बस यूं ही
28 अप्रेल 2005 गुरुवार का दिन। वक्त यही कोई सुबह के साढ़े नौ बजे का होगा। कार्यालय में देरी ना हो इस वजह से मैं तैयार होने में व्यस्त था। अचानक मोबाइल की घंटी से मेरा ध्यान भंग हुआ। देखा तो ससुर जी के नम्बर डिस्प्ले हो रहे थे। सुबह-सुबह उनका फोन देखकर चौंकना लाजिमी था। फोन रिसीव किया तो बोले, बन्ना बधाई हो, लड़का हुआ है। मेरी खुशी का ठिकाना न था। आफिस गया और लड्डू मंगवाकर कार्यालय में वितरित करवाए। उस वक्त दैनिक भास्कर अलवर में कार्यरत था। दूसरे दिन शाम को ट्रेन पकड़कर जोधपुर पहुंचा। श्रीमती निर्मल उस वक्त जोधपुर के मथुरादास माथुर राजकीय अस्पताल में भर्ती थी। बच्चा ऑपरेशन से हुआ था। मैं तेज कदमों से चलता हुआ बस बच्चे की पहली झलक देखने को आतुर था। रास्ते में और वार्ड में कई तरह के अनुभव हुए, जिन्हे अलवर लौटने के बाद लिखा जो जोधपुर भास्कर में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुए। आज भी याद है उस खबर का शीर्षक, यूं हमदर्दी से होता है दर्द का सौदा..। खैर, उसके बाद दस साल बीत गए। समय के साथ बेटे योगराज के जन्मदिन के स्थान भी बदलते गए। कभी जोधपुर तो कभी गांव केहरपुरा। कभी बिलासपुर तो कभी भिलाई। और अब बीकानेर। चीकू के जन्मदिन पर मां-और पापा पास थे लेकिन फिलहाल वे बड़े भाईसाहब के पास कोटपुतली में हैं। उन्होंने भी योगू के लिए शुभकामना संदेश भेजा। भाईसाहब की बेटियां अस्मिता और अदिति ने तो बाकायदा व्हाट्स एप पर जन्मदिन बधाई का संदेश रिकॉर्ड कर भेजा। दीदी और भानजे कुलदीप और प्रदीप ने भी विश किया। और हां नाना जिनका सबसे प्रिय दोहिता योगू ही है, उन्होंने तो दो बार बधाई दी। इसके अलावा सबसे बड़े भाईसाहब ने हमेशा की तरह इस बार भी कविता के माध्यम से योगू को जन्मदिन विश किया। उनकी स्वरचित कविता..
मान बढे, यश बढे और उम्र की बेल।
सेहत, बल, बुद्धि बढ़े और जगत से मेल।
धर्म, न्याय, नीति का पथ हो, गति पर योगू प्यारा।
शुभ आशीष फलवती होंगी, चमके कुल का तारा।
28 अप्रेल 2005 गुरुवार का दिन। वक्त यही कोई सुबह के साढ़े नौ बजे का होगा। कार्यालय में देरी ना हो इस वजह से मैं तैयार होने में व्यस्त था। अचानक मोबाइल की घंटी से मेरा ध्यान भंग हुआ। देखा तो ससुर जी के नम्बर डिस्प्ले हो रहे थे। सुबह-सुबह उनका फोन देखकर चौंकना लाजिमी था। फोन रिसीव किया तो बोले, बन्ना बधाई हो, लड़का हुआ है। मेरी खुशी का ठिकाना न था। आफिस गया और लड्डू मंगवाकर कार्यालय में वितरित करवाए। उस वक्त दैनिक भास्कर अलवर में कार्यरत था। दूसरे दिन शाम को ट्रेन पकड़कर जोधपुर पहुंचा। श्रीमती निर्मल उस वक्त जोधपुर के मथुरादास माथुर राजकीय अस्पताल में भर्ती थी। बच्चा ऑपरेशन से हुआ था। मैं तेज कदमों से चलता हुआ बस बच्चे की पहली झलक देखने को आतुर था। रास्ते में और वार्ड में कई तरह के अनुभव हुए, जिन्हे अलवर लौटने के बाद लिखा जो जोधपुर भास्कर में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुए। आज भी याद है उस खबर का शीर्षक, यूं हमदर्दी से होता है दर्द का सौदा..। खैर, उसके बाद दस साल बीत गए। समय के साथ बेटे योगराज के जन्मदिन के स्थान भी बदलते गए। कभी जोधपुर तो कभी गांव केहरपुरा। कभी बिलासपुर तो कभी भिलाई। और अब बीकानेर। चीकू के जन्मदिन पर मां-और पापा पास थे लेकिन फिलहाल वे बड़े भाईसाहब के पास कोटपुतली में हैं। उन्होंने भी योगू के लिए शुभकामना संदेश भेजा। भाईसाहब की बेटियां अस्मिता और अदिति ने तो बाकायदा व्हाट्स एप पर जन्मदिन बधाई का संदेश रिकॉर्ड कर भेजा। दीदी और भानजे कुलदीप और प्रदीप ने भी विश किया। और हां नाना जिनका सबसे प्रिय दोहिता योगू ही है, उन्होंने तो दो बार बधाई दी। इसके अलावा सबसे बड़े भाईसाहब ने हमेशा की तरह इस बार भी कविता के माध्यम से योगू को जन्मदिन विश किया। उनकी स्वरचित कविता..
मान बढे, यश बढे और उम्र की बेल।
सेहत, बल, बुद्धि बढ़े और जगत से मेल।
धर्म, न्याय, नीति का पथ हो, गति पर योगू प्यारा।
शुभ आशीष फलवती होंगी, चमके कुल का तारा।
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