टिप्पणी
नगर परिषद चुनाव की आहट के साथ ही भावी नेता सामने आने लगे हैं। भले ही चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई हो लेकिन भावी पार्षदों के फोटो चौक-चौराहों पर टंगने शुरू हो गए हैं। दिवाली, गुरुपर्व व नए साल की बधाई तथा शुभकामनाएं एक साथ ही दी जा रही हैं, ताकि पोस्टर व होर्डिंग्स आदि लंबे समय तक प्रासांगिक रहें। बधाई संदेशों की होड़ से एेसा लगता है इन संदेशों से ही चुनावी नैया पार लगेगी। देखादेखी व भेड़चाल की इस अंधी दौड़ में कोई पीछे नहीं रहना चाहता। गोया, यह कोई शक्ति प्रदर्शन हो गया। गली-मोहल्लों तक दीवारें बदरंग हो गई हैं। चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही शहर को बदरंग करने की होड़ और ज्यादा हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है।
प्रचार के इस शक्ति प्रदर्शन को देख नगर परिषद के जिम्मेदार हमेशा की तरह इस बार भी चुप हैं। वैसे शहर को बदरंग करने वालों के खिलाफ नगर परिषद के जिम्मेदारी कोई कार्रवाई करेंगे, लगता नहीं है। सडक़ पर बाजार लगवाकर यातायात बाधित करवाने वाले, सर्विस रोड पर तिब्बती मार्केट लगवाकर सडक़ संकरी करवाने वाले तथा मार्केट लगवाने के लिए वसूली गई राशि का हिसाब-किताब न रखने वाले नगर परिषद के जिम्मेदार, पोस्टर प्रेमियों के प्रति इतने दरियादिल हैं तो जरूर कोई वजह है। पोस्टर लगाने के पीछे कहीं तिब्बती मार्केट की तरह बिना हिसाब-किताब वाला खेल तो नहीं है? खैर, नगर परिषद की कार्यप्रणाली से शहर अनजान नहीं है लेकिन इससे भी ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि जिला प्रशासन भी इस मामले में आंख मूंदे हुए हैं। शहर हित में क्या उसका कोई दायित्व नहीं है? यह नीचे से लेकर ऊपर तक प्रशासनिक कमजोरी का ही नतीजा है कि हर कोई शहर को बदरंग कर देता है। शहर में इतनी पोलपट्टी है तो इसके लिए प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रशासनिक उदासीनता ही जिम्मेदार है। इधर, भावी पार्षदों को भी सोचना चाहिए कि चौक-चौराहों पर बधाई व शुभकामना संदेश देने से ही जनता का दिल नहीं जीता जाता। अगर वो शहर बदरंग करके ही चुनाव लड़ेंगे तो सोचा जा सकता है कि शहर के प्रति उनका नजरिया कैसा होगा। शहर को साफ-सुथरा व सुंदर रखना उनकी जिम्मेदारी भी है।
बहरहाल, जिला प्रशासन को इस मामले में दखल देनी होगी। नगर परिषद के भरोसे बात न पहले बनी थी, न अब बनती दिखाई दे रही है। जिला प्रशासन को लगे हाथ इस बात की भी पड़ताल करनी चाहिए कि आखिर गाहे-बगाहे चौक-चौराहों को बदरंग करने के पीछे की कहानी क्या है। इसके बाद इस खेल में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए।
नगर परिषद चुनाव की आहट के साथ ही भावी नेता सामने आने लगे हैं। भले ही चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई हो लेकिन भावी पार्षदों के फोटो चौक-चौराहों पर टंगने शुरू हो गए हैं। दिवाली, गुरुपर्व व नए साल की बधाई तथा शुभकामनाएं एक साथ ही दी जा रही हैं, ताकि पोस्टर व होर्डिंग्स आदि लंबे समय तक प्रासांगिक रहें। बधाई संदेशों की होड़ से एेसा लगता है इन संदेशों से ही चुनावी नैया पार लगेगी। देखादेखी व भेड़चाल की इस अंधी दौड़ में कोई पीछे नहीं रहना चाहता। गोया, यह कोई शक्ति प्रदर्शन हो गया। गली-मोहल्लों तक दीवारें बदरंग हो गई हैं। चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही शहर को बदरंग करने की होड़ और ज्यादा हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है।
प्रचार के इस शक्ति प्रदर्शन को देख नगर परिषद के जिम्मेदार हमेशा की तरह इस बार भी चुप हैं। वैसे शहर को बदरंग करने वालों के खिलाफ नगर परिषद के जिम्मेदारी कोई कार्रवाई करेंगे, लगता नहीं है। सडक़ पर बाजार लगवाकर यातायात बाधित करवाने वाले, सर्विस रोड पर तिब्बती मार्केट लगवाकर सडक़ संकरी करवाने वाले तथा मार्केट लगवाने के लिए वसूली गई राशि का हिसाब-किताब न रखने वाले नगर परिषद के जिम्मेदार, पोस्टर प्रेमियों के प्रति इतने दरियादिल हैं तो जरूर कोई वजह है। पोस्टर लगाने के पीछे कहीं तिब्बती मार्केट की तरह बिना हिसाब-किताब वाला खेल तो नहीं है? खैर, नगर परिषद की कार्यप्रणाली से शहर अनजान नहीं है लेकिन इससे भी ज्यादा गंभीर बात तो यह है कि जिला प्रशासन भी इस मामले में आंख मूंदे हुए हैं। शहर हित में क्या उसका कोई दायित्व नहीं है? यह नीचे से लेकर ऊपर तक प्रशासनिक कमजोरी का ही नतीजा है कि हर कोई शहर को बदरंग कर देता है। शहर में इतनी पोलपट्टी है तो इसके लिए प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से प्रशासनिक उदासीनता ही जिम्मेदार है। इधर, भावी पार्षदों को भी सोचना चाहिए कि चौक-चौराहों पर बधाई व शुभकामना संदेश देने से ही जनता का दिल नहीं जीता जाता। अगर वो शहर बदरंग करके ही चुनाव लड़ेंगे तो सोचा जा सकता है कि शहर के प्रति उनका नजरिया कैसा होगा। शहर को साफ-सुथरा व सुंदर रखना उनकी जिम्मेदारी भी है।
बहरहाल, जिला प्रशासन को इस मामले में दखल देनी होगी। नगर परिषद के भरोसे बात न पहले बनी थी, न अब बनती दिखाई दे रही है। जिला प्रशासन को लगे हाथ इस बात की भी पड़ताल करनी चाहिए कि आखिर गाहे-बगाहे चौक-चौराहों को बदरंग करने के पीछे की कहानी क्या है। इसके बाद इस खेल में शामिल सभी लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 23 अक्टूबर 19 के अंक में प्रकाशित।
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