श्रीगंगानगर.
न तो उसका नाम गुम है और न ही चेहरा बदला है। और तो और आवाज भी उसकी पहचान नहीं है। बस पीठ पर चस्पा एक छोटा सा 'इश्तहार' ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है। यह अजीब सी दास्तां हैं ताराचंद वाटिका के पास रहने वाले दिव्यांग चमकौरसिंह की। परिजन वैसे तो उस पर नजर रखते हैं लेकिन कई बार वह चुपचाप घर से निकल जाता है। एेसे में उसको तलाशने के लिए परिजनों ने एक अजीब सा तरीका अपना रखा है। चमकौर की पीठ पर कमीज पर एक सूचना लगा दी गई है। इस पर लिखा है ' यह बच्चा मानसिक रूप से बीमार है, अगर कहीं मिले तो फोन करने की कृपा करें।' इस सूचना के नीचे दो मोबाइल नंबर लिखे हुए हैं।
दरअसल, इस तरह का आइडिया चमकौर के परिजनों को किसी शुभचिंतक ने ही दिया था। कुछ दिन पहले चमकौर जलालाबाद चला गया था। बाद में फेसबुक के माध्यम से वह मिल गया। इसके बाद उसकी पीठ पर यह सूचना लगा दी गई है। वह घर से बाहर जाता है तो लोग उसकी पीठ पर लिखे नंबर देखकर फोन कर देते हैं। इससे परिजन चमकौर को आसानी से तलाश लेते हैं।
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फोन करके परिजनों को बुलाया
चमकौर पदमपुर रोड स्थित कल्याण भूमि में सोमवार को किसी के अंतिम संस्कार में शामिल हुआ। पीठ पर चस्पा सूचना देखकर वहां मौजूद लोगों ने फोन लगाया तो परिजन वहां आए और चमकौर को लेकर गए। चमकौर के बड़े भाई गुरप्रीत ने बताया कि वे तीन भाई हैं। उन्होंने बताया कि चमकौर ने दस साल तक तपोवन मनोविकास विद्यालय में अध्ययन किया है। वह दिव्यांग है। घर के सब लोग उस पर ध्यान रखते हैं लेकिन कई बार वह घर से निकल जाता है। घर का रास्ता भूल जाता है इसीलिए पीठ पर नंबर लिखे हैं ताकि सूचना पर वहां पहुंचा जा सके।
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