Thursday, July 2, 2020

मुआ कोरोना-2

बस यूं.ही
कुशलक्षेम व खैरियत भी अब दो-दो तरह से पूछी जाने लगी है। फोन पर अलग और मैसेज के माध्यम से अलग। सुझाव, सलाह, नसीहत और इलाज तो थोक के भाव में इस प्रकार बताए और सुझाए जा रहे हैं गोया समूचा देश ही विशेषज्ञ और चिकित्सक हो गया है। सच में कितना समाजवाद आ गया है। सर्वे भंवतु सुखिन: की अवधारणा भी किताबों से बाहर निकल आई हैं। कोई कहता है रामराज्य लौट आया है तो कोई कहता है सतयुग आ गया है। सब जुटे हैं, इस संकट से सामूहिक मुकाबला करने के लिए। सोशल मीडिया पर तो मनोरंजन के कई तरह की मीम्स बन गए हैं। संकट में भी मनोरंजन की कला भारतीयों से ही सीखी जा सकती है। इस कला का कोई जवाब नहीं। देखो ना अब इस मरज्याणे कोरोना ने लोगों को कितना मजबूत बना दिया है। मौत साक्षात सामने है फिर भी डर नहीं है। कल तक धर्म और आस्था की जरा-जरा सी बात पर एक दूसरे के खिलाफ बाहें चढ़ाने वाले, एक दूसरे को मरने मारने पर उतारु होने वाले कितने शांत और सरल हो गए है। धर्म पर भी कोई मीम्स आता है या चुटकला आता है तो कोई विरोध नहीं होता। मतलब कोरोना ने वह उन्माद भी खत्म किया है। कल ही सोशल मीडिया पर एक जुमला बड़ा चर्चित हुआ। चारों धाम बंद हैं लेकिन मुक्तिधाम खुला है। देखो कितनी गंभीर बात को भी हास्य में कह दिया गया और लोगों ने इसे हास्य ही समझा। आज ही एक खबर थी। गंगा का पानी भी कई स्थानों पर शुद्ध हो गया है। इतना शुद्ध कि उसको पीया जा सकता है। सोचिए लाखों करोड़ों के सरकारी प्रोजेक्ट व राजनीतिज्ञों की बड़ी-बड़ी घोषणाएं जो काम बरसों में ना करवा सकी वो इस निगौड़े कोरोना ने मात्र एक माह में करवा दिया। मेरी बातों से कहीं यह आशय न निकाला जाए कि मैं कोरोना को लेकर इस तरह लिख रहा हूं तो उसका समर्थन कर रहा हूं। दरअसल, बात यहां कोरोना को बढावा देने या समर्थन की कि नहीं है बल्कि इसके चलते जो बदलाव हो गए हैं, वो इस संकट भरे समय में किसी सुखद झौंके की तरह लगते हैं। कभी शिद्दत से महसूस कीजिए। लोग तो पुराना जमाना याद कर-कर के खुश होने लगे हैं। विशेषकर ग्राम्य जीवन में फिलहाल अस्सी व नब्बे की दशक की झलक देखने को बखूबी मिल रही है। इस बहाने युवा पीढी अतीत से रुबरू हो रही है। इंटरनेट के मायावी मोहपाश में.फंसा तथा समाज से कटा युवा फिर से सामाजिक हो रहा है, यह क्या कम है। वह अपने संस्कार व संस्कृति को समझ रहा है। उसमें जी रहा है। सोचिए कोरोना न होता तो क्या युवा इस तरह समाज की तरफ लौटता? यह यू टर्न कोरोना की बदौलत ही तो.हुआ है।
क्रमश:

No comments:

Post a Comment