Thursday, July 2, 2020

एेसा गांव है मेरा-2

बस यूं ही
मदद व सेवा जज्बा यहीं तक सीमित नहीं है। गांव के ही रामकरणसिंह झाझडि़या व उनके छोटे भाई विद्याधर झाझडि़या ने तो मास्क बनवाकर पूरी पंचायत में बंटवाने का बीड़ा उठाया है। राजपूत महिलाओं के अलावा मेघवाल समाज की महिलाएं भी मास्क तैयार करने में युद्ध स्तर पर जुटी हुई हैं। जैसे-जैसे मास्क बन रहे हैं, वैसे-वैसे गांव में इनका वितरण किया जा रहा है। खुशी तो इस बात की हुई कि बचपन के साथी नरेन्द्र झाझडि़या की बुजुर्ग मां व बिटिया भी इस काम में पूरे मनोयोग से जुटी हुई हैं। वाकई सहयोग व सेवा का एेसा जज्बा अपने आप में अनुकरणीय है, अनूठा है। मदद की यह भावना गांव तक ही सीमित नहीं है। गांव के लोगों में सेवा और सहायता के संस्कार बाहर भी दिखाई दे रहे हैं। सभी पर जैसे एक ही धुन सवार है कि कैसे भी हो, प्रभावितों की मदद की जाए। कोई भूखा न रहे। जयपुर में भी गांव के लोग इस काम में जुटे हुए हैं। सुबेसिंह झाझडि़या के सुपुत्र कुलदीप तो 29 मार्च से रोजाना तीन सौ.से पांच सौ लोगों को खाना खिला रहे हैं। इस काम में उनकी बुआजी शंकुतला, बुआ का बेटा रवीन बुडानिया, झंझुनूं के नरेन्द्र स्वामी व जयपुर वैशालीनगर के अरुण जी जान.से जुटे हुए हैं। कुलदीप ने बताया कि वो वैशालीनगर की कच्ची बस्तियों व बाइपास के आसपास रोजाना भोजन का वितरण कर रहे हैं। पहले यह लोग बाहर ही खाना तैयार करवा रहे थे। लेकिन अब दो हलवाई स्थायी रूप से रख लिए हैं। इसी तरह स्वतंत्रता सेनानी रामकुमारसिंह शेखावत के पौत्र तथा खेमसिंह शेखावत के सुपुत्र हितेश भी अपने साथियों के साथ जयपुर में जरूरतमंदों को भोजन करवाने में जुटे हैं। इनकी तिरुपति मित्र मंडली के नाम से पंद्रह युवाओं की टीम है। इनमें नौकरीपेशा युवा भी शामिल हैं। यह लोग एक अप्रेल से रोजाना तीन सौ से चार सौ लोगों का भोजन खुद की तैयार करते हैं और इसके बाद इसका वितरण करते हैं। यह लोग हरमाड़ा कच्ची बस्ती, तोड़़ी मोड़, बिडपिपली, कचरा डिपो, ग्रीननगर, बालाजी विहार, आसपास की कुछ फैक्ट्रियों में खाना वितरित करते हैं। यह लोग में दिन में भोजन वितरित करते हैं, वहीं शाम को सेनेटाइजर भी बांट रहे हैं।
इसी तरह सुबेदार मोहरसिंह झाझडि़या की पुत्रवधु तथा भाई धर्मेन्द्र झाझडि़या की धर्मपत्नी स्नेहलता चौधरी जो कि आदर्श जाट महासभा राजस्थान की संगठन महामंत्री हैं, वो भी सेवा के इस काम में अपना योगदान दे चुकी हैं। उन्होंने भी जयपुर की कच्ची बस्ती में जाकर करीब दो सौ जरूरतमंदों परिवारों को भोजन के पैकेट वितरित किए।
खैर,मदद करने वाले हो सकता है और भी हों लेकिन इन.सब का काम मेरी नजर में था, इसलिए आप सब से साझा किया। वाकई यह संकट का समय है। लिहाजा, जो मदद करने में सक्षम है, उसको मदद करनी चाहिए। मुझे गर्व है कि मेरे गांव के लोगों में सेवा, सहयोग व सहायता का जज्बा है। भगवान करे ग्रामीणों की यह नेक भावना हमेशा पुष्पित पल्लवित होती रहे तथा बाकी लोग भी इस काम से प्रेरित होते रहें।

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