कागज हटाए तो एक पत्र निकला। दरअसल, यह पत्र श्रीमती ने इसी साल गर्मियों की छुट्टियों में लिखा था, जब बच्चे जोधपुर चले गए थे। बच्चों की याद आई तो उसने अपने जज्बात शब्दों में पिरोकर भावुक कर देने वाला यह पत्र लिखा था..। यह पत्र मैंने आज एक बार फिर सरसरी नजर से देखा और एकलव्य (चीकू) की तरफ यह कहते हुए बढा दिया कि देखो तुम मम्मी को कितना परेशान करते हो रोजाना जबकि वह तुमको कितना प्यार करती है। चीकू ने पूरा पत्र पढा और इसके बाद जाकर मम्मी से चिपक गया। फिर मेरे से आकर बोला, पापा जब मम्मी ने हमारे लिए इतना लिखा, तो मैं भी मम्मी के लिए कुछ लिखूंगा। बस फिर क्या था लिखने बैठ गए जनाब। करीब पंद्रह मिनट बाद उठे और यह पन्ना मेरी तरफ बढा दिया। वैसे चीकू हरफनमौला है। लेखन, अभिनय, गायन व खेल में इसकी खासी दिलचस्पी है।
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एकलव्य ( चीकू) का .....
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एकलव्य ( चीकू) का .....
✍मां बस मां है....
जब जब चोट लगी मां ने सहलाया।
जब जब अच्छे अंक आए, थपथपाया।
My all family with always us
जब बीमार होता हूं, मां होती बेबस।
मां माफ करना, आपको रुलाने के लिए।
Thanku अच्छा खाना खिलाने के लिए।
मां बस मां है।
मां पर गाली देना बहुत बडा पाप है।
जब जब अच्छे अंक आए, थपथपाया।
My all family with always us
जब बीमार होता हूं, मां होती बेबस।
मां माफ करना, आपको रुलाने के लिए।
Thanku अच्छा खाना खिलाने के लिए।
मां बस मां है।
मां पर गाली देना बहुत बडा पाप है।
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