Thursday, July 2, 2020

मेडिकल इमरजेंसी में विसंगति!

टिप्पणी
कोरोना महामारी के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए जो भी प्रबंध किए जा रहे हैं, वे सब आम जन की सुरक्षा के लिए ही हैं। आम जन स्वस्थ व सुरक्षित कैसे रहे, इसके लिए प्रतिबंधात्मक कदम उठाए गए हैं, सजा का प्रावधान भी किया गया है। साथ ही कानून की अवहेलना करने वालों से सख्ती से निपटा भी जा रहा है। यह सारी कवायद केवल प्रत्येक व्यक्ति की जान बचाने के लिए है और ऐसा होना भी चाहिए। एेसा इसलिए क्योंकि लोग बिना भय व सजा के कानून का पालन नहीं करते। समूचे देश में मेडिकल इमरजेंसी लगी है। इसकी पालना करवाने के लिए राज्य सरकारों को कई तरह के फैसले लेने पड़े हैं। दिक्कत इन्हीं फैसलों से हुई है, क्योंकि इनमें कुछ व्यावहारिक नहीं है। सबसे बड़ी विसंगति तो एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए बनाए जा रहे पास (अनुमति पत्र) को लेकर है। बानगी देखिए, किसी कैंसर पीडि़त महिला या पुरुष को श्रीगंगानगर से बीकानेर जाना है तो एक चौपहिया वाहन के साथ केवल दो लोगों को जाने की अनुमति है। एक चालक और एक मरीज। अगर चालक मरीज का परिजन नहीं हुआ तो इस मरीज का तिमारदार कौन? यही हाल दुपहिया वाहन को लेकर है। उस पर केवल एक व्यक्ति ही जा सकता है। जरा सोचिए बीमार आदमी दुपहिया चलाने में सक्षम नहीं है तो फिर अस्पताल तक कैसे जाएगा? ऑनलाइन पास बनवाने की प्रक्रिया भी पेचीदा है। ऑनलाइन में जो विकल्प हैं, मरीज उस श्रेणी से अलग का तो है वह विकल्प कैसे भर पाएगा? स्वाभाविक सी बात है कि उसका आवेदन खारिज होगा और हो भी रहे हैं। ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों ही तरह की प्रकियाएं जटिल हैं, जो आम जन को राहत देने के बजाय मुश्किल बढ़ा रही है। इधर, आवश्यक सेवाओं के लिए वाहन संचालन की अनुमति चाहने वालों को भी पास के लिए कई जगह भटकना पड़ रहा है।बहरहाल, राज्य सरकार ने बीस अप्रेल से तीन मई तक मॉडिफाइड लॉकडाउन में पास के संबंध में भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत पूर्व में 14 अप्रेल तक के लिए जारी पास की अवधि 26 अप्रेल तक स्वत: ही बढ़ा दी गई है। साथ ही नए पास ऑफलाइन 26 अप्रेल तक बनाए जाएंगे, इसके बाद केवल ऑनलाइन पास ही मान्य होंगे। खैर, राज्य सरकार आम जन की हिफाजत व सहुलियत के लिए कितने ही प्रतिबंध लगाए, नियम कायदे बनाए या उनमें छूट दे, लेकिन इन दिशा-निदेर्शों का व्यावहारिक पक्ष भी देखना होगा। कहीं ऐसा न हो कि कोरोना से बचाव के फेर में गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों की जिंदगी में औपचारिकता का पेच फंस जाए और वो समय पर इलाज ही न करवा सकें।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर, बीकानेर व बाडमेर संस्करण में 20 अप्रेल 20 को प्रकाशित 

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