Tuesday, December 17, 2019

समय सीमा भी तय हो

टिप्पणी
शहर की बेपटरी यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए तीन दिन पहले हुई बैठक में फै सले तो बड़े लोकलुभावन लिए गए थे। नगर परिषद, जिला परिवहन कार्यालय व यातायात पुलिस की सामूहिक बैठक में लिए गए सभी फैसले अगर ईमानदारी से धरातल पर उतरते हैं तो निसंदेह शहर की बदहाल व बेपटरी यातायात व्यवस्था में काफी कुछ सुधार होगा, लेकिन इन फैसलों की अनुपालना में अभी तक न तो कोई ईमानदार प्रयास दिखाई दे रहे हैं, और न ही कोई गंभीरता। खैर, फैसलों पर संशय तो तभी होने लगा था, जब उनके लिए कोई समय-सीमा ही निश्चित नहीं की गई। जब किसी काम की समय सीमा ही तय नहीं होगी तो उसका अंजाम कैसा होगा, सहज ही समझा जा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि समय सीमा निर्धारित न करने पर बचाव करनेया काम को आगे खिसकाने के सौ तरह के बहाने करने की भरपूर गुंजाइश रहती है। यहां भी ऐसा ही हो रहा है। फैसला लेने वाले तीन दिन बाद अब काम अगले सप्ताह शुरू होने की उम्मीद जता रहे हैं। अधिकारी यह कहने की स्थिति में नहीं है कि यह काम कब शुरू होगा तथा कितने दिन में पूर्ण कर लिया जाएगा।
इस बैठक में पांच महत्वपूर्ण फैसले थे। इनमें बीरबल चौक से चहल चौक तक व शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से निराश्रित पशुओं को पकडऩा, शहर के विभिन्न मार्गों के डिवाइडरों पर बने अवैध कट को बंद करना, प्राइवेट बसों व ऑटो के लिए स्टॉपेज निर्धारित करना, वाहन चालकों के कागजात चैक करना आदि शामिल थे। इनके अलावा एक और फैसला था, सडक़ किनारे अवैध कब्जा हटाने और नो पार्किंग के लिए लाइनिंग का काम करवाना। देखा जाए तो यह सभी काम ऐसे हैं, जिन्हें शुरू करवाने में किसी लंबे चौड़े लवाजमे की जरूरत नहीं है। हां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस बल की जरूरत जरूर पड़ जाती है। बाकी काम तो तीनों विभाग अपने स्तर पर कभी भी शुरू कर सकते थे। तीनों आपसी सहयोग व तालमेल से भी कर सकते है। फिर भी इन सब कामों में सडक़ किनारे नो पार्र्किं ग जोन के लिए लाइनिंग का काम सबसे आसान है। लेकिन उसके लिए भी अभी कोई वक्त या तारीख तय नहीं है। केवल उम्मीद है। त्योहारी सीजन के चलते बाजार में सडक़ें संकरी हो गई हैं। दुकानदारों ने टेंट लगाकर सडक़ों पर कब्जा कर लिया है। कितना अच्छा होता यह काम शीघ्रातिशीघ्र शुरू होता, जिससे आवागमन सुचारू रूप से होता रहता। बहरहाल, प्रशासनिक स्तर पर माह में कई बैठकें होती हैं। इनमें जनहित से जुड़े मामलों पर चर्चा होती है। समीक्षा होती है। लेकिन इन बैठकों के निर्णय अक्सर कागजी ही रह जाते हैं। यह निर्णय तात्कालिक रूप से सुर्खियां जरूर बटोरते हैं, वाहवाही पाते हैं लेकिन उनका क्रियान्वयन ईमानदारी से नहीं होता। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में इस तरह के फैसले लेने के साथ-साथ उनकी समय सीमा भी निर्धारित होगी।

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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 8 अक्टूबर 19 के अंक में प्रकाशित ।

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