Thursday, July 2, 2020

एेसा गांव है मेरा-1

बस यूं ही
बचपन से एक कहानी न जाने कितनी ही बार पढ़ी है। यह कहानी सीख देती है। इसमें एक तरह की प्रेरणा छिपी है। कहानी कुछ इस तरह है कि 'एक बार जंगल में भीषण आग लगी थी। समूचे जंगल में अफरा-तफरा मची थी। वन्य जीव जान बचाने को इधर से उधर भाग रहे थे। हर तरफ भगदड़ मची थी। सबको अपनी-अपनी जान की पड़ी थी। इतने विकट समय में एक छोटी से चिडि़या अलग ही काम में जुटी थी। वह उड़ती और सागर से पानी की बूंद अपने चोंच में भरकर लाती और आग में डालती। वह एेसा लगातार कर रही थी। पेड़ पर बैठा एक बंदर काफी देर से यह सब देख रहा था। आखिरकार उससे रहा नहीं गया और वह चिडि़या के पास आकर हंसते हुए बोला, तू पागल है क्या? इतनी भीषण आग क्या तेरी चोंच के पानी से बुझ जाएगा? क्यों परेशान हो रही है? बंदर की बात पर पलटवार करते हुए चिडि़या न कहा, हां पता है मेरे से आग नहीं बुझेगी लेकिन जब इतिहास लिखा जाएगा तो कालांतर में मेरे प्रयास को तो याद किया जाएगा। कहा जाएगा कि जब सब जानवर अपनी जान की परवाह कर रहे थे, तब चिडि़या इकलौती एेसी थी जो आग बुझाने का प्रयास कर रही थी।' खैर, यह कहानी एक बार फिर प्रासंगिक है। कोरोना वायरस के चलते जहां समूचा जनजीवन ठहरा है, एेसे में चिडि़या की यह कहानी हौसला देती है। उम्मीद जगाती है। जरूरतमंदों की मदद करने को प्रोत्साहित करती है। जरूरतमंदों की सेवा करने वाले भले ही कोरोना पर काबू पाने में सफल न हो लेकिन कोरोना से प्रभावितों की सहायता कर वो एक तरह से चिडि़या जैसा प्रेरणादायी काम ही तो कर रहे हैं। वैसे मददगारों की देश में कमी नहीं है। कोई किसी तरह से तो कोई किसी माध्यम से सेवा में जुटा है। कमोबेश सभी लोग अपने सामर्थ्यनुसार सेवा कार्य में जुटे हैं। मुझे खुशी इस बात है कि इस काम में एक तरह से मेरा पूरा गांव ही जुटा है। कोई सामूहिक प्रयास में अपना योगदान दे रहा है तो कोई व्यक्तिगत रूप से लगा हुआ है। गांव के ही युवा तथा हाल में विधानसभा का निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले भाई बबलू चौधरी ने जयपुर में जिला कलक्टर को दो लाख रुपए का चैक दिया। इनमें एक लाख प्रधानमंत्री सहायता कोष तथा एक लाख रुपए मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करवाए गए। इसी कड़ी में दिवंगत समाज सेवी श्री मंगलचंद जी झाझडि़या के पौत्र तथा विद्याधर झाझडि़या के सुपुत्र मनीष ने समूचे गांव में दवा का छिड़काव करवाकर गांव को सेनेटाइज करने का प्रयास किया गया। मनीष की ओर से गांव वासियों के लिए मास्क भी उपलब्ध करवाए गए।
-क्रमश:

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