36वीं लघु कथा
पत्नी की आह सुनकर बगल में लेटे पति की नींद अचानक टूटी। आंखें मलते हुए वह बैठा और पत्नी से आह की वजह पूछी। पत्नी बोली, जोर से पेट दर्द हो रहा है, प्लीज थोड़ा सा मसल दीजिए। पति ने लेटे लेटे ही पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। पांच मिनट बीत गए लेकिन पत्नी की तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं आया। पति ने थोड़ा इंतजार और किया लेकिन फिर धैर्य जवाब दे गया, कहने लगा, मेरी मां कभी पैर दबवाती थी, तो एक दो मिनट से ज्यादा होने ही नहीं देती थी। कह देती बेटा बस कर अब। और एक तुम हो सात-आठ मिनट से लगा हूं, कोई रिस्पॉन्स ही नहीं? पति की इस झुंझलाहट पर पत्नी मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। इधर पति, मां व पत्नी के इस अंतर के द्वंद्व में उलझा था
पत्नी की आह सुनकर बगल में लेटे पति की नींद अचानक टूटी। आंखें मलते हुए वह बैठा और पत्नी से आह की वजह पूछी। पत्नी बोली, जोर से पेट दर्द हो रहा है, प्लीज थोड़ा सा मसल दीजिए। पति ने लेटे लेटे ही पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। पांच मिनट बीत गए लेकिन पत्नी की तरफ से किसी तरह का जवाब नहीं आया। पति ने थोड़ा इंतजार और किया लेकिन फिर धैर्य जवाब दे गया, कहने लगा, मेरी मां कभी पैर दबवाती थी, तो एक दो मिनट से ज्यादा होने ही नहीं देती थी। कह देती बेटा बस कर अब। और एक तुम हो सात-आठ मिनट से लगा हूं, कोई रिस्पॉन्स ही नहीं? पति की इस झुंझलाहट पर पत्नी मंद-मंद मुस्कुरा रही थी। इधर पति, मां व पत्नी के इस अंतर के द्वंद्व में उलझा था
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