प्रसंगवश
श्रीगंगानगर से जयपुर वाया चूरू-सीकर होते हुए रेल का संचालन पिछले एक दशक से बंद है। आमान परिवर्तन के चलते इस मार्ग पर रेल का संचालन बंद किया गया था। हालांकि इस मार्ग पर रेल संचालन बंद होने के कारण रेलवे ने श्रीगंगानगर से जयपुर के बीच रेल वाया बीकानेर-नागौर चलाई, लेकिन लोगों को इंतजार पुराने मार्ग पर रेल चलने का ही रहा। इसकी बड़ी वजह यह है कि इस मार्ग पर समय कम लगता है। समय की बचत ही वजह है कि यात्री रेल की बजाय जयपुर की यात्रा बसों से करना पसंद करते हैं। इसे उनकी मजबूरी भी कह सकते हैं। जयपुर से श्रीगंगानगर के बीच अब आमान परितर्वन तो हुआ है लेकिन यात्री ही जानते हैं कि यह काम किस अंदाज में हुआ है।
रेलवे ने इस मार्ग पर काम कछुआ गति से ही किया है। पहले श्रीगंगानगर से सादुलपुर (राजगढ़) तक रेल का संचालन शुरू हुआ। इसके बाद चूरू से सीकर के बीच आमान परितर्वन का काम पूरा हुआ तो श्रीगंगानगर से सीकर के बीच रेल सेवा शुरू की गई, लेकिन सप्ताह में केवल तीन दिन के लिए। अब रींगस से जयपुर के बीच आमान परितर्वन पूर्ण हो चुका है। सीकर व जयपुर के बीच रेल का संचालन भी शुरू हो गया है लेकिन श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ के यात्री आज भी जयपुर के लिए सीधी रेल सेवा से वंचित हैं। एक दशक का इंतजार बेहद लंबा होता है। एक तरह से यह इंतजार की इंतहा ही है। कहने को रेलवे इस मार्ग पर जयपुर व श्रीगंगानगर के बीच प्रयोग के तौर पर सप्ताह में कभी एक बार तो कभी दो बार रेल चला रहा है, लेकिन अब प्रयोग करने की जरूरत नहीं है। दशक भर से इंतजार में बैठे यात्रियों के लिए अब रेल का नियमित संचालन जरूरी है। वैसे भी श्रीगंगानगर सरहदी व सैन्य छावनियों वाला इलाका है। देश-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के सैनिक यहां तैनात हैं। जयपुर से सीधी रेल सेवा का फायदा सीकर, चूरू, हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर के यात्रियों के साथ इन सैनिकों को भी मिलेगा। रेलवे को यह काम अब बिना किसी विलंब के शुरू कर देना चाहिए ताकि यात्रियों के समय व पैसे की बचत हो।
रेलवे ने इस मार्ग पर काम कछुआ गति से ही किया है। पहले श्रीगंगानगर से सादुलपुर (राजगढ़) तक रेल का संचालन शुरू हुआ। इसके बाद चूरू से सीकर के बीच आमान परितर्वन का काम पूरा हुआ तो श्रीगंगानगर से सीकर के बीच रेल सेवा शुरू की गई, लेकिन सप्ताह में केवल तीन दिन के लिए। अब रींगस से जयपुर के बीच आमान परितर्वन पूर्ण हो चुका है। सीकर व जयपुर के बीच रेल का संचालन भी शुरू हो गया है लेकिन श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ के यात्री आज भी जयपुर के लिए सीधी रेल सेवा से वंचित हैं। एक दशक का इंतजार बेहद लंबा होता है। एक तरह से यह इंतजार की इंतहा ही है। कहने को रेलवे इस मार्ग पर जयपुर व श्रीगंगानगर के बीच प्रयोग के तौर पर सप्ताह में कभी एक बार तो कभी दो बार रेल चला रहा है, लेकिन अब प्रयोग करने की जरूरत नहीं है। दशक भर से इंतजार में बैठे यात्रियों के लिए अब रेल का नियमित संचालन जरूरी है। वैसे भी श्रीगंगानगर सरहदी व सैन्य छावनियों वाला इलाका है। देश-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के सैनिक यहां तैनात हैं। जयपुर से सीधी रेल सेवा का फायदा सीकर, चूरू, हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर के यात्रियों के साथ इन सैनिकों को भी मिलेगा। रेलवे को यह काम अब बिना किसी विलंब के शुरू कर देना चाहिए ताकि यात्रियों के समय व पैसे की बचत हो।
---------------------------------------------------------------------------------------------------
राजस्थान पत्रिका के राजस्थान के तमाम संस्करणों में दो नवम्बर के अंक में संपादकीय पेज पर प्रकाशित।
No comments:
Post a Comment