Saturday, July 27, 2019

नहरों में दूषित पानी

-प्रसंगवश
पंजाब से राजस्थान आने वाली नहरों में दूषित पानी आने का सिलसिला पुराना है। पंजाब के प्रमुख शहरों का बायोवेस्ट, सीवरेज का पानी तथा कारखानों का अपशिष्ट नदियों में मिलता है और इन्हीं नदियों का पानी नहरों के माध्यम से राजस्थान आता है। इस पानी का उपयोग श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ सहित प्रदेश के दस जिलों के लोग करते हैं। इस दूषित पानी को लेकर समय-समय पर विरोध के स्वर मुखरित होते रहे हैं लेकिन जिम्मेदारों पर इसका कभी कोई असर नहीं पड़ा और दूषित पानी नहरों में बदस्तूर आता रहा। एक बार फिर श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले में इस दूषित पानी के खिलाफ लोग लामबंद होने लगे हैं। जागरूक लोग और संगठन, केन्द्रीय मंत्रियों से लेकर पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक अपनी गुहार लगा चुके हैं। बैठकों का दौर जारी है। बड़े आंदोलनों की रूपरेखा तय हो रही है। मतलब साफ है स्वास्थ्य से जुड़े इस मसले पर लोग समझौता करने के पक्ष में नहीं हैं। आंदोलन की इसी कड़ी में श्रीगंगानगर के पंजाब के पटियाला गए प्रतिनिधिमंडल के सामने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नुमाइंदे स्वीकार कर चुके हैं कि राजस्थान जा रहा पानी पीने योग्य नहीं है। पन्द्रह मिनट तक इस पानी से नहाने पर एलर्जी हो जाती है, तो पीने से होने वाले नुकसान का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इधर, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का बीकानेर क्षेत्रीय कार्यालय इसी नहरी पानी के नमूने लेने के बावजूद कभी यह बताने की स्थिति में नहीं होता है कि पानी में प्रदूषण की मात्रा कितनी है। नमूने जयपुर और वहां से कोटा स्थित प्रयोगशाला में भी भिजवाए जाते हैं, पर शायद ही कभी नमूनों को सार्वजनकि किया गया हो। बल्कि हमेशा यही बताया जाता रहा है कि पानी सही है। खैर, पंजाब में नदियों में मिलते गंदे नालों के चलते फैल रहे प्रदूषण ने जो जन विरोध खड़ा किया है, वह किसी बड़े संकट की आहट है।
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6 जुलाई 19 को राजस्थान पत्रिका के संपादकीय पेज पर प्रकाशित। 

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