Tuesday, December 17, 2019

प्रभावी नाकेबंदी की दरकार

टिप्पणी
विडम्बना देखिए मंगलवार दोपहर जब जिले के प्रभारी सचिव जिले के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को बैठक ले रहे थे तथा अपराधियों पर कार्रवाई के निर्देश दे रहे थे, ठीक उसी वक्त पुरानी आबादी के उदाराम चौक स्थित ग्रीन पार्क के पास हुई लूट की वारदात ने शहर की कानून व्यवस्था की चुगली जरूर कर दी। वारदात के बाद हडक़ंप मचना स्वाभाविक था। अधिकारी बैठक छोडक़र वारदात स्थल पहुंचे और लुटेरों की तलाश में कई जगह नाकेबंदी भी करवाई। सीसीटीवी कैमरों की मदद भी ली गई लेकिन पुलिस अभी खाली हाथ है। जिस तरह से इस वारदात को अंजाम दिया गया है, उससे लगता है लुटेरे इलाके के जानकार हैं तथा रास्तों से परिचित हैं, तभी तो वे नाकेबंदी के बावजूद निकल गए। कुछ दिन पहले एक साइकिल सवार से हुई लूट की एक वारदात का खुलासा भी अभी तक नहीं हुआ है। लूट की इन दोनों घटनाओं में महज अंतर इतना रहा कि एक रात को हुई तो दूसरी दिनदहाड़े। इन दोनों घटनाक्रमों से यह भी समझा जा सकता है कि अपराधी जब चाहें, जहां चाहे वारदात को अंजाम देने की हिमाकत करने लगे हैं। कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाने लगे हैं। उनमें भय या खौफ नहीं रहा। सघन नाकेबंदी के बावजूद लुटेरों का निकल जाना नाकेबंदी के तौर तरीकों पर सवालिया निशान जरूर लगाता है।
दरअसल, श्रीगंगानगर जिला अंतराष्ट्रीय व अंतरराज्यीय सीमाओं से सटा होने के कारण वैसे ही संवेदनशील है। अपराधी अक्सर यहां वारदातों को अंजाम देकर पड़ोसी प्रदेश चले जाते हैं। यहां की परिस्थितियों को देखते हुए जैसी सतर्कता, सजगता व संवेदनशीलता बरतनी चाहिए वो वारदात के बाद की ज्यादा दिखाई देती है। देश या प्रदेश में किसी आतंकी अलर्ट पर जरूर सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबंद किया जाता है। पीजी, हॉस्टल व होटल खंगाले जाते हैं। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और सार्वजनिक स्थानों पर जांच अभियान चलता है। यही सारी कवायद समय-समय पर नियमित रूप से बिना किसी अलर्ट के होने लगे तो अपराधियों में भय पैदा होगा। संदिग्ध गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। वैसे भी त्योहारी सीजन है। बाजार व सडक़ों पर चहल-पहल ज्यादा है। एेसे में सुरक्षा को चुस्त-दुरुस्त करना बहुत जरूरी है।
बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए पुलिस लूट का खुलासा जल्द करेगी। आरोपी सलाखों के पीछे होंगे। लेकिन इन सब के साथ जरूरी यह भी है कि सुरक्षा व्यवस्था व नाकेबंदी के जो परम्परागत तरीके हैं, उनमें और सुधार कैसे हो सकते हैं। क्योंकि नाकेबंदी के बावजूद अपराधियों का चोर रास्ते तलाश लेना किसी चुनौती से कम नहीं है। पुलिस को नाकेबंदी के साथ-साथ उन चोर रास्तों का भी प्रभावी व स्थायी समाधान खोजना होगा।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में तीन अक्टूबर 19 के अंक में प्रकाशित।

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