Wednesday, February 28, 2018

इक बंजारा गाए-19

दूध का जला
कहावत है दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है। कहने का आशय है यह है कि एक बार कोई सीख मिल जाती है या अनुभव हो जाता है तो फिर दुबारा वैसे होने के चांस खत्म या कम हो जाते हैं। ऐसा ही धार्मिक संगठन के साथ हुआ। चूंकि इस संगठन ने कार्यक्रम के बहाने इस बार चार संकल्प भी ले लिए थे। इनमें एक संकल्प स्वच्छता का भी था। शुरुआत में तो इस संकल्प का पालना होती दिखाई नहीं दी, जब कार्यक्रम के बहाने सभी ने अपने-अपने प्रतिष्ठान के नाम के साथ होर्डिंग्स लगाकर शहर को बदरंग कर दिया। इतना ही नहीं कार्यक्रम के पहले दिन निकली यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने ठंडा पेय पीकर रैपर व खाली पैकेट सड़कों पर फेंक दिए थे। खैर, कार्यक्रम के समापन के बाद जरूर स्वच्छता का संकल्प साकार होता दिखाई दिया जब शहर से सभी होर्डिंग्स रातोंरात ही उतर गए।
राजनीति तो नहीं
शहर का स्वच्छता सर्वे होने के बाद कई जगह नाले अचानक से उफान मारने लगे हैं। नाले बंद हो रहे हैं और पानी सड़कों पर फैल रहा है। एक ही क्षेत्र में इस तरह की समस्या होना न केवल गंभीर बात है बल्कि जांच का विषय भी है। सफाई के नाम पर मोटा बजट खर्च करने तथा नए ठेके में बजट बढ़ाने के बावजूद नालियां जाम क्यों हो रही हैं। उनमें कचरा अटक रहा है या उनको जानबूझकर अवरुद्ध किया जा रहा है, यह भी बड़ा सवाल है। पिछले दिनों तो एक नाला ऐसा भी मिला जिस पर सड़क तक बना दी गई। अब सड़क किसने बनाई, क्यों बनाई, इससे क्या फायदा था, यह तो नगर परिषद ही जाने। क्यों न नाला बनाने वाले अधिकारी या जनप्रतिनिधि से यह राशि वसूली जाए। यह भी एक तरह का राजकोष को नुकसान ही तो था। लगता नहीं परिषद प्रशासन इतनी हिम्मत दिखा पाएगा। 
नया शगल
चुनाव का मौसम नजदीक आने के साथ-साथ ही सभी लोग अपने कद व पद के हिसाब से काम पर लग जाते हैं। यही कारण है कि सभी की अपने-अपने हिसाब से सक्रियता भी बढ़ जाती है। इन दिनों ऐसे लोग कार्यक्रमों में देखे जा सकते हैं। कहीं बाकायदा प्रायोजित तरीके से कार्यक्रम हो रहे हैं तो कहीं यह बिन बुलाए मेहमान ऐसे ही पहुंच जाते हैं। विशेषकर शादी व गमी में तो बिन बुलाए मेहमानों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। यह क्रम चुनाव तक बदस्तूर चले तो कोई बड़ी बात नहीं। किसी न किसी बहाने से खुद को चर्चा मेंं रखने का नया शगल भी पनप रहा है। हर जगह सहभागिता दिखाना भी इसी का हिस्सा है। पिछले दिनों जिला मुख्यालय पर निकली रैली में भी कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला था। एक नेताजी बाइक पर खड़े होकर फोटो सेशन तक करवाने लगे।
गले की हड्डी
कई बार सुना है कि अक्सर अनाज के साथ घुण भी पिस जाता है। अब ऐसा होता साक्षात देखा भी जा रहा है। पिछले दिनों पड़ोसी प्रदेश की खाकी ने जोश-जोश में एनकाउंटर तो कर दिया लेकिन यह एनकाउंटर अब खाकी के गले की हड्डी बन गया है। हालात यह है कि न उगलते बन रहा है न निगलते। दरअसल, एनकाउंटर में दो गैंगस्टर के साथ एक जना और मारा गया। पहले तो इसकी शिनाख्त ही नहीं हुई। बाद में पता चला है कि यह तो ऐसे ही लपेटे में आ गया है। बचाव के लिए दोनों प्रदेशों का पुलिस रिकॉर्ड भी इस उम्मीद से खंगाला गया कि शायद तीसरे युवक के खिलाफ कहीं कोई आपराधिक मामला मिल जाए लेकिन खाकी को निराशा ही हाथ लगी। फिलहाल तो पड़ोसी प्रदेश की खाकी के पैरों के नीचे की जमीन खिसकी हुई है।
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राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण के 01 फरवरी 18 के अंक में प्रकाशित 

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