Saturday, September 29, 2018

इक बंजारा गाए-45


मजदूरों की मौज
मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा हाल में श्रीगंगानगर जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों से गुजरी। पांचों विधानसभाओं में मुख्यमंत्री की कहीं बड़ी सभा तो कहीं स्वागत सभाएं हुई। दरअसल, इन सभाओं में विधानसभा चुनाव के दावेदारों की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। उनको मुख्यमंत्री के समक्ष यह साबित करना था कि उनके साथ कितने लोग हैं। खैर, यह शक्ति प्रदर्शन एक दो विधानसभाओं में ज्यादा दिखाई दिया, जहां सभाएं भी एक से ज्यादा हुईं। इनमें ज्यादा उपस्थिति दिखाने के चक्कर में मनेरगा मजबूरों को लाने की बातें भी सामने आ रही हैं। चर्चा है कि इन मजदूरों को टिकट के दावेदारों की ओर से 70 से 150 रुपए तक का भुगतान किया गया। खैर, इस बहाने मजदूरों की मौज जरूर हो गई।
सामूहिक गठबंधन
चुनाव में टिकट लेने और कटवाने के लिए क्या कुछ नहीं करना पड़ता। इतना नहीं राजनीति में दोस्त कब दुश्मन हो जाए और दुश्मन कब मित्र बन जाए, इसका भी कोई अता-पता नहीं होता। हां किसी एक को टारगेट करने या कमजोर करने के लिए कई बार उसके दुश्मन जरूर एक हो जाते हैं। कहा भी गया है कि दुश्मन का दुश्मन मित्र होता है। मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के दौरान एक विधानसभा में भी एेसा ही कुछ हुआ। जिले के एक बड़े नेता की सभा को छोटी या हल्की दिखाने के मकसद से टिकट के अन्य दावेदार एक हो गए और सभी ने सामूहिक रूप से सभा का आयोजन करवाया। वैसे सामूहिक हाथ मिलाने कामकसद बड़े नेता का कद छोटा करना ही ज्यादा नजर आया।
काली पगड़ी
मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के दौरान हुई सभाओं में एहतियातन एक बात का विशेष ख्याल रखा गया। सभा में काले कपड़े या काले तौलिये के साथ जाने की इजाजत किसी को नहीं थी। इसके बावजूद अक्सर काली पगड़ी पहनने वाले भाजपा किसान मोर्चा से संबंधित एक सरदारजी काली पगड़ी में एक सभा में चले गए। चूंकि सरदारजी वहां के स्थानीय विधायक की आंखों में खटकते हैं, लिहाजा उनको सभा से बाहर करवाने के लिए प्रयास भी खूब हुए। सुरक्षा दल वालों ने भी सरदारजी को सभा से चले जाने को कहा लेकिन सरदारजी उनको पार्टी पदाधिकारी होने का हवाला देते रहे। आखिरकार सरदारजी के साथ आए लोगों ने सभा का सामूहिक बहिष्कार की बात कही तो फिर उनको किसी ने नहीं टोका।
छत्त पर भी सडक़
मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा लगभग सभी जगह निर्धारित समय से काफी विलम्ब से पहुंची। इस देरी का फायदा स्थानीय विधायकों, नेताओं, पदाधिकारियों व टिकट के दावेदारों ने जमकर उठाया, उनको बोलने का पर्याप्त मौका जो मिला। श्रीगंगानगर में सभा में एक स्थानीय विधायक ने तो एेसी बात कह दी कि सुनने वालों के हंस-हंस के पेट में बल तक पड़ गए। विधायक ने कहा कि उनकी सरकार ने विकास के बहुत काम करवाए हैं। गांव गांव में सडक़ें बना दी गई हैं। विधायक यहां नहीं रुके । उन्होंने आगे कहा कि विकास की यह रफ्तार भविष्य में भी जारी रहेगी और हम मकानों की छत तक सडक़ बना देंगे। विधायक के बयान का आश्य लोगों के अभी तक समझ नहीं आया, लेकिन हंसी नहीं थम रही।
एक तीर कई निशाने
श्रीगंगानगर में स्वागत सभा में शहर ही हालत को लेकर की गई शिकायत पर मुख्यमंत्री का कदम एक तीर से कई निशाने वाला माना जा रहा है। उन्होंने सभा में ही जिला कलक्टर को मंच पर बुलाकर सवाल जवाब किए। इतना ही नहीं रात को ही मंत्री व कलक्टर को शहर का निरीक्षण करने भेज दिया। उससे अगले दिन नगर परिषद आयुक्त को बदल दिया गया। वैसे जिस रोड को लेकर यह बवाल मचा था, उस पर यूआईटी की नजर काफी पहले से लगी थी, लेकिन मामला बैठ नहीं रहा था। खैर, अब मामला यूआईटी के पाले में है। वैसे इस समूचे प्रकरण के बाद मुख्यमंत्री को यह पता भी लग गया कि उनके खुद के दल के पार्षदों की भूमिका क्या है?
नजदीकी के मायने
राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता और मौका देखकर पाला बदलने का इतिहास भी रहा है। मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा से पहले एक विधायक के अचानक सक्रिय होने तथा एक पूर्व मंत्री के घर जाने के राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग अर्थ लगाए जाने लगे। मुख्यमंत्री के स्वागत में शहर के चौक चौराहों पर जिस अंदाज में विधायक के पोस्टर व बैनर लगे उससे कयास लगने लगे थे कि शायद बदलाव की कोई खबर सुनने को मिलेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। वैसे अपने विधानसभा क्षेत्र में विधायक व मुख्यमंत्री साथ जरूर नजर आए लेकिन अन्य दावेदारों की तरह विधायक का कोई शक्ति प्रदर्शन नहीं हुआ। फिलहाल इस नजदीकी के मायने लगाने का दौर जारी है।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 13 सितंबर 18 के अंक में प्रकाशित।

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