुनूं आए लेकिन इसके बाद दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बने। अब नरेन्द्र मोदी का दौरा प्रस्तावित है तो इस बात ने फिर जोर पकड़ लिया है कि क्या मोदी भी न जीतने वालों की श्रेणी में शामिल होंगे या जीतकर इतिहास बनाएंगे। हालांकि हार जीत अभी दूर की कौड़ी है। ऊंट किस करवट बैठेगा अभी तय नहीं है लेकिन चौपाल व नुक्कड़ों पर बैठने वाले लोगों को जाने-अनजाने में एक चर्चा जरूर मिल गई है। यह चर्चा एक तरह की जिज्ञासा भी है, जिसका पटाक्षेप तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही हो पाएगा।
काबिलेगौर है प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का शुभारंभ किया था। इसके बाद 24 जनवरी को 2015 झुंझुनूं के शहीद पीरूसिंह स्कूल में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान पर कार्यक्रम हुआ था। जिसमें एक हजार से अधिक बेटियों का सम्मान किया गया था। इसी कार्यक्रम को लेकर 24 जनवरी 2017 को दिल्ली में झुंझुनूं जिले का सम्मान भी हुआ। झुंझुनूं में हुए कार्य की मोदी मन की बात में चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा टविटर पर भी इस अभियान की सराहना कर चुके हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री आठ मार्च को महिला दिवस पर झुंझुनूं आएंगे और अभियान के तहत काम का संदेश समूचे देश को दे सकते हैं, हालांकि उनका इसी तरह का दौरान 22 जनवरी को प्रस्तावित था लेकिन वह किन्ही कारणों के चलते निरस्त हो गया।
बहरहाल, कई तरह के कयासों का दौर जारी है। अंधविश्वास व टोने टोटकों में विश्वास करने वाले प्रधानमंत्री के दौरे के टलने की मन ही मन दुआ करें तो कोई बड़ी बात नहीं है। फिलहाल पहली बात तो यही देखने की है कि प्रधानमंत्री का दौरा बनता है या टलता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 8 मार्च को झुंझुनूं आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। बताया जा रहा है प्रधानमंत्री महिला दिवस के उपलक्ष्य में बेटी बचाओ, बेटी अभियान का संदेश देंगे। प्रधानमंत्री के झुंझुनूं आगमन की खबर के साथ इन दिनों एक बात की खासी चर्चा है। यह चर्चा सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय समाचार पत्रों में भी आ चुकी है। चर्चा इस बात की है कि प्रधानमंत्री रहते जो भी नेता झुंझुनूं या जिले में आया वह फिर दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बना। इसके समर्थन में कई उदाहरण भी बताए जा रहे हैं। इस सूची में कांग्रेस, भाजपा व जनता दल के प्रधानमंत्रियों के नाम भी गिनाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री रहते इंदिरा गांधी, राजीव गांधी अटलबिहारी वाजपेयी, एचडी देवगौड़ा के नाम बताए जा रहे हैं। कहा जा रहा है यह लोग प्रधानमंत्री रहते झुंझुनूं आए लेकिन इसके बाद दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बने। अब नरेन्द्र मोदी का दौरा प्रस्तावित है तो इस बात ने फिर जोर पकड़ लिया है कि क्या मोदी भी न जीतने वालों की श्रेणी में शामिल होंगे या जीतकर इतिहास बनाएंगे। हालांकि हार जीत अभी दूर की कौड़ी है। ऊंट किस करवट बैठेगा अभी तय नहीं है लेकिन चौपाल व नुक्कड़ों पर बैठने वाले लोगों को जाने-अनजाने में एक चर्चा जरूर मिल गई है। यह चर्चा एक तरह की जिज्ञासा भी है, जिसका पटाक्षेप तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही हो पाएगा।
काबिलेगौर है प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का शुभारंभ किया था। इसके बाद 24 जनवरी को 2015 झुंझुनूं के शहीद पीरूसिंह स्कूल में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान पर कार्यक्रम हुआ था। जिसमें एक हजार से अधिक बेटियों का सम्मान किया गया था। इसी कार्यक्रम को लेकर 24 जनवरी 2017 को दिल्ली में झुंझुनूं जिले का सम्मान भी हुआ। झुंझुनूं में हुए कार्य की मोदी मन की बात में चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा टविटर पर भी इस अभियान की सराहना कर चुके हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री आठ मार्च को महिला दिवस पर झुंझुनूं आएंगे और अभियान के तहत काम का संदेश समूचे देश को दे सकते हैं, हालांकि उनका इसी तरह का दौरान 22 जनवरी को प्रस्तावित था लेकिन वह किन्ही कारणों के चलते निरस्त हो गया।
बहरहाल, कई तरह के कयासों का दौर जारी है। अंधविश्वास व टोने टोटकों में विश्वास करने वाले प्रधानमंत्री के दौरे के टलने की मन ही मन दुआ करें तो कोई बड़ी बात नहीं है। फिलहाल पहली बात तो यही देखने की है कि प्रधानमंत्री का दौरा बनता है या टलता है।
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