Saturday, September 29, 2018

कुरीति

लघुकथा
सामाजिक सम्मेलन के आखिर में आयोजकों की तरफ से एक वक्ता बड़े ही जोश के साथ कहे जा रहे थे ' हमारा गांव तो आदर्श गांव है। यहां आपको कोई कुरीति दिखाई नहीं देगी। हम दहेज न लेते हैं और ना देते हैं। इतना ही नहीं हमारा गांव नशे से भी दूर रहता है। हमारे गांव में आपको कोई शराब का ठेका भी दिखाई नहीं देगा।' वक्ता की बातें सुनकर आसपास के गांवों से आए समाज बंधुओं को यह सुकून भरा आश्चर्य पच नहीं रहा था। अचानक सभा के पीछे से लड़खडा़ती हुई आवाज में एक अधेड़ चिल्लाया। ' बस.. बस.. बस.. इतना भी सफेद झूठ मत बोलिए। मैं आपके गांव के शराब ठेके से ही पीकर आया हूं।' श्रोताओं की टकटकी मंच से ठीक उलट उस शराबी पर थी, जिसने गांव की कुरीति का सच नशे में उगल दिया था। इधर वक्ता की हालत काटो तो खून नहीं वाली थी।

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