बस यूं ही
सीमा सुरक्षा बल के जवान के समर्थन में समूची सेना/ सुरक्षा बलों को कठघरे में खड़े करने वालों से मेरा पहला सवाल यही है कि वो जिस भी क्षेत्र में काम कर रहे हैं कि क्या वहां शत-प्रतिशत पारदर्शिता है? मतलब सारे काम ईमानदारी से ही होते हैं या सारे लोग ही दूध के धुले हैं? यकीनन सभी का उत्तर नहीं ही आएगा। फिर भी अगर कोई हां कहता है तो शर्तिया वह झूठ बोलता है। इस अजीब व अटपटे सवाल से अपनी बात शुरू करने का मतलब यही है कि हम जिस भी क्षेत्र से आते हैं, (भले ही व्यक्तिगत रूप से आप कैसे भी हो यह मायने नहीं रखता है) वहीं अगर गड़बड़ है तो हमको दूसरों पर अंगुली उठाने का या आइना दिखाने का कोई अधिकार नहीं है। और उठाते हैं तो यह उन लोगों का अपमान है जो ईमानदारी के पथ पर चल रहे हैं। हां एक मछली द्वारा सारे तालाब को गंदा करने वाली बात से जरूर सहमत हुआ जा सकता है। खैर, सोशल मीडिया में आज बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं। कई तरह की उपमाएं दी जा रही हैं। सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कई तरह के तर्क व अनुभव बताए जा रहे हैं। सैन्य अनुशासन को तार-तार करने वाले एक सीमा सुरक्षा बल के जवान को बतौर हीरो बनाया जा रहा है। बात यहीं तक सीमित नहीं है जवान के समर्थन में उतरे लोग तो बीएसएफ की तरफ से दिए गए जवाबों पर ही सवाल उठा रहे हैं। याद दिला देता चलूं कि यह वही लोग हैं जो कुछ रोज पहले सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सेना व जवानों के सम्मान में बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थें।
इन सब के बीच मान भी लें कि सीमा सुरक्षा बल के जवान के साथ अन्याय हुआ लेकिन इंसाफ पाने के लिए जवान ने जो रास्ता अपनाया क्या वह सही है? क्या जवान को ऑन ड्यूटी मोबाइल रखने की इजाजत है? क्या घर की शिकायत घर के मुखिया के बजाय छत्त पर खड़े होकर चिल्ला चिल्लाकर बतानी चाहिए? आज कमोबेश हर दूसरा या तीसरा आदमी उस जवान के साहस को सलाम करता नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर जवान के समर्थन में जबरदस्त बहस छिड़ी है। यह तो भी सभी जानते हैं कि सेना हो या अद्र्धसैनिक बल। इनके लिए अनुशासन बड़ी चीज होती है। अनुशासन भंग करके कोई अपनी पीड़ा बता रहा है तो वह सैन्य कानून के हिसाब से गुनाहगार है। अनुशासन जहां भंग होता है, वहां कुछ भी हो सकता है। बिना अनुशासन के तो अराजकता ही फैलेगी। कल्पना कीजिए अगर हर जवान ही इस तरह अनुशासन भंग करने लगा तो फिर तो सेना के औचित्य पर ही बड़ा सवाल खड़ा हो जाएगा। सीमा सुरक्षित कैसे रहेगी। इधर, जवान की अनुशासनहीनता को साहस भरा कदम बताने वाले कल फिर प्रलाप कर सकते हैं जब इस जवान पर कोई गाज गिरेगी।
खैर, एक बात और इस जवान के नाम से फेसबुक अकाउंट भी है। यह सही है या गलत है इसकी कोई पुष्टि मैं नहीं करता लेकिन इस अकाउंट को चमत्कारित रूप से फालो करने वालो की बाढ़ सी आ गई है। यह आंकड़ा एक लाख के करीब पहुंच चुका है। इसी अकाउंट पर वह वीडियो अपलोड किए हुए हैं जिन पर देश भर में बवाल मचा हुआ है। अब जरा अपलोड वीडियो, मैसेज एवं उनके समय की बात कर ली जाए। जवान का वीडियो फेसबुक अकांउट पर 8 जनवरी को शाम 5.35 बजे अपलोड किया गया है। इससे पहले दोपहर 2.30 बजे दाल वाला वीडियो अपलोड किया हुआ है। इसके बाद 9 जनवरी को सुबह 7.28 पर दाल का एक और वीडियो अपलोड किया गया है। इसके बाद सुबह 8.12 बजे जली हुई रोटी का वीडियो तथा 8.13 मिनट पर कथित जवान का वर्दी में फोटो अपलोड किया गया है। और अब मंगलवार शाम आठ बजे से 18 घंटे पहले ओके गुड नाइट नया वीडियो देखो का मैसेज पोस्ट किया गया है। 17 घंटे पहले मोबाइल नंबर तथा 16 घंटे पहले टूटी फूटी हिन्दी में एक और मैसेज पोस्ट किया गया है जिसमें कहा है कि वह सभी धर्मो का सम्मान करता है।
इसके बाद रोमन में एक पोस्ट लिखी गई थी, जो अब डिलीट कर दी गई है। इसमें एक महिला की फोटो के साथ लिखा गया था कि वह जवान की पत्नी है उसका कल शाम से ही पति से संपर्क नहीं हो पा रहा है। यह पोस्ट अब अकाउंट से हटा दी गई है। इसके बाद एक नई पोस्ट भी अंग्रेजी में लिखी है कि सम पीपल आर ट्राइंग टू से देट इट इज फेक आईडी सो आई वान्ट टू से देट आईएम वाइफ ऑफ ( जवान का नाम) हू इज यूजिंग दिस आईडी। इन तमाम वीडियो एवं पोस्ट को बड़ी संख्या में शेयर किया जा रहा है। कमेंट्स की तो जबरदस्त भरमार है। बहरहाल, जवान के नाम पर संचालित अकाउंट पर अचानक पत्नी के नाम से मैसेज आना, फिर उसका डिलीट होजाना। पहले टूटी फूटी हिन्दी में लिखना। फिर अंग्रेजी में बात कहना। आखिर में यह कहना कि पत्नी ही पति का अकाउंट चला रही है। इन तमाम बातों से यह जाहिर जरूर हो रहा है कुछ गड़बड़ है। विरोधाभासी मैसेज संदिग्ध प्रतीत होते हैं। बहरहाल, मैं व्यक्तिगत रूप से सेना एवं अध्यापकों का हमेशा से ही सम्मान करता रहा हूं। फिर भी जो आरोप लगे हैं उनकी गहनता व ईमानदारी से जांच होनी चाहिए। आरोपों की भी और संबंधित जवान की भी। और साथ में उस फेसबुक अकाउंट की भी।
और हां फेसबुक के माध्यम से सेना पर अनर्गल टिप्पणी करने वालों यह मत भूलो कि देश सेना के हाथों ही महफूज है। कभी अपने किसी परिजन को फौज में भेजकर देखो फिर बताना सेना कैसी है। हमेशा यह बात याद रखो कि सेना में अगर दो चार जयचंद हैं भी तो उसके लिए पूरी सेना जिम्मेदार नहीं है।
जय हिन्द। जय भारत की सेना।
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